▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़
Betul News: झल्लार घाट के संत गजानन मंदिर के निर्माणकर्ता एवं माँ नर्मदा के तट आवली घाट में विशाल आश्रम बनाकर निवास करने वाले माँ नर्मदा और शेगांव निवासी संत गजानन महाराज के अनन्य भक्त बाबा उमानाथ ने बीती रात अंतिम साँस ली। वे कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्हें आवली घाट से झल्लार आश्रम लाया जा रहा है। जहाँ हजारों अनुयायियों के समक्ष उन्हें समाधि दी जावेगी।
बाबा उमानाथ के शिष्य और अनुयायी बड़ी संख्या में उनके निधन की खबर सुनकर झल्लार आश्रम पहुंच रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन में माँ नर्मदा की भक्ति कर हजारों भक्तों को भक्ति की प्रेरणा दी। सिवनी मालवा से भी बड़ी संख्या में उनके भक्त पहुँच रहे हैं।उन्होंने कई भक्तों को जीवनदान दिया। उनके चमत्कारों से लोग उनसे बेहद प्रभावित थे।
सन्त उमानाथ झल्लार के रहने वाले थे। पूर्व में उन्हें झल्लार गजानन मंदिर में पुजारी रखा गया था। किन्हीं कारणों से उन्होंने उस मंदिर को छोड़कर गांव के बाहर झल्लार के घाट के समीप एक खेत में उन्होंने गजानन महाराज का मंदिर बनवाया और रहने लगे। बताया जाता है कि गजानन महाराज की उन पर विशेष कृपा थी। वे जो भी बोल दे सच होता था। यही कारण था कि भक्तों का हुजूम बाबा उमानाथ से जुड़ने लगा और वे धीरे-धीरे माँ नर्मदा की भक्ति की ओर प्रेरित होने लगे। वहाँ भी भगवती देवी नर्मदा की तपस्या की उन्हें सार्थकता मिली। वहाँ भी नर्मदा किनारे उनके चमत्कारों से अभिभूत होकर हजारों भक्त उनसे जुड़े। विगत एक वर्ष से वे लगातार अस्वस्थ रहने लगे और 70 वर्ष की आयु में उन्होंने माँ नर्मदा के किनारे अंतिम साँस ली।