Agro Advisory MP : मध्यप्रदेश में मौसम का मिजाज अभी खराब चल रहा है। इस बीच 2 से 6 मार्च तक इसके और भी खराब होने का अंदेशा है। इस दौरान आंधी-तूफान ही नहीं बल्कि बारिश होने और ओलावृष्टि की भी आशंका है। ऐसे में खेतों में तैयार होकर खड़ी या पकने की कगार पर पहुंची फसलों की चिंता किसानों को सता रही है।
इसी के मद्देनजर जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र, छिंदवाड़ा तथा भारत मौसम विज्ञान विभाग ने संयुक्त रूप से बैतूल जिले के लिए एग्रो एडवायजरी जारी की है। इसमें नोडल अधिकारी डॉ. विजय पराडकर और तकनीकी अधिकारी डॉ. संतकुमार शर्मा ने विस्तार से जानकारी दी है कि ऐसे मौसम में आपदा और रोगों से फसलों को कैसे बचाए।
ऐसे बदलेंगे मौसम के रंग (Agro Advisory MP)
उन्होंने बताया कि भारत मौसम विज्ञान विभाग, भोपाल द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान के अनुसार अगले 120 घंटों के दौरान (02 मार्च 06 मार्च 2024) घने से साफ बादल रहेंगे एवं 02 मार्च को बिजली एवं आंधी के साथ बहुत हल्की बारिश होगी। 03 मार्च को ओलावृष्टि, गरज, बिजली और तेज हवा के साथ हल्की बारिश की संभावना है।
अधिकतम तापमान 30-33 डिग्री सेन्टीग्रेट एवं न्यूनतम तापमान 15-16 डिग्री सेन्टीग्रेट के मध्य रहने की संभावना है। अधिकतम सापेक्षित आर्द्रता 69-95 प्रतिशत एवं न्यूनतम सापेक्षित जार्दता 35-75 प्रतिशत रहने की संभावना है। आने वाले दिनों में हवा दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम एवं पश्चिम दिशाओं में बहने एवं 08-10 किमी प्रति घंटे के गति से चलने की संभावना है।
फसल अनुसार किसान भाइयों को सलाह (Agro Advisory MP)
सामान्य कृषि परामर्श (Agro Advisory MP)
आगामी दिनों में ओलावृष्टि, गरज बिजली और तेज हवा के साथ हल्की बारिश होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए किसान भाइयों की सलाह दी जाती है कि पूर्ण रुप से पकी हुई फसली की कटाई एवं मंडाई कर सुरक्षित स्थान में भंडारित करें।
यदि कटी हुई फमल को एकत्र कर कने की उचित व्यवस्था नहीं है तो ऐसी स्थिति में फसल कटाई न करें। फसलों को खेत में ही खड़ी रहने दें।
जिनके पास आने वाले दिनों में पर्याप्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, वे खेत खाली होने पर ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की बुआई हेतु खेत की तैयारी प्रारम्भ करें। साथ ही साथ उन्नत किस्मों का चयन करें।
कद्दूवर्गीय सब्जियों जैसे लौकी, करेला, तरबूज, खरबूज इत्यादि के अलावा बरबटी, भिंडी एवं अन्य ग्रीष्मकालीन सब्जियों के अच्छे अंकुरण के लिए तापमान अनुकूल है। अत: इन फसलों की बुवाई के लिए अच्छी तरह भुरभुरी खेत तैयार कर इन फसलों की बुवाई करें।
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गेहूं का ऐसे करें चूहों से बचाव (Agro Advisory MP)
गेहूं की फसल में बालियां निकल चुकी है। अत: जो किसान भाई बीज उत्पादन करना चाहते हैं, वे विजातीय पौधों को निकालकर खेत से अलग करें। गेहूं की बालियां निकलते समय फव्वारा विधि से सिंचाई न करें अन्यथा फूल गिर सकते हैं। दानों का मुंह काला पड़ जाता है व करनाल बंट तथा कंडुआ रोग लगने का डर रहता है। आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर फसल गिर सकती है।
दानों में दूधिया धब्बे दिखाई देते हैं और उपज घट जाती है। किसान भाई आप अपनी गेहूं की फसल में चूहों की रोकथाम करने के लिए जिंक फास्फाइड दवा को कोई भी खाद्य पदार्थ में अच्छी प्रकार से मिला लें तथा इसे आप खेती में जहां पर चूहे आते है, वहां डाल दें और 3-4 दिनों तक पानी न दें। विषयुक्त दवा खाकर चूहों को प्यास लगती है ऐसी व्यवस्था हो कि सरलता से पानी उपलब्ध नहीं हो सके।
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चने को कलिभेदक कीट का खतरा (Agro Advisory MP)
जिन स्थानों पर वर्तमान में हल्की बारिश हो गई है वहां सिंचाई न करें। इससे फूल झड़ने एवं अतरिक्त वृद्धि की समस्या उत्पन्न हो सकती है। वर्तमान में चने की फसल में फल्लियां आ रही हंै। इस अवस्था में कलिभेदक कीट लगने की संभावना रहती है।
अत: किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि इसकी निगरानी करते रहे और यदि कोट दिखाई दे तो रोकथाम हेतु क्लोरेट्रानिनिपोएल 18.5 एससी 0.3 मिली दवा प्रति लीटर की दर से स्प्रे करें।
चने की इल्लियों की रोकथाम हेतु टी (T) या वाय (Y) आकार की 2 से 2.5 फीट ऊंचाई की 20 से 25 खूटियां एवं फेरामेन ट्रैप 8 ट्रैप प्रति एकड़ की दर से लगाएं साथ ही साथ फसल की सतत निगरानी रखें।
सरसो की अतिशीघ्र कटाई की दरकार (Agro Advisory MP)
पूर्ण रूप से पके तोरिया या सरसों की फसल को अतिशीघ्र कटाई करें। 75-80 प्रतिशत फली का रंग भूरा होना ही फसल पकने के लक्षण हैं। फलियों के अधिक पकने की स्थिति में दाने झड़ने की संभावना होती है।
सरसों की कटी हुई फसलों को सूखने के लिए अधिक समय तक खेत पर रखने से चितकबरा बग से नुकसान होता है। अत: जल्द से जल्द गहाई करें।
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लाल सड़न और पायरिला से ऐसे बचेगा गन्ना (Agro Advisory MP)
बसंत कालीन गन्ने की बुआई शुरू करें। नवम्बर माह में बोयी गयी गन्ने की फसल में निंदाई-गुड़ाई करें तथा जिन खेतों में गन्ने की फसल घुटने तक आ गयी है, उन खेतों में निंदाई-गुड़ाई करने के उपरांत नत्रजन की शेष मात्रा का आधा हिस्सा डालकर मिट्टी चढ़ाने के बाद सिंचाई करें।
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सब्जियों को ऐसे रखें महफूज (Agro Advisory MP)
मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि कद्दूवर्गीय सब्जियों लौकी, टिंडा, तुरई, सीताफल, ककड़ी, करेला, तरबूज, खरबूजा आदि की खेत की तैयारी करें। बुवाई से पूर्व बीजों को केप्टान या थीरम 2.0 ग्राम प्रति किग्राम बीज की दर से उपचारित करें। बुवाई से पूर्व 10-12 टन प्रति एकड़ की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद खेतों में जुताई के समय उपयोग करें।
बोने से पहले कद्दूवर्गीय सब्जियों के बीजों को रात भर के लिए पानी में भिगो देना चाहिए और बुआई के बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई कर देनी चाहिए। यदि खेत में दूसरी फसल है तो किसानों को पोलीथीन में कद्दूवर्गीय सब्जियों की फसल बोने की सलाह दी जाती है।
वर्तमान मौसम की स्थिति में, मिर्च की फसल में यदि पत्तियां ऊपर की ओर मुड़ रही है तो ये पीत शिरा मोजेक रोग के लक्षण हो सकते हैं। अत: प्रभावित फसल की रोगिंग करनी चाहिए। ऐसे पौधो को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें तथा संक्रमण के प्रारंभिक चरण में रस चूसक कीटों को नियंत्रित करने के लिए इमेडाक्लोप्रीड 5-7 एमएल प्रति पम्प का छिड़काव करें।
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जायद के लिए बैंगन एवं मिर्च की रोपाई हेतु पौध तैयार कर सकते हैं। रोपाई से पूर्व बीजों को जीवाणु खाद एक पैकट/एकड़ में मिलाकर अवश्य उपचारित करें। बुवाई से पूर्व 10-12 टन प्रति एकड़ की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद खेतों में जुताई के समय उपयोग करें।
किसानों को सलाह है कि भिंडी की बुवाई करें। बुवाई से पूर्व बीजों को केप्टान या थीरम 2.0 ग्राम/किग्रा बीज व (जीवाणु खाद) फास्फोरस सोलूबलाइजिंग बेक्टीरिया एवं अजोटोबेक्टर एक-एक पैकट/एकड़ को बीज में मिलाकर अवश्य उपचारित करें। बुवाई से पूर्व खेतों में पर्याप्त नमी का ध्यान रखें। बीज की मात्रा 10-15 किग्रा/एकड़ उपयोग करें।
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आलू की सुविधानुसार करें हार्वेस्टिंग (Agro Advisory MP)
आलू की फसल पककर तैयार हो चुकी है। अत: किसान भाई अपनी सुविधानुसार आलू की हार्वेस्टिंग कर लें।
आम-संतरा पर यह है खतरा (Agro Advisory MP)
आम के बाग में सिंचाई करना बंद करें। आम में मिलिबग को नियंत्रित करने के लिए तने में ग्रीस स्ट्रिप्स का उपयोग करें और फोलिडॉल @250 ग्राम/पौधा की दर से मिट्टी में उपयोग करें।
संतरा के बगीचों में बहार (पुष्पन) आना प्रारंभ हो गया है। इस अवस्था में रस चूसक कीटों के आक्रमण की संभावना बनी रहती है। अत: फसल की सतत निगरानी करते रहें तथा प्रकोप होने पर इमिडाक्लोपिड 0.5 मिलीलीटर पानी के अनुसार छिड़काव करें।
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ऐसी देखभाल से सुरक्षित रहेंगे पशु (Agro Advisory MP)
दलहनी चारा फसल जैसे बरसीम, लूसर्न आदि को सूखे चारे के साथ मिलाकर कुट्टी काटकर खिलायें। पशुओं को पौष्टिक हरा चारा खिलाने के लिए उसे फूल आने के पहले ही कटाई करें। प्रत्येक कटाई के उपरांत हल्की यूरिया का छिड़काव कर सिंचाई करें।
किसानों को डेयरी पशुओं के बछड़ों को कृमि नाशक दवा देने की सलाह दी जाती है। पशुशाला में पशुओं को मच्छरों एवं अन्य कीटों से बचाव हेतु गीला कूड़ा कचरा जलाकर धुआं करें। पशुशाला में पशुओं को मच्छरों एवं अन्य कीटों से बचाव हेतु गीला कूड़ा कचरा जलाकर धुआं करें।
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