Chandrayaan-3 Landing Successfully : उम्मीदों के अनुरूप आखिरकार हमारे चंद्रयान-3 ने बुधवार की शाम को तय कार्यक्रम के अनुसार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग कर ली। ऐसा करते ही भारत चांद पर पहुंचने वाला चौथा और इसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया। यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल होते ही न केवल इसरो के वैज्ञानिक बल्कि पूरा देश खुशी से झूम उठा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दक्षिण अफ्रीका से संबोधित कर सभी इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी वैज्ञानिकों और देशवासियों को बधाई दी।
इस उपलब्धि से आज का दिन भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा चांद पर भेजे गए चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने 40 दिन की यात्रा के बाद आज शाम लगभग 6 बजे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की। चंद्रयान के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता हासिल करने पर भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है।
वैज्ञानिक दृष्टि से बेहद अव्वल और इस क्षेत्र के तमाम दिग्गज देशों के होते हुए यह उपलब्धि भारत के हिस्से में आने की कल्पना करके ही हर भारतीय रोमांचित हो उठता है।
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भारत के पहले रूस ने भी यह उपलब्धि अपने नाम करने की जी तोड़ कोशिश की थी। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी roscosmos ने भारत के बाद ताबड़तोड़ अंदाज में लूना-25 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ही उतरने के लिए छोड़ा था। यह भारत के चंद्रयान-3 से पहले चांद पर उतरने वाला था। लेकिन, यह अपनी मंजिल पर पहुंच पाता, उसके पहले ही क्रेश हो गया। इसके साथ ही रूस और सारी दुनिया की उम्मीदें भी कुछ समय के लिए ध्वस्त हो गई थी। लेकिन भारत के चंद्रयान ने इन उम्मीदों को फिर जिंदा कर दिया है।
लूना-25 के क्रेश होने बाद अब मैदान में हमारा चंद्रयान ही अकेला खिलाड़ी रह गया था। इसके साथ ही सारी दुनिया भी बड़ी उम्मीदों के साथ भारत और उसके चंद्रयान की ओर टकटकी लगाए हुए थी। आखिर हमारा यह अभियान सफल हुआ है। अब इसके जरिए चांद के दक्षिणी ध्रुव के कई रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा। वहीं भारत का नाम भी अंतरिक्ष के बड़े खिलाड़ियों में शामिल हो गया है।
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आज पूरे भारत में यही प्रार्थना की जा रही थी कि इसरो का मिशन मून सफल हो और भारत के कदम चांद के उस हिस्से पर पड़े जहां आज तक कोई नहीं पहुंचा। इसरो ने पिछले अभियान से सीख लेकर जो मुकम्मल सुधार किए हैं और जो व्यवस्थाएं की हैं, उससे यह असंभव लग भी नहीं रहा था। अंततः वैज्ञानिकों का कठिन और लंबा अनथक परिश्रम रंग लाया और चंद्रमा पर हमारा तिरंगा लहराने में सफल हुआ है। इसके साथ ही पूरे देश में जश्न मनाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
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चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद अब क्या होगा
चंद्रयान की सफल लैंडिंग चांद पर होने के बाद चांद पर धूल का गुबार उठ गया होगा। इसके थमने के बाद जब वातावरण स्वच्छ हो जाएगा तब लैंडिंग के कुछ देर बाद लैंडर विक्रम की बैली से रोवर प्रज्ञान एक पैनल को रैंप के रूप में इस्तेमाल करके चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। रोवर में पहिए और नेविगेशन कैमरे लगे हैं।
यह चंद्रमा के परिवेश का इन-सीटू (यथास्थान) विश्लेषण करेगा और जानकारी लैंडर विक्रम के साथ साझा करेगा। लैंडर विक्रम धरती पर वैज्ञानिकों से सीधे कम्युनिकेट करेगा और यह जानकारी भेजेगा। इस प्रकार चंद्रमा के बारे में अमूल्य जानकारी पृथ्वी पर हम तक आ सकेगी।