Betul Forest News : बैतूल। यूं तो बैतूल जिला ‘सतपुड़ा के घने जंगल’ के लिए जाना जाता है। जिले की सीमा में प्रवेश करते ही यहां हर तरफ छाई हरियाली देख कर हर किसी का मन झूम उठता है। इसके बावजूद मार्च, अप्रैल और मई के महीनों में यह जंगल भी नीरस हो जाते हैं।
इसकी वजह यह है कि भीषण गर्मी में जंगल की सारी हरियाली गायब हो जाती है। पेड़ों की सारी पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं और पेड़ किसी ठूंठ की मानिंद नजर आते हैं। इसके चलते जंगल में न हरियाली रह जाती है और न ही सुकून मिलता है।
यही कारण है कि गर्मियों में जंगल के रास्तों का सफर भी बड़ा बेरूखा लगता है। यह बात अलग है कि इस बार की गर्मियों में भी जिले के जंगलों का नजारा कुछ जुदा है। भीषण गर्मी के लिए मशहूर मई महीने में भी जिले के जंगल हरियाली से लदे हैं। इससे ऐसा एहसास होता है कि अभी मई नहीं बल्कि जुलाई-अगस्त का महीना है।
अप्रैल में जमकर हुई बारिश (Betul Forest News)
जंगलों के अभी भी हरियाली से लदे होने की प्रमुख वजह इस साल अभी तक लगातार हुई बारिश है। बीते साल बारिश का मौसम खत्म होने के बावजूद शायद ही कोई महीना गया होगा जब बारिश नहीं हुई हो। खासकर अप्रैल का महीना तो ऐसा एहसास करा गया कि जैसे मानसून का सीजन चल रहा है।
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बारिश से जंगल को फायदा (Betul Forest News)
बेमौसम हुई इस बारिश ने भले ही आम, महुआ सहित अन्य कई फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया, लेकिन पेड़ों को यह फायदा हुआ कि उनकी हरियाली गायब नहीं हुई। दरअसल, पेड़ों की पत्तियां मार्च-अप्रैल में झड़ी जरुर, लेकिन इस बीच बारिश होने से जुलाई के बजाय अप्रैल-मई में ही दोबारा पत्तियां आ गई और जंगल हरियाली से खिल उठे।
छांव तक को तरस जाते लोग (Betul Forest News)
अन्य सालों में मार्च से जून-जुलाई के माह तक जंगल से गुजरते राहगीर छांव तक को तरस जाते थे, लेकिन इस साल ऐसा नहीं है। यह तस्वीरें हमें भैंसदेही निवासी समाजसेवी शैलेंद्र राठौर ने भेजी है। उन्होंने महाराष्ट्र जाते समय सांवलमेंढा के आसपास के जंगल से यह तस्वीरें ली।
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जिले में इतने क्षेत्र में है जंगल (Betul Forest News)
गौरतलब है कि बैतूल जिले में 3662.73 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जंगल है। यह जिले के क्षेत्रफल का 36.47 प्रतिशत है। अन्य जिलों में जहां जंगल का क्षेत्र कम हो रहा है, वहीं बैतूल में वन विभाग के प्रयासों से जंगल बढ़ रहा है।
वर्ष 2011 में यहां 3572 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जंगल था। इस तरह 13 सालों में इसमें जंगल बढ़ा है। वन क्षेत्र में बैतूल जिला प्रदेश में तीसरे स्थान पर है। यहां का सागौन देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मशहूर है।
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आग लगने की घटनाएं भी कम (Betul Forest News)
पत्तियों के सूख कर नीचे गिर जाने के चलते जंगल में सूखी पत्तियों का अंबार लग जाता था। यही कारण है कि आग लगने की घटनाएं भी हर साल गर्मियों में थोक में होती थी। इस साल जंगल के हरे-भरे होने के कारण आग लगने की घटनाएं भी कम हो रही हैं।
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इसलिए बनी यह स्थिति: प्रो. मेहता (Betul Forest News)
इस संबंध में जेएच कॉलेज बैतूल के पूर्व प्राध्यापक प्रो. (डॉ.) एमके मेहता ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण जिले में लगातार बारिश हुई। इसी वजह से प्रकृति को दोबारा निखर उठने का मौका मिल गया। पतझड़ के बाद पौधों में नई पत्तियां आ गई है। अब मई-जून की की तेज गर्मी में भी यह नहीं झड़ेगी और चिलचिलाती गर्मी से भी राहत मिलेगी।
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