Bhai Dooj Muhurat : क्‍यों मनाया जाता हैं भाई दूज का पावन पर्व, जानिए शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्‍व

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Bhai Dooj Muhurat : कैसे मनाया जाता हैं भाई दूज का पावन पर्व, जानिए शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्‍व
Bhai Dooj Muhurat : कैसे मनाया जाता हैं भाई दूज का पावन पर्व, जानिए शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्‍व

Bhai Dooj Muhurat : पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रति वर्ष भाई दूज का पर्व कार्तिक मास की शुक्‍ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। भाई दूज (Bhai Dooj Muhurat) का यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है साथ ही इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र और सफल जीवन के लिए व्रत भी रखती हैं। साथ ही इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर उनसे तिलक करवाते हैं और उन्हें भेंट देते हैं। भाई दूज पर बहनों द्वारा अपने भाई को दिए जाने वाले नारियल के गोले का भी विशेष महत्व है। आइए जानते है भाई दूज (Bhai Dooj Muhurat) के महत्‍व के बारे में….

तिलक करने की विधि (Bhai Dooj Muhurat)

पौराणिक मान्यता है कि इस दिन यम अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने गए थे। ऐसे में भाईयों को अपनी बहन के ससुराल जाना चाहिए। वहीं कुंवारी लड़कियां घर पर ही भाई का तिलक करें। भाई दूज (Bhai Dooj Muhurat) के दिन सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करते हुए पूजा अवश्य करनी चाहिए। वहीं भाई का तिलक करने के लिए पहले थाली तैयार करें उसमें रोली, अक्षत और गोला रखें तत्पश्चात भाई का तिलक करें और गोला भाई को दें। फिर प्रेमपूर्वक भाई को मनपसंद का भोजन करवाएं। उसके बाद भाई अपनी बहन से आशीर्वाद लें और उन्हें भेंट स्वरूप कुछ उपहार जरूर दें।

तिलक करने का शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj Muhurat)

भाई दूज के दिन शुभ मुहूर्त देखकर ही भाई का तिलक करना चाहिए। ऐसे में भाई दूज के दौरान शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। 2 घंटे की इस अवधि में भाई का तिलक करना शुभ रहेगा।

भाई दूज का महत्व (Bhai Dooj Muhurat)

हिंदू धर्म में भाई दूज (Bhai Dooj Muhurat) के पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि ये पर्व भाइयों और बहनों के बीच के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। भाई दूज (Bhai Dooj Muhurat) के दिन बहने अपने भाई को नारियल भेंट करती हैं। इसे बहुत ही शुभ माना गया है। मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के विशेष अवसर पर जो भी बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उन्हें नारियल का गोला देती हैं, उनके भाईयों का स्वास्थ्य हमेशा ठीक बना रहता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि नारियल का गोला देने से भाई बहन के बीच का अटूट प्रेम हमेशा बना रहता है। इससे भाईयों की आयु भी लंबी होती है, यही कारण है कि इस दिन बहनों द्वारा भाईयों का नारियल दिया जाता है।

ऐसे हुई शुरुआत (Bhai Dooj Muhurat)

भाई दूज की कथा यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथा के अनुसार जब यमुना ने यमराज को अपने घर आमंत्रित किया तो यमराज पहले को चिंता में पड़ गए, लेकिन बाद में उन्होंने इस आमंत्रण को स्वीकार कर लिया। बहन के आदर सत्कार से यमराज बहुत ही प्रसन्न हुए। अपने भाई को विदा करते समय बहन यमुना ने उन्हें नारियल का गोला भेंट किया। जब यमराज ने इस ने इसका कारण पूछा तो यमुना ने कहा, “यह नारियल आपको मेरी याद दिलाता रहेगा”। माना जाता है कि इसी का बाद से यह परम्परा चली आ रही है।

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