Chaitra Navratri 2023 Day 9: चैत्र मास की नवमी तिथि आज है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मां दुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। मां सिद्धिदात्री माता पार्वती का वो स्वरूप हैं जिनकी पूजा करने से रोग, भय और शोक से छुटकारा मिलता है। इसके अतिरिक्त, माता के बीज मंत्र के निरंतर जाप से तामसिक एवं सात्विक दिव्य विद्याओं का शरीर में संचार होता है । इस दिन माता सिद्धिदात्री की उपासना से उपासक की सभी सांसारिक इच्छाएं और आवश्यकताएं पूर्ण हो जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है. इनकी अराधना करने से यश, बल और धन की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप
मां सिद्धिदात्री मां लक्ष्मी की तरह कमल पर विराजमान रहती हैं और ये चार भुजाओं से युक्त हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प और ऊपर वाले में शंख है। वहीं बाएं तरफ के नीचे वाले हाथ में गदा और ऊपर वाले हाथ में चक्र है। मां दुर्गा इस रूप में लाल वस्त्र धारण की हैं।
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महानवमी मुहूर्त (Chaitra Navratri 2023 Day 9)
नवमी तिथि का प्रारंभ- 10 अप्रैल देर रात 01 बजकर 32 मिनट से शुरू
नवमी तिथि समाप्त- 11 अप्रैल सुबह 03 बजकर 15 मिनट तक
मां सिद्धिदात्री पूजा विधि
सुबह उठकर स्नान आदि कर्मों के निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद मां सिद्धिदात्री को गंगाजल से स्नान कराएं। मां सिद्धिदात्री को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करने चाहिए। मां सिद्धिदात्री को सफेद रंग बेहद प्रिय है। इसके बाद उन्हें कुमकुम और रोली अर्पित करें. फिर मिठाई, पंचमेवा और फल अर्पित करें। माता की विशेष पूजा में उन्हें नौ प्रकार के फल, नौ प्रकार के फूल अर्पित करने चाहिए। माता सिद्धदात्री को पूड़ी, हलवा, चना, खीर और नारियल प्रिय है। ऐसे में इन चीजों का भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं। माता को भोग लगाने के बाद उनका ध्यान करें। पूजन के अंत में मां सिद्धिदात्री की आरती करें। इसके बाद कन्या पूजन करें. इस दिन 2 से 10 वर्ष की कन्याओं का पूजन और भोजन कराया जाता है।
माता सिद्धिदात्री के मंत्र (Chaitra Navratri 2023 Day 9)
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥
मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
जब भी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,
तेरी पूजा में तो न कोई विधि है
तू जगदम्बे दाती तू सर्वसिद्धि है!!
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,
तुम सब काज उसके कराती हो पूरे
कभी काम उसके रहे न अधूरे!!
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया,
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली!!
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा,
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता!!