Meaning of Jai Shiv Omkara : भगवान शिवजी की आरती ओम जय शिव ओमकारा में भगवान शिव की शक्ति और उनके परब्रह्म स्वरूप का बोध होता है। शिवजी का परब्रह्म स्वरूप वही है जो महाशिवरात्रि के दिन अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुआ था। शिवजी की पूजा में इस ओम जय शिव ओमकारा आरती का गायन करने से शिवजी भक्तों पर बड़ी कृपा करते हैं।
इसलिए भक्तों में इस आरती को लेकर गहरी आस्था है। आप भी सावन मास में शिव पूजा के अवसर पर शिवजी की इस आरती का गायन कीजिए और शिवजी की कृपा का लाभ लीजिए। साथ ही जानिए जय शिव ओंकारा आरती में शिव जी के साथ-साथ किन-किन देवताओं का स्मरण हो जाता है….
॥ आरती ॥
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
शिव तांडव स्तोत्र को नित्य पढ़ने से मिलती है जीवन में सफलता एवं शत्रुओं का होता है नाश ।
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥