Betul Tapti Tarpan: अपने पुरखों के उद्धार और मोक्ष की कामना लिए ग्रामीण पुण्य सलिला माँ ताप्ती में कर रहे तर्पण

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Betul Tapti Tarpan: अपने पुरखों के उद्धार और मोक्ष की कामना लिए ग्रामीण पुण्य सलिला माँ ताप्ती में कर रहे तर्पण
Betul Tapti Tarpan: अपने पुरखों के उद्धार और मोक्ष की कामना लिए ग्रामीण पुण्य सलिला माँ ताप्ती में कर रहे तर्पण

▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ीसांवलीगढ़

Betul Tapti Tarpan: मुलतापी उदगम से निकलकर पुण्य सलिला आदि गंगा माँ ताप्ती इस धरती के जिस भी पथ से बह कर निकलती है। वह पथ पावन और पवित्र हो जाता माँ ताप्ती के जल आचमन और मात्र दर्शन करने से कई पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। माँ ताप्ती की महिमा का बखान हजार हजार मुखों से भी किया जावे तो कम है। ऐसी ही माँ देवी ताप्ती के पावन जल में खड़े होकर जो भी अपने पूर्वजो पितरों का तर्पण करता है, माँ ताप्ती की कृपा से उसके पितरों का कल्याण ही नही बल्कि वे इस संसार के बार बार जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। पंद्रह दिनी पितृ पक्ष श्राद्ध का समय जैसे जैसे विदाई की ओर अग्रसर हो रहा है। (Betul Tapti Tarpan)

पुण्य सलिला माँ ताप्ती के तट बड़ी संख्या में ग्रामीण अपने पुरखों के उद्धार के लिए ताप्ती नदी के तट कतारबद्ध होकर ताप्ती जल में पंडितो के मंत्रोचार के साथ अपने पितृ जनों का तर्पण कर रहे है। हाल ही माँ ताप्ती की महिमा जानकर भोपाल अकोला आदि शहरों से ग्रामीणों ने खेडी घाट पर तर्पण कर श्राद्ध किया और पितरों को विदाई दी और आशीर्वाद ग्रहण किया। ताप्ती नदी का महत्व माँ गंगा, नर्मदा से भी अधिक है। तभी तो लोग बड़े शहरों से भी ताप्ती नदी के तट पितृ तर्पण (Betul Tapti Tarpan) के लिए आ रहे है। कहा जाता है कि रामायणकाल में प्रभु श्री राम लक्ष्मण ने भी बारहलिंग में अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान तर्पण किया था। यह पृथ्वी की प्रथम नदी मानी जाती है।

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