Beejasani Mandir Betul : बीजासनी माता मंदिर में अखंड ज्योत जलाने से पूरी होती हैं मनोकामनाएं

Beejasani Mandir Betul : मध्यप्रदेश के बैतूल शहर में गंज सब्जी मंडी स्थित बीजासनी माता मंदिर आज जिले का एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन चुका है। यहां के धार्मिक आयोजन भव्य ही नहीं अपितु श्रद्धा एवं भक्ति में सराबोर होने के लिए भी जाने जाते हैं। हाल ही में हुए जन्माष्टमी एवं राधाष्टमी के आयोजन इसका प्रमाण हैं।

Beejasani Mandir Betul : बीजासनी माता मंदिर में अखंड ज्योत जलाने से पूरी होती हैं मनोकामनाएं

विदेशों से भी ज्योत जलवाते हैं श्रद्धालु, पचास साल पहले छोटी सी मढ़िया में विराजी थीं माताजी, नवरात्र में होते विशेष आयोजन

Beejasani Mandir Betul : मध्यप्रदेश के बैतूल शहर में गंज सब्जी मंडी स्थित बीजासनी माता मंदिर आज जिले का एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन चुका है। यहां के धार्मिक आयोजन भव्य ही नहीं अपितु श्रद्धा एवं भक्ति में सराबोर होने के लिए भी जाने जाते हैं। हाल ही में हुए जन्माष्टमी एवं राधाष्टमी के आयोजन इसका प्रमाण हैं।

यहां की प्रत्येक प्रतिमा जागृत है एवं उन श्रद्धालुओं की प्रार्थनाओं का प्रत्यक्ष प्रमाण देती है, जिनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां के नवरात्र, जवारे तथा प्रज्वलित की जाने अखंड ज्योत की बड़ी ही अद्भुत महिमा है। ना केवल बैतूल जिले के श्रद्धालु अपितु नागपुर, रायपुर, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, सीहोर, दिल्ली, ग्वालियर, अमृतसर, मुम्बई, पुणे तथा देश के अन्य कई जगह से लोग नवरात्र में यहां अखंड ज्योत रखवाते हैं।

इन देशों के परिवार भी जुड़े हैं

ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया तथा अमेरिका के भी कुछ परिवार इस मंदिर से कई वर्षों से जुड़े हैं तथा नवरात्र की अखंड ज्योत जलवाते हैं। इस संबंध में जब बीजासनी मंदिर समिति के अध्यक्ष एवं मंदिर के संस्थापक पंडित दीपक शर्मा से जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि आज से लगभग 50 वर्ष पूर्व एक छोटी सी मढिया में माता विराजित थी।

केवल एक ज्योत होती थी प्रज्जवलित

उस समय नवरात्र में केवल 1 अखंड ज्योत प्रज्जवलित की जाती थी। इसके बाद जैसे-जैसे लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती गई, लोगों का विश्वास प्रबल होता गया। लोग अखंड ज्योत अपने तथा अपने परिवार एवं परिजनों के नाम से प्रज्जवलित करवाते गए। आज 400 से भी अधिक परिवार यहां अखंड ज्योत रखते हैं।

अखंड ज्योत रखवाने के यह नियम

इस संबंध में उन्होंने यह भी बताया कि जिस श्रद्धालु को यहां ज्योत रखवाना होता है, उसे एक नंबर दिया जाता है। नवरात्र के प्रथम दिवस पर पूरे विधि विधान से पूजन कर उनके हाथों से ही ज्योत प्रज्जवलित करवाई जाती है। प्रत्येक ज्योत के साथ जवारे का एक घट भी रखा जाता है।

ज्योत और जवारे की रोजाना सेवा

श्री शर्मा से जब इस संबंध में जानना चाहा कि क्या कारण है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की मनोकामनाएं यहां अखंड ज्योत जलाने से पूरी होती है, तब उन्होंने बताया कि यहां ज्योत एवं जवारे की सेवा प्रतिदिन की जाती है। मंदिर समिति के कुछ चुने हुए सेवादार इस कार्य में लगाए जाते हैं। नियम, भक्ति एवं पवित्रता के साथ पूरे मनोयोग से मंदिर समिति के ये सेवाभावी सदस्य ज्योत एवं जवारों की सेवा करते हैं।

सभी देवी-देवाताओं का आह्वान

प्रतिदिन सभी देवी देवताओं का आव्हान किया जाता है, भोग लगाया जाता है। मंदिर में प्रतिदिन शाम 7.30 पर विशेष महाआरती होती है। महाप्रसाद का भोग लगाया जाता है। दुर्गा सप्तशती का अत्यंत विधि विधान से हवन होता है। भोग व श्रंृगार अर्पित होता है। लगभग 5000 से अधिक लोगों को भंडारा कराया जाता है।

मां ताप्ती में किया जाता विसर्जन

ज्वारों का विसर्जन अत्यंत पवित्रता के साथ मां ताप्ती में किया जाता है जो मां का मां के साथ मिलन है। इन सब कारणों से शक्ति की जो आराधना यहां की जाती है, उससे मां प्रसन्न होती है तथा मनोकामना पूर्ण करती है।

इस बार नवरात्र पर यह कार्यक्रम

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि 3 अक्तूबर से नवरात्र प्रारंभ होंगे। दोपहर 12 बजे पूजन एवं ज्योत प्रज्जवलन, घट स्थापना का समय रखा गया है। जिस किसी को भी अखंड ज्योत रखवाना हो वे मंदिर में पुजारी जी अथवा मंदिर समिति के सदस्यों से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने मंदिर समिति की ओर से समस्त बैतूलवासियों से इस आयोजन में सम्मिलित होने का आह्वान किया है।

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