Betul Today News: बंसल कंपनी ने बड़े पैमाने पर किया अवैध उत्खनन, ग्रामीणों की शिकायत पर प्रकरण दर्ज, डंपर जब्त
Betul Today News: Bansal company did illegal mining on a large scale, case registered on complaint of villagers, dumper seized
Betul Today News: (बैतूल)। बैतूल–इंदौर नेशनल हाईवे का निर्माण कर रही कंपनी बंसल पाथवेज प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा ग्राम परसोड़ा के पास लेंडी नदी में बड़े पैमाने पर मुरम का अवैध उत्खनन किया गया है। यहां खसरा नंबर 68 और 50 में रातों रात मशीनों की मदद से मुरम का अवैध उत्खनन किया जा रहा था। लंबे समय से चल रहे इस अवैध उत्खनन पर ग्रामीणों की शिकायतों के बाद आखिरकार खनिज विभाग ने बुधवार को कार्यवाही की है। विभाग ने प्रकरण बनाने के साथ ही मौके से एक डंपर भी जब्त किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्रामीणों के द्वारा इस अवैध उत्खनन की शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों से की गई थी। इसके बाद बुधवार को खनिज और राजस्व विभाग का अमला मौके पर पहुंचा। मौके पर संयुक्त टीम को बड़े क्षेत्र में मुरम का अवैध उत्खनन दिखाई दिया और एक डंपर भी खड़ा मिला। खनिज विभाग के निरीक्षक वीरेंद्र वशिष्ठ और राजस्व अमले के द्वारा डंपर जब्त करने के साथ मौके पर की गई खुदाई की नपाई की।
इतने मुरम का किया अवैध उत्खनन
संयुक्त टीम के द्वारा की गई नपाई में सामने आया है कि 40 हजार क्यूबिक मीटर से अधिक मुरम का अवैध रूप से रातों रात मशीनों की मदद से उत्खनन किया गया है। टीम के द्वारा कंपनी के साइट इंचार्ज से भी पूछताछ की गई है। मौके पर ही पंचनामा बनाकर नजरी नक्शा तैयार किया गया है। इसके साथ ही प्रकरण भी तैयार किया गया है।
कलेक्टर न्यायालय में पेश होगा प्रकरण
खनिज विभाग के द्वारा अवैध उत्खनन कर ले जाई गई मुरम का मूल्यांकन कर प्रकरण कलेक्टर न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि बैतूल-इंदौर हाईवे का निर्माण कर रही कंपनी के द्वारा नियम कायदों को ताक पर रखने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। इसके बाद भी कंपनी पर प्रशासन के द्वारा ठोस कारवाई नही की गई है। किसानों के द्वारा कंपनी की मनमानी को लेकर हाल ही में कलेक्टर से शिकायत भी की गई है।
इतने दिन क्या करता रहा विभाग
मौके पर हुआ अवैध उत्खनन कोई एक दो रात में नहीं हुआ है। ग्रामीणों की माने तो यहां लंबे समय से अवैध उत्खनन चल रहा था। इसके बावजूद अवैध उत्खनन रोकने को तैनात खनिज विभाग ने इस ओर ध्यान दिया और न ही राजस्व विभाग ने ध्यान देना मुनासिब समझा। इससे इन विभागों की कार्यप्रणाली का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि निर्माण कंपनी पर किस कदर मेहरबानी की जा रही थी।