Betul Pradeep Mishra Ki Katha: बैतूल जिले के इतिहास में शायद यह पहला मौका था जब कोई शिवपुराण आरंभ हुई और पहले ही दिन एक लाख से अधिक श्रध्दालु कथास्थल पहुंचे। सारी व्यवस्थाएं इतनी अच्छी थी कि न सिर्फ शिवभक्तों ने बल्कि स्वयं पंडित प्रदीप मिश्र ने समिति के आयोजन की प्रशंसा की।
मां ताप्ती शिवपुराण समिति के बैनर तले शिवधाम कोसमी फोरलेन पर 12 से 18 दिसंबर तक शिवपुराण का आयोजन बाथरे परिवार और किलेदार परिवार ने किया।
आयोजन समिति के सहसंयोजकव्दय आशु किलेदार और योगी खंडेलवाल ने बताया कि आज सुबह 9 बजे ही शिवपुराण के लिए भक्त कथास्थल पहुंचने लगे थे जबकि करीब 7-8 हजार शिवभक्त रात को ही कथास्थल पर आकर अपना डेरा जमा चुके थे। समिति ने इनके आवास भोजन की व्यवस्था की थी।
कथा एक बजे आरंभ होने वाली थी जो थोड़ा विलंब से करीब डेढ़ बजे आरंभ हुई। पंडित जी का जोरदार स्वागत भक्तों ने किया। व्यास पीठ का पूजन कौशल्या बघेल, संजय और रश्मि बाथरे परिवार, राजा ठाकुर और संपूर्ण किलेदार परिवार, विधायक सुखदेव पांसे, अरूण गोठी, नवनीत मालवीय, पिंटु परिहार परिवार, सुनील व्दिवेदी परिवार, बबलू खुराना परिवार ने आदि शिवभक्तों ने किया।
फैशन और व्यवसन से दूर रहें शिवभक्त : पंडित प्रदीप मिश्रा
हर किसी को फैशन और व्यसन से बच कर रहना ही होगा। शराब, जुआ, वेश्यावृत्ति, मांसाहार आदि व्यसन ऐसे हैं जिनमें धन जाना शुरू होता है तो गड़बड़ शुरू हो जाती है। ऐसा होने पर ज्यादा दिन का ठिकाना नहीं रहता है। ऐसी गलती न तो अपनाएं और यदि अपना चुके हैं तो उसे जल्द से जल्द सुधार लें। यह सीख विख्यात कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने बैतूल के शिवधाम कोसमी में शुरू हुई मां ताप्ती शिवपुराण कथा के प्रथम दिवस दी।
मां ताप्ती शिवपुराण समिति के तत्वावधान में हो रही इस कथा में पं. मिश्रा ने कहा कि हर व्यक्ति और उसके परिवार के पेट की जिम्मेदारी महादेव की है। लेकिन, जब व्यक्ति गलत संगत में पड़कर व्यसन अपना लेता है तो फिर पेट भरने की जिम्मेदारी महादेव नहीं लेते हैं। यदि अचानक परिवार में धन की कमी पड़ने लगे, परिवार में क्लेश होने लगे तो यह तय है कि परिवार के किसी न किसी सदस्य ने उसे गलत जगह लगा दिया। गलत जगह पैसा लगने पर फिर महादेव भी धन देना बंद कर देते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने शाकाहार अपनाने और नशामुक्ति का संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि जब तक परिवार में स्नेह व खुशी बनी रहेगी, धन सही जगह लगता रहेगा, तब तक धन की कमी नहीं पड़ेगी। इसी तरह शरीर के हर अंग को भी नेक कार्य में लगाना जरुरी है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति शिव को पिता मान कर उनके पास जाएं और मन की बात कहे। हर समस्या का निदान भगवान भोलेनाथ करेंगे।
यहां देखें आज की कथा
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बेटियां कन्यादान का अवसर पिता को दें
आगे कथा सुनाते हुए पं. मिश्रा ने कहा कि बेटियां परायों के दिखावे, आडंबर और फैशन के झांसे में न आएं और मनमर्जी किए बगैर कन्यादान का अवसर केवल अपने पिता को दें। सनातन धर्म कहता है कि बेटी का कन्यादान करने वाले माता-पिता को कभी 94 नर्क में नहीं जाना पड़ता। बेटियां ही पिता को स्वर्ग या नर्क में पहुंचाती है।
अपनी बात स्पष्ट करने के लिए उन्होंने दिल्ली में श्रद्धा के हुए हश्र की जानकारी भी। वहीं पिताओं को भी सीख देते हुए उन्होंने कहा कि वे अपनी बेटियों का विवाह उनसे दोगुनी योग्यता और विद्वता वाले वर से ही करें। इसके लिए उन्होंने भगवान विश्वकर्मा, दक्ष प्रजापति और राजा जनक का उदाहरण भी दिया। उन्होंने यह बात भी कही कि गाय, लक्ष्मी और बेटी यदि गलत जगह दे दें तो देने वाले को रोना पड़ता है।
मां ताप्ती की महिमा से कथा की शुरूआत
पं. मिश्रा ने मां ताप्ती की महिमा सुनाते हुए कथा की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि जीवन में परमात्मा को ढूंढने के लिए लगातार नए-नए तरीके ढूंढना चाहिए। जिस तरह मोबाइल बिगड़ने पर हम पहले खुद सुधारते हैं, न सुधरने पर परिवार के सदस्यों, दोस्तों और अंत में मैकेनिक को दिखाते हैं। उसी तरह मन, बुद्धि, चित्त को पहले खुद ठीक करें, न हो तो परिवार और दोस्तों के साथ प्रयास करें। इस पर भी ठीक न हो तो फिर ऐसे आयोजनों में 7 दिनों के लिए भगवान की शरण में आ जाएं। परमात्मा तक लाकर बुद्धि, चित्त, मन को छोड़ दो। यहां मन भगवान की भक्ति में डूब जाएगा तो जीवन सार्थक हो जाएगा।
एक लोटा जल चढ़ाने का महत्व जाना
पं. मिश्रा ने कहा कि पहले हम मंदिर जाते थे पर यह पता नहीं था कि एक लोटा जल चढ़ाने से क्या हासिल हो जाता है। जब शिवत्व को जाना तो यह पता चला कि भगवान की भक्ति का फल क्या है। यह बाथरे और किलेदार परिवार जो कथा करा रहे हैं, वे शिव के रसत्व का ग्रहण कर चुके हैं। इसलिए कथा को बैतूल लाए। भगवान भोलेनाथ की महिमा बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह पक्षी हजारों फलों में मीठा फल ढूंढ लेता है, उसी तरह देवाधिदेव भी अपने भक्तों को ढूूंढ लेते हैं। इस आयोजन में मां ताप्ती और भोले के रसत्व में जितना डूब सकते हैं, उतना डूब जाओं।
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कथा करने से नजर आते हैं सच्चे भक्त
उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह ब्लड की जांच से बीमारी पता चल जाती है, उसी तरह कथा कराने से पता चल जाते हैं कि सच्चे भक्त कौन हैं। उन्होंने उन श्रद्धालुओं को सच्चा भक्त बताया जो सुबह 7 बजे से कथा सुनने के लिए बैठे रहते हैं और रात भर भी तमाम परेशानियां सहकर भी यहीं रूकते हैं।
उन्होंने बैतूलवासियों का यह आह्वान भी किया कि वे कथा सुनने नहीं आ सकते तो कम से कम इन भक्तों को देखे, इनकी निष्ठा देखें। यह भी तपस्या है और यह भक्त साधु-संत से कम नहीं है। वे भगवान शिव की अविरल भक्ति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मां ताप्ती और शिव बाबा की कृपा हुई है तब बैतूल में यह कथा हो रही है। यहां की व्यवस्था शिव कृपा से खुद ही हो रही है। शिव के रूप में बैतूलवासियों ने सारी व्यवस्था संभाल ली है। उन्होंने बैतूल में हुई व्यवस्थाओं की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
पहले दिन ही उमड़ा अपार जन सैलाब
बैतूल में शुरू हुई कथा के पहले ही दिन भक्तों का अपार सैलाब उमड़ पड़ा। डोम और टेंट खचाखच भर चुके थे वहीं टेंट के बाहर भी हजारों श्रद्धालु बैठकर कथा सुन रहे थे। यही कारण है कि पं. मिश्रा ने भी मंच से आयोजन समिति से अनुरोध किया कि टेंट और बढ़ाएं ताकि श्रद्धालुओं को बाहर न बैठना पड़े। हालांकि आयोजन समिति की चाक चौबंद व्यवस्थाओं के कारण श्रद्धालुओं को जरा भी परेशानी नहीं उठाना पड़ा।
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पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे ने की आरती
कथा के पहले दिन कथा समाप्ति के बाद आरती हुई। प्रथम दिवस की आरती मुलताई विधायक और पूर्व पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने की। इस अवसर पर बाथरे और किलेदार परिवार के सभी सदस्य उपस्थित थे।