▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़
Betul Waterfall : (बैतूल)। यूं तो पूरे बैतूल जिले में ही कुदरत ने जमकर खूबसूरती की छटा बिखेरी है। किसी भी मौसम में यहां हरे-भरे जंगलों में चहुं ओर बिखरी लोगों का मन मोह लेती है। वहीं बारिश के मौसम में तो जिले का प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है। खासकर जगह-जगह ऊंचे पहाड़ों से झर-झर झरते झरने इस सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। उनका अद्भुत सौंदर्य लोगों का मन मोह लेता है।
माँ ताप्ती के वनों में भी इन दिनों नयनाभिराम और मनमोहक झरने प्राकृतिक सुंदरता बिखेर रहे हैं। ग्राम खेड़ी सांवलीगढ़ से 5 किलोमीटर दूर सराड़ ग्राम पंचायत के आदिवासी ग्राम चिचढाना के पास ऊँची पहाड़ी से गिरता हुआ यह झरना लोगों के आकर्षण का केंद्र बना है। इस झरने को रानी पठान के नाम से जाना जाता है। ग्राम के मनोहरी पाटिल देवराव उइके बताते हैं कि रानी पठान वह झरना है जहाँ महारानी विक्टोरिया रुकी थीं। तब से उसे क्षेत्रवासी रानी पठान कहते हैं।
इसी तरह यहां दूसरा झरना है दूधधारा। इस झरने का पानी दूध के जैसा दिखलाई देता है। इसलिए इसे ग्रामीणों ने दूधधारा नाम रख दिया है। लोग कन्हिया कोल जलप्रपात के बाद इन दोनों झरनों की यात्रा करते हैं और इसकी खूबसूरती का खासा आनंद उठाते हैं। वे घंटों तक खूब प्रकृति की इस सुंदरता को निहारते हैं। यहाँ अधिकांश लोग झरने में खड़े होकर सेल्फी भी लेते हैं और वाट्सएप और इंस्टाग्राम में वायरल भी करते हैं। इस क्षेत्र में सर्वाधिक झरने हैं जो वनों की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं।
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जाएं मगर सावधानी है जरूरी(Betul Waterfall)
इन झरनों का सौंदर्य निहारने के लिए हर साल बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। अब तो इंस्टाग्राम और फेसबुक के लिए रील बनाने का भी जमकर चलन चल रहा है। ऐसे में आकर्षक रील बनाने लोग कई तरह के खतरे भी उठाकर अपनी जान जोखिम में डालते हैं। ऐसे रमणीय स्थानों पर आए दिन हादसे होने की खबरें हम पढ़ते, सुनते और देखते ही रहते हैं। ऐसे में बेहतर है कि अपनी सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। इन स्थानों पर पर्याप्त सावधानी बरतें और महज एक अच्छी रील या कुछ आकर्षक फोटोग्राफ्स के लिए अपनी जान कतई जोखिम में ना डालें।