Shahad Ke Fayde : जंगली शहद बना वरदान, हो रही हजारों की कमाई
Shahad Ke Fayde : मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में जंगल से वन उपज संग्रहण करने वाले आदिवासियों को नया मुकाम मिल गया है। अब वे बेहतर तरीके से वनोपज का संग्रहण भी कर पा रहे हैं और अधिक मुनाफा भी उन्हें मिल रहा है। बैतूल के पश्चिम वन मंडल के डीएफओ वरुण यादव की पहल की पहल से यह संभव हो पाया है।
Shahad Ke Fayde : बैतूल। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में जंगल से वन उपज संग्रहण करने वाले आदिवासियों को नया मुकाम मिल गया है। अब वे बेहतर तरीके से वनोपज का संग्रहण भी कर पा रहे हैं और अधिक मुनाफा भी उन्हें मिल रहा है। बैतूल के पश्चिम वन मंडल के डीएफओ वरुण यादव की पहल की पहल से यह संभव हो पाया है।
जंगल से शहद संग्रहण में लगे आदिवासी अब 40 से 50 हजार रुपए महज एक महीने में कमा रहे हैं। डीएफओ ने इन आदिवासियों को जंगल से शहद इक_ा करने भोपाल में ट्रेनिंग दिलवाने के साथ ही शहद संग्राहकों की सुरक्षा के लिए उपकरण भी उपलब्ध करवाए हैं। बिचौलियों से बचाने बाजार भी उपलब्ध करवाया गया है।
पश्चिम वन मंडल में संग्रहित होने वाले शहद की शुद्धता के लिए मप्र राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था भोपाल से आर्गेनिक प्रमाण पत्र दिलवाया गया है। शहद की शुद्धता की जांच विंध्य हर्बल बरखेड़ा भोपाल द्वारा की जाती है। शुद्ध और आर्गेनिक होने के कारण पश्चिम वन मंडल के शहद की मांग बढ़ गई हैं।
पहले आती थी यह समस्याएं
पश्चिमी वन मंडल में शहद संग्रहण का कार्य में कर रहे आदिवासी अभी तक अपने पारंपरिक रतिकों से ही जंगल से शहद इक_ा करते थे। जिससे गैंग के सदस्य कई बार मधुमक्खियों के काटने और पेड़ से गिरने की घटना हो जाती थी।
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प्रशिक्षण के साथ हनी कलेक्शन किट
इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए डीएफओ वरुण यादव ने सभी गैंग के सदस्यों को भोपाल से प्रशिक्षण दिलवाया। इन आदिवासियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए वन विभाग ने गैंग के सभी सदस्यों को हनी कलेक्शन किट मुहैया करवाई है। जिसमें सीढ़ी, हेलमेट, दस्ताने, कपड़े, चाकू, बाल्टी, रस्सी शामिल हैं।
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इतनी गैंग कर रही शहद संग्रहण
पश्चिमी वन मंडल के परसापानी, पीपल ढाना, निशाना, गदाखार, पाट, सेमलडोह, गुरुवा, धुंदरी, घोरपड़, ढोडरा, जनोना सहित अन्य ग्रामों के आदिवासियों की 40 गैंग शहद संग्रहण के कार्य में लगी हुई है। प्रत्येक गैंग में 5 से 10 सदस्य तक होते हैं। प्रत्येक गैंग एक सीजन में 8 क्विंटल तक शहद निकाल लेती है।
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इन इलाकों में भी जाती गैंग
आदिवासियों की ये गैंग पश्चिमी वन मंडल के जंगलों के साथ ही दक्षिण वन मंडल और महाराष्ट्र, खंडवा, हरदा के जंगलों से शहद निकालने का कार्य करती है। शहद निकालने का काम मई और जून में 25 से 30 दिनों के बीच किया जाता है। जिसे आदिवासी अपना सीजन कहते हैं।
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एक सीजन में इतनी कमाई (Shahad Ke Fayde)
एक सीजन में गैंग का प्रत्येक सदस्य 40 से 50 हजार रुपए का शहद निकाल लेता है। इन गैंगों ने पिछले वर्ष 82 क्विंटल शहद संग्रहण कर 18 लाख 50 हजार रुपए कमा लिए थे। इस बार आदिवासियों की सभी गैंगों का टारगेट 120 क्विंटल शहद संग्रहण करने का है।
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शहद ने बदल दी जिंदगी (Shahad Ke Fayde)
शहद संग्रहण के कार्य में लगी गैंग के सौतखेड़ा निवासी सदस्य राजू सेलूकर ने बताया कि वर्षों से हम शहद का संग्रहण जंगल से करते आए हैं। पहले बिचौलिए हमसे औने-पौने दामों में शहद खरीद लेते थे। अब ऐसा बिल्कुल नहीं होता है।
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यह समिति करती है खरीदी (Shahad Ke Fayde)
पिछले कुछ दिनों से पश्चिम मंडल के डीएफओ वरुण यादव द्वारा भोपाल में सभी सदस्यों को ट्रेनिंग दिलवाने और किट दिलवाने के बाद हमारा शहद नांदा समिति अच्छे दाम में खरीद रही है। जिससे हम बड़ी मात्रा में शहद का संग्रहण कर पा रहे हैं।
अब बना रहे यह योजनाएं (Shahad Ke Fayde)
पहले तीन से चार क्विंटल शहद एक गैंग संग्रहण करती थी। अब यह बढ़कर 8 से 10 क्विंटल तक पहुंच गया है। एक सीजन में हम 40 से 50 हजार रुपए तक कमा लेते हैं। इस पैसे से हम मकान बनाने, शादी ब्याह और कुछ सदस्य मोटर साइकिल खरीदने का विचार बना रहे हैं।
इस दाम पर की जाती खरीदी (Shahad Ke Fayde)
प्राथमिक वन उपज सहकारी समिति मर्यादित नांदा के प्रबंधक रामचरण सरनेकर ने बताया कि गैंग से समिति गैंग से 225 रुपए प्रति किलो शहद की खरीदी करती है। समिति ने पिछले वर्ष 82 क्विटंल शहद की खरीदी की थी। इस वर्ष समिति 120 क्विंटल शहद की खरीदी करने का प्रयास कर रही हैं।
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प्राइवेट कंपनी से भी डिमांड (Shahad Ke Fayde)
शहद को विंध्य हर्बल बरखेड़ा भोपाल और वन मेले में विक्रय किया जाता है। नांदा समिति के शहद को आर्गेनिक प्रमाण पत्र मिलने से उसकी शुद्धता के चलते अब प्राइवेट कंपनी भी समिति से शहद खरीदने आगे आने लगी है। आने वाले दिनों में शहद की मांग बढ़ने पर इसका लाभ नांदा समिति के साथ शहद संग्रहण कर रहे आदिवासियों को भी होगा।
इन प्रयासों से आया सुधार : डीएफओ
पश्चिम वन मंडल के डीएफओ वरूण यादव कहते हैं कि सरकार ने शहद का 225 रुपए प्रति किलो ग्राम दाम निर्धारित किया है। हमने डिवीजन की 40 गैंगों को प्रशिक्षण दिलवाया और हनी कलेक्शन किट मुहैया कराई है। समिति के माध्यम से शहद का संग्रहण कर रहे हैं। पिछले वर्ष हमने 18 लाख 50 हजार का शहद खरीदा था। शहद की शुद्धता से हमारे शहद की मांग बढ़ रही है।
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