▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़
Betul Samachar: यूं तो राजनेता विकास की लंबी फेहरिस्त गिनाते नहीं थकते हैं, लेकिन आज भी मध्यप्रदेश (Madhyapradesh) के बैतूल जिले (Betul District) के कई गांव ऐसे हैं जहां तक विकास आज भी नहीं पहुंच सका है। इन गांवों के लोगों की बदनसीबी ही कही जाएगी कि बिजली जैसी बुनियादी सुविधा तक से वे वंचित हैं। इसके चलते वे बिजली पर आधारित उपकरणों तक का उपयोग भी नहीं कर पा रहे हैं।
आदिवासी बहुल भीमपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत हर्रा के रैयतवाड़ी गांव को भी इन्हीं बदनसीब गांवों में रखा जा सकता है। यहां के ग्रामीणों को आजादी के 75 वर्ष बाद भी बिजली की रोशनी नसीब नहीं हो पाई हैं। जिससे रोजमर्रा के कार्यों में उन्हें भारी परेशानी उठाना पड़ता है। ग्रामीण न तो मोबाइल चला पाते हैं और न ही टीवी देख पाते हैं। बच्चों को भी पढ़ाई-लिखाई में परेशानी होती है। महिलाओं को भी घरेलू कामकाज में भारी दिक्कत होती है।
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कई बार लगा चुके हैं गुहार
इस विषय में ग्रामीणों ने कई मर्तबा नेताओं एवं अधिकारियों से इस विषय में गुहार लगाई और बिजली उपलब्ध कराने की मांग की। उन्हें आश्वासन तो थोक में मिले, लेकिन बिजली आज तक नहीं मिल पाई। जन प्रतिनिधियों ने भी ग्राम रैयतवाड़ी की बिजली समस्या के निराकरण के लिए कोई कदम नहीं उठाया। यही वजह है कि शाम होते ही गांव की गलियां अंधेरे में डूब जाती हैं। वहीं घरों में चिमनियों के सहारे रोशनी करके लोग काम चलाते हैं। ग्रामीण बताते है कि बिजली के अभाव में ग्राम रैयतवाड़ी में वे अनेक परेशानियों से जूझ रहे हैं।
परेशानियों से जूझ रहे ग्रामीण
ग्राम के लोगों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भीमपुर प्रवास के दौरान उन्हें भी बिजली के लिए आवेदन पत्र दिया है। अब ग्रामवासी एक बार फिर आशान्वित हैं कि इस बार उनकी सुनवाई जरुर होगी। ग्राम के रामसिंग ने बताया कि उन्हें बिजली से चलने वाले उपकरणों की भी जरूरत होती है, लेकिन अंधेर नगरी रैयतवाड़ी में कुछ भी संभव नहीं हो रहा। उन्होंने जल्द बिजली उपलब्ध कराए जाने की मांग की है।
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