Dairy Farming : दूध उत्पादक किसानों को समय पर भुगतान नहीं, करना पड़ रहा लंबा इंतजार 

Dairy Farming : दूध उत्पादक किसानों को समय पर भुगतान नहीं, करना पड़ रहा लंबा इंतजार 
Dairy Farming : दूध उत्पादक किसानों को समय पर भुगतान नहीं, करना पड़ रहा लंबा इंतजार

Dairy Farming : बैतूल। भोपाल दुग्ध संघ (bhopal sahakari dugdh sangh maryadit) से जुड़ी जिले की दुग्ध उत्पादन सहकारी समितियों को दूध बेचने वाले किसानों को समय पर भुगतान नहीं हो रहा है। जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है। अधिकारी भी समय पर भुगतान को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं दे पा रहे हैं, जिसके कारण किसानों में भी नाराजगी देखने को मिल रही है।

बताया जा रहा है कि सहकारी समिति की गांव-गांव में डेयरियां संचालित हो रही है। किसान दूध बेचकर अपना जीवन व्यापन कर रहे हैं, लेकिन अब कुछ दिनों से उन्हें समय पर भुगतान नहीं होने से उनके सामने आर्थिक संकट की स्थिति निर्मित हो गई है।

किसान ब्याज से उधार पैसा लेकर मवेशियों के लिए खल्ली, भूसा सहित अन्य सामग्री खरीद रहे है। किसानों की फरियाद सुनने वाला कोई नहंी है। किसान जब भी अधिकारियों के पास फरियाद लेकर जाते है, उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है।

पहले 10 दिनों में होता था भुगतान (Dairy Farming)

बताया जा रहा है कि सहकारी दुग्ध समितियों से किसानों को पहले 10 दिन के भीतर दूध का भुगतान किया जाता था। अब 40 से 42 दिन के भीतर दूध का भुगतान हो रहा है। ऐसे में दूध बेचने वाले किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं। अधिकारियों द्वारा दूध के अधिक उत्पादन के कारण राशि विलंब से दिए जाने का हवाला दिया जा रहा है।

जिले में संचालित हैं 360 डेयरियां (Dairy Farming)

बैतूल जिले में सहकारी दुग्ध संघ की कुल 360 समितियां संचालित हैं। जिसमें बड़े पैमाने पर दुध खरीदने का काम किया जाता है। जिले के 14 हजार से अधिक किसान दूध का व्यवसाय कर रहे हैं। प्रतिदिन 50 से 52 हजार लीटर समितियों के माध्यम से दूध खरीदा जा रहा है।

दूध व्यवसाय ही है सहारा (Dairy Farming)

अधिकतर किसानों का दूध व्यवसाय पर ही गुजर बसर चल रहा है, लेकिन किसानों को अभी दूध की राशि समय पर नहीं दिए जाने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। राशि आने के इंतजार में किसान परेशान होते हैं। नौबत तो यह आ गई है किसान अब उधार ब्याज से पैसा लेकर अपना काम चलाने को मजबूर हो रहे है। किसानों का कहना है कि इसी तरह विलंब से भुगतान हुआ तो पशु पालन व्यवसाय करना घाटे का सौदा हो जाएगा।

मवेशियों का चारा भी महंगा (Dairy Farming)

किसानों का कहना है कि दुधारू पशुओं को पालना भी किसानों के लिए एक चुनौती है। मवेशियों का चारा महंगा होने से किसानों के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई है। किसान बताते हैं कि दुधारू मवेशी को खल्ली खरीदकर खिलाना पड़ता है, जिससे दुग्ध उत्पादन अच्छा होता है। समय पर भुगतान नहीं होने से खल्ली और भूसा नहीं खरीद पा रहे हैं।

कई किसान दुधारू मवेशियों के लिए हरे चारे का प्रबंध करते हैं। इसमें भी किसानों को राशि खर्च करना पड़ता है। दुधारू मवेशियों को पालने के लिए किसानों को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। बैतूल जिले में भी अधिकतर किसान दूध उत्पादन पर ही निर्भर है।

35 सेे 40 रूपए मिल रहे दूध के दाम (Dairy Farming)

प्राप्त जानकारी के मुताबिक किसानों को दूध के दाम भी पर्याप्त नहीं मिल रहे है। फैट के आधार पर किसानों को दूध के दाम दिए जाते हैं। किसान बताते हैं कि गाय का दूध 35 और भैंस के दूध के दाम लगभग 40 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से मिलते हैं।

इसमें जरा भी फैट कम निकला तो दाम कम कर दिए जाते हैं। कई बार तो दूध में किसानों की मेहनत भी नहीं निकल पाती है। सहकारी दुग्ध समितियों में समय पर भुगतान नहीं होने के कारण कई किसान अब निजी डेयरियों में दूध बेचने की ओर रूख करने लगे हैं।

संघ प्रबंधक का यह कहना…
दूध का भुगतान किस कारण से विलंब से हो रहा है, इसकी जानकारी भोपाल दुग्ध संघ से ही मिल पाएगी। संभवत: दूध का उत्पादन बढ़ने के कारण भुगतान में देरी हो सकती है। हालांकि किसानों को देरी से ही सही, पर पूरा भुगतान किया जा रहा है।
– राजेश चरधर, प्रबंधक, दुग्ध संघ, बैतूल

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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