IAS Success Story Ganga Singh : यूपीएससी परीक्षा को पास करना आसान नहीं होता हैं। कई बार कड़ी मेहनत करने वाले को भी असफलता प्राप्त होती है। कुछ लोग सेल्फ स्टडी करते है तो कुछ कोचिंग करके इस परीक्षा को पास करते है। फिर अगर आपका मीडियम हिंदी हो तो ये सफर और मुश्किल हो जाता है। उनका सेलेक्शन कम होता है।
लेकिन ऐसे में कुछ कैंडिडेट्स गंगा सिंह जैसे भी होते हैं जो जानबूझकर हिंदी माध्यम चुनते हैं और यह परीक्षा देने का निर्णय लेते हैं। गंगा के साथ हिंदी माध्यम चुनने की मजबूरी नहीं थी और गंगा एक साइंस स्टूडेंट थे पर जब यूपीएससी परीक्षा देने की बारी आयी तो उन्होंने न केवल अपना ऑप्शनल हिंदी साहित्य को बनाया बल्कि हिंदी माध्यम से परीक्षा भी दी। तो आइए जानते उनकी कहानी…..
गंगा शुरू से थे होनहार (IAS Success Story Ganga Singh)
गंगा बचपन से पढ़ाई में अच्छे थे और क्लास दसवीं और बारहवीं दोनों में उन्होंने टॉप किया। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बड़ामेर में ही हुई, जहां उनका जन्म हुआ था। दोनों ही बोर्ड परीक्षाओं में वे अपने स्कूल के टॉपर बने। इसके बाद शिक्षकों ने उन्हें साइंस स्ट्रीम चुनने की सलाह दी और गंगा बीएससी करने जोधपुर आ गए। उन्होंने फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स विषयों से ग्रेजुएशन पूरा किया और इसी दौरान उनका झुकाव यूपीएससी की तरफ हुआ। इस कॉलेज में आकर उन्हें वो एक्सपोजर और संसाधन भी मिले जिनकी सहायता से उनकी सोचने-समझने की शक्ति में काफी बदलाव आए। ग्रेजुएशन के आखिरी साल से गंगा ने यूपीएससी सीएसई परीक्षा की आरंभिक तैयारी शुरू कर दी थी।
उनके पिता ने उन्हें कहा कि वह यूपीएससी परीक्षा के लिए मेहनत करें और एग्जाम दे। उनके पिता ने कहा कि उनको अपने बेटे पर भरोसा है कि वह यूपीएससी का एग्जाम जरूर पास कर लेगा। बीएससी की पढ़ाई करने के बाद में गंगा सिंह दिल्ली आ गए और जेएनयू में एडमिशन ले लिया। दाखिला लेने के बाद एमए हिंदी कि वह पढ़ाई करने लगे।
पहले प्रयास में मिली असफलता (IAS Success Story Ganga Singh)
उसके साथ पिता की बात को दिमाग में रख कर के यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने लगे। प्रथम प्रयास में असफलता से बिल्कुल भी विचलित नहीं हुए और उन्होंने अगले प्रयास के लिए कमर कस ली। साहित्य हिंदी को उन्होंने अपना विषय बनाया और पढ़ना शुरू कर दिया। गंगा सिंह बताते हैं कि जे.एन.यू. में मेरी कक्षा के साथियों के सकारात्मक सहयोग, पुस्तकालय के साथियों के मार्गदर्शन और प्रोफेसर्स की पढ़ाने की शैली ने मेरी समझ को विकसित किया, जिससे मेरी राह काफी सुगम हो गई।
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दूसरे प्रयास में हुए सफल (IAS Success Story Ganga Singh)
गंगा सिंह बताते हैं कि दूसरे प्रयास के लिए मेरी अच्छी खासी तैयारी हो गई थी। साथ ही मेरे एमए हिंदी के सहपाठियों के साथ देश-दुनिया के समसामयिक मुद्दों पर स्वस्थ बहस ने मेरी जानकारी को बढ़ाया और मेरे व्यक्तित्व को भी निखारा। इसी का परिणाम था कि इस बार मुझे जबर्दस्त सफलता मिली और मैंने सिविल सेवा परीक्षा 2016 में ऑल इंडिया 33वीं रैंक प्राप्त की। मुझे IAS में गुजरात कैडर मिला है।
नोट्स बनाएं और रोज पेपर पढ़ें
गंगा कहते हैं कि पढ़ाई के लिए सबसे पहले तो सिलेबस देखें और उसी के हिसाब से अपने लिए सीमित सोर्स इकट्ठे करें। इसके बाद पढ़ाई शुरू करें और नोट्स जरूर बनाएं। वे कहते हैं कि नोट्स बनाने से अंत में रिवीजन करना आसान होता है इसलिए छोटे-छोटे नोट्स जरूर बनाएं। जहां तक करेंट अफेयर्स की बात है तो इसके लिए सालों पहले से रोजाना पेपर पढ़ने की आदत डालें। पेपर पढ़ते समय ध्यान रहे कि केवल अपने विषय की भी खबरों पर ध्यान दें। बाकी फालतू खबरों पर समय बर्बाद न करें। कुछ दिनों में आप पेपर जल्दी और चुनिंदा तरह से पढ़ना सीख जाएंगे।
अगली जरूरी चीज मानते हैं गंगा एनसीईआरटी की किताबों को और कहते हैं कि संभव हो तो क्लास 6 से 12 नहीं तो क्लास 8 से 12 तक की किताबें तो जरूर पढ़ें। उनका मानना है कि यूपीएससी में सीधे इन्हीं किताबों से प्रश्न आते हैं।