▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़
Betul News: केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा गरीबों को आवास उपलब्ध करने आवास योजना चलाई जा रही है लेकिन जमीनी हकीकत तो यह है कि आज भी कई जरूरतमंद योजना के लाभ से वंचित हैं। पात्र होने के बावजूद कई गरीब परिवार खंडहर बने मकान में जान हथेली पर रख कर रह रहे हैं। दफ्तरों के बार-बार चक्कर काटने के बावजूद उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
ऐसा ही एक मामला विकासखंड भैंसदेही की ग्राम पंचायत केरपानी के ठेस्का गांव का सामने आया है। इस गांव की सुखवंती उइके ने बताया कि बीते सप्ताह तेज चक्रवाती हवा और बरसात से उसके मकान की दीवार ढह गई। इस घटना में मेरे तीन बच्चे और सासू बाल-बाल बच गए। मकान बहुत पुराना है अब तक उन्हें उसी खंडहर बने मकान में ही रहना पड़ रहा है। सुखवंती परिवार में कमाने वाली खुद ही है। मजदूरी करके सास और तीन बच्चों का लालन पालन करती है। सुखवती का कहना है कि उसने ग्राम पंचायत एवं पटवारी को भी अपनी दयनीय स्थिति से अवगत कराया, लेकिन उसे कोई सरकारी मदद नहीं मिल रही है। इन हालातों में बस ऐसे ही जर्जर और खंडहर मकान में बच्चों के साथ रहकर गुजारा कर रही हूँ।
मुझ गरीब की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पड़ोस के लोग ही उसकी कभी-कभी मदद कर देते हैं। अब समस्या यह है कि बरसात में वह बच्चों के साथ कहां रहेगी? इसे में या तो सरकार उसे जांच कर आवास उपलब्ध कराएं या बरसात के पूर्व उसे तिरपाल का तंबू बनाकर दें।सुखवंती का कहना है कि अगर अब तेज हवा चली तो रहा सहा मकान भी ढह जाएगा, जिसमें जान माल के नुकसान की जिम्मेवारी सरकार और पंचायत की होगी। मैं अपने बच्चों का ही भरण पोषण नहीं कर पा रही हूं। अब तो हम सभी के इस मकान में दबकर मरने की स्थिति बन गई है।