▪️ अंकित सूर्यवंशी, आमला
Betul Update: बैतूल जिले के आमला शहर में कहने को तो वैसे करोड़ों रुपए की लागत से सिविल अस्पताल बनाया गया है, लेकिन क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते इस अस्पताल में मूलभूत सुविधाए भी नहीं है। साथ ही यहाँ डॉक्टरों की पदस्थापना भी नहीं हो रही है। इस कारण क्षेत्र के लोग जिला मुख्यालय जाने पर मजबूर हो रहे हैं। कई गंभीर तो बीच राह में ही दम तोड़ रहे हैं। ऐसा ही कुछ नजारा आज देखने को मिला।
विकास खण्ड के ग्राम गुबरेल निवासी मुन्नालाल सिंघारे अपने पुत्र सुमित व पत्नी के साथ दोपहिया वाहन से आमला से निवास ग्राम गुबरेल की ओर जा रहे थे। इसी बीच ग्राम तिरमहू के पास सामने से आ रहे चौपहिया वाहन ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। जिससे वह तीनों घायल हो गए।
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घायलों को उपचार हेतु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिविल अस्पताल आमला लाया गया। यहां सुविधाओं के अभाव में उनको प्राथमिक उपचार दे दिया गया और जिला चिकित्सालय बैतूल रेफर कर दिया गया। इस बीच मुन्नालाल सिंघारे ने अपना दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद से शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों को लेकर आक्रोश बढ़ने लगा है। लोगों का कहना है कि जो अस्पताल एक जान नहीं बचा सकता, ऐसे अस्पताल के होने या नहीं होने का क्या फायदा।
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घायलों की मदद करने वाले तिरमहू निवासी रविकांत उघड़े ने कहा कि ऐसे करोड़ों से निर्मित अस्पताल का क्या फायदा जो बेशकीमती जान न बचा सके। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते आज एक गरीब की जान चली गई। अगर सिविल अस्पताल में पर्याप्त डॉक्टर और जरुरी उपकरण मौजूद रहते तो घायलों को जिला चिकित्सालय नहीं जाना पड़ता एवं समय रहते उपचार मिल जाता। जिससे व्यक्ति की जान बच जाती। व्यवसायी आशिफ मेमन ने कहा कि अस्पताल का लोकार्पण करने तो जिले के पूरे नेता आए, लेकिन उस अस्पताल की कमी को देखने यहाँ के चुने हुए जनप्रतिनिधि तक नहीं आए। ऐसे अस्पताल का क्या फायदा जहां पर्याप्त सुविधा न हो, पर्याप्त डाक्टर न हो और लोगों की जान न बच सके। यह जनप्रतिनिधि की उदासीनता है।