Court Ka Faisla : बैतूल। एक 17 वर्षीय अनुसूचित जनजाति की नाबालिग किशोरी का व्यपहरण कर उसके साथ बार-बार बलात्कार करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास एवं जुर्माने से दंडित (Court Ka Faisla) किया गया है। अनन्य विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) बैतूल ने यह सजा सुनाई। इस मामले में आरोपी दिलीप पिता मंगल कनौजे, उम्र-33 वर्ष, थाना चिचोली है, जिसे सजा सुनाई गई।
आरोपी को दोषी पाते हुए धारा 3(2)(अ) एससी/एसटी समाहित धारा 3(1)(ब)(प)(पप) एससी/एसटी में आजीवन कारावास एवं 2000 रुपये जुर्माना, 376(2)(एन) भादंवि समाहित धारा 5(एल), 5(जे)(पप)/6 पॉक्सो एक्ट में 20 वर्ष का कठोर कारावास एवं 5000 रुपये का जुर्माना, धारा 366 भादंवि में 05 वर्ष कठोर कारावास एवं 1000 रुपये के जुर्माने तथा धारा 363 भादंवि व धारा 3(2)(अं) एससी/एसटी एक्ट में 03 वर्ष का कठोर एवं 1000 रुपये के जुर्माना से दण्डित किया गया है।
प्रकरण में मध्यप्रदेश शासन की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी एसपी.वर्मा एवं वरिष्ठ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी/अनन्य विशेष लोक अभियोजक ओमप्रकाश सूर्यवंशी द्वारा पैरवी की गई। (Court Ka Faisla)
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तीन साल पुरानी है घटना (Court Ka Faisla)
श्री सूर्यवंशी ने बताया कि पीड़िता के पिता द्वारा आरक्षी केन्द्र चिचोली में रिपोर्ट कराई गई कि 26 अगस्त 2019 को रात करीब 09 बजे वह अपनी पत्नी और बच्चों सहित खाना खा कर घर में सोये हुए थे। रात करीब 10 बजे पानी पीने के लिए जागे तो उन्होंने देखा कि पीड़िता उसके बिस्तर पर नहीं थी। वह बिना बताये कहीं चली गई थी। (Court Ka Faisla)
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तलाश की पर नहीं चला पता (Court Ka Faisla)
उसकी तलाश उन्होंने आसपास की, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। पीड़िता के पिता की रिपोर्ट पर थाना चिचोली द्वारा अज्ञात व्यक्ति के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान 30 सितंबर 2020 को पीड़िता दस्तयाब की गयी। उसका मेडिकल परिक्षण कराया गया। उससे पूछताछ की गई तथा उसके मजिस्टे्रट न्यायालय में धारा 164 दप्रसं के कथन कराए गए। (Court Ka Faisla)
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पीड़िता ने दिए यह बयान (Court Ka Faisla)
पीड़िता ने दस्तयाब होने पर घटना का खुलासा किया था कि वह आरोपी दिलीप को पिछले 2-3 वर्षों से जानती-पहचानती है। उसका जन्म दिनांक 21 जून 2002 है। आरोपी दिलीप उसे मण्डीदीप लेकर गया था और शादी करूंगा कहकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। जिससे वह गर्भवती हो गई और उसने एक बच्ची को जन्म दिया। यह भी बताया कि आरोपी दिलीप ने उससे शादी कर ली। (Court Ka Faisla)
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डीएनए जांच में यह साबित (Court Ka Faisla)
प्रकरण में जप्तशुदा सेम्पलों को डीएनए जांच हेतु एफएसएल भेजा गया। आवश्यक अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र अनन्य विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) बैतूल के समक्ष प्रस्तुत किया गया। विचारण में अभियोजन द्वारा पैरवी करते हुए पीड़िता एवं उसके परिजनों की साक्ष्य कराई गई। डीएनए परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। जिसमें पीड़िता की नवजात बच्ची का जैविक पिता आरोपी को होना पाया गया। (Court Ka Faisla)
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इसलिए मिली आरोपी को सजा (Court Ka Faisla)
इससे यह स्पष्ट हो गया कि आरोपी द्वारा ही पीड़िता के नाबालिग रहने के दौरान शारीरिक संबंध स्थापित किये गये थे। जिससे पीड़िता गर्भवती हुई और उसने एक बच्ची को जन्म दी। जिसका पिता आरोपी है। आरोपी द्वारा पीड़िता से विवाह भी कर लिया गया।
इसके बावजूद पीड़िता के साथ नाबालिग रहने के दौरान शारीरिक संबंध स्थापित किया जाना प्रमाणित होने से न्यायालय द्वारा आरोपी को दंडित किया गया। न्यायालय ने पीड़िता को 2,00,000 रुपये प्रतिकर राशि दिलाने जाने के लिए आदेशित किया है। (Court Ka Faisla)
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