⇓ लोकेश वर्मा, मलकापुर (बैतूल)
Ujjain Ki Diwali : उज्जैन के महाकाल मंदिर में सोमवार से दिवाली पर्व की शुरुआत हो गई। संध्या आरती में फुलझड़ी और दीपक जलाकर दिवाली पर्व प्रारंभ हुआ। त्योहारों को देशभर से पहले महाकाल मंदिर में मनाए जाने की परंपरा है।
धनतेरस से एक दिन पहले सोमवार को संध्या आरती में भगवान महाकाल के गर्भगृह में दीप और फुलझड़ी जलाकर त्योहार की शुरुआत की गई। आरती में बढ़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि सोमवार शाम को हुई आरती में महाकाल मंदिर समिति ने तय मापदंडों के अनुसार एक फुलझड़ी जलाकर आरती की है। अब मंगलवार शाम को भी धनतेरस पर्व पर फुलझड़ी जलाई जाएगी।
रोशनी में नहाया महाकाल मंदिर
संध्या आरती में भगवान महाकाल का भगवान विष्णु स्वरूप में श्रृंगार किया गया। सोमवार शाम से ही महाकाल मंदिर विद्युत सज्जा से रोशन दिखाई दे रहा है। यहां पर पूरा मंदिर परिसर रोशनी में नहाया हुआ दिखाई दे रहा है।
धनतेरस पर विधिवत पूजन-अर्चन
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में मंगलवार को धन त्रयोदशी से पांच दिवसीय दीपपर्व का शुभारंभ हुआ। पुरोहित समिति द्वारा भगवान महाकाल को चांदी का सिक्का अर्पित कर महापूजा की गई।
हर साल की तरह इस बार भी धनतेरस के पावन पर्व पर मंगलवार सुबह 9 बजे से महाकालेश्वर मंदिर की पुरोहित समिति द्वारा जनकल्याण और विश्व कल्याण के लिए गणपति पूजन, महालक्ष्मी पूजन के बाद भगवान महाकाल का पंचामृत और रुद्राभिषेक पूजन-अर्चन किया गया।
सभी के आरोग्य, सबके कल्याण और सुख समृद्धि की कामना के लिए भगवान श्री महाकाल से प्रार्थना हेतु मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने पूजा अर्चना की।
सुख-समृद्धि के लिए वर्षों से पूजन
इस दिन सुख समृद्धि व आरोग्य के लिए विधिवत पूजन अर्चन कई वर्षों से किया जा रहा है। इस दौरान पूजन में पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा, मंदिर समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ भी सम्मिलित हुए।
पूजन-अर्चन श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुरोहित समिति के अध्यक्ष लोकेन्द्र व्यास सहित पुरोहितों भूषण व्यास, विश्वास करहाडकर, नीरज शर्मा, पीयूष चतुर्वेदी, दीपक शर्मा आदि द्वारा कराया गया।
भस्म आरती में मनेगी दीपावली
31 अक्टूबर को तड़के 4 बजे भस्म आरती में दीपावली मनाई जाएगी। भगवान महाकाल को केसर तिल्ली का तेल मिश्रित केसर-चंदन का उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराया जाएगा। पश्चात नवीन वस्त्र व सोने चांदी के आभूषण धारण कराकर विशेष शृंगार कर गर्भ गृह में अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा।
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