IAS Success Story: अंग्रेजी में नहीं लगता था मन तो हिंदी में तैयारी कर पूरे देश में पाई 73वीं रैंक, जानें आईएएस दिलीप कुमार की सफलता की कहानी

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IAS Success Story: अंग्रेजी में नहीं लगता था मन तो हिंदी में तैयारी कर पूरे देश में पाईं 73वीं रैंक, जानें दिलीप कुमार आईएएस की सफलता की कहानी
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Success Story Of IAS Topper Dalip Kumar: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा है। यही वजह है कि इस परीक्षा में तैयारी करने वाले बहुत कम लोग सक्‍सेस हो पाते हैं। आमतौर पर यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होने वाले कैंडिडेट्स को लगता है कि अंग्रेजी के दम पर ही इस परीक्षा को पास किया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं होता। इस परीक्षा में सभी विषयों पर अच्छी पकड़ बनाकर भी सफल हो सकते हैं।

परीक्षा का मीडियम अंग्रेजी हो या हिंदी, आपको सफलता अच्छी मेहनत से ही मिलेगी। आज आपको एक ऐसे शख्स दिलीप कुमार के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने हिंदी में इंटरव्यू दिया और सफलता प्राप्त की। ऐसे में अगर आप यूपीएससी की परीक्षा पास कर चुके हैं, तो इंटरव्यू अपनी भाषा में दें, ताकि बेहतर तरीके से खुद को प्रस्तुत कर सकें। इससे सफलता के मौके बढ़ जाएंगे। तो आइए जानते हैं दिलीप कुमार की सफलता की कहानी के बारे में….

अंग्रेजी में आती थी परेशानी (IAS Success Story)

दिलीप ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनकी शिक्षा हिंदी मीडियम से हुई थी। उनके आस-पास का माहौल भी हिंदी वाला रहा। ऐसे में उनकी अंग्रेजी पर पकड़ अच्छी थी, लेकिन उनकी हिंदी बेहद मजबूत थी। ऐसे में जब दो बार अंग्रेजी में इंटरव्यू दिया, तो सफलता नहीं मिली। दिलीप का मानना है कि हम अपनी भाषा में खुद को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर पाते हैं। ऐसे में यूपीएससी का इंटरव्यू उसी भाषा में दें, जिसमें आप खुद को बेहतर तरीके से जाहिर कर सकें। हालांकि दिलीप का मानना है कि सभी विषयों पर आपकी अच्छी पकड़ होनी चाहिए। सफलता प्राप्त करने के लिए हिंदी के अलावा अंग्रेजी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं पर पकड़ मजबूत होना जरूरी है।

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लक्ष्य नहीं तरीका बदला (IAS Success Story)

दिलीप को हर हाल में IAS बनना था, इसलिए उन्होंने इंटरव्यू के माध्यम को बदला और तीसरी बार हिंदी में इंटरव्यू दिया। दिलीप ने साल 2018 में 73वीं रैंक हासिल की थी। दिलीप कुमार ने बताया कि उन्हें अंग्रेजी में इंटरव्यू देने के कारण अच्छे स्कोर नहीं मिल पा रहे थे। इसलिए उन्होंने हिंदी में इंटरव्यू देने का फैसला किया। दिलीप कुमार ने बताया कि 2016-17 में अंग्रेजी में दिए इंटरव्यू में उनको 143 मार्क्स मिले थे। वहीं 2019 में हिंदी में इंटरव्यू दिया तो 179 मार्क्स मिले। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यूपीएसी में इंटरव्यू 275 मार्क्स का होता है।

दिलीप के अनुसार वह पहली बार इंटरव्यू देने के पहले तय नहीं कर पा रहे थे कि इंटरव्यू हिंदी में दें या फिर अंग्रेजी में। अंग्रेजी में इंटरव्यू देने के बाद उन्‍हें 143 अंक प्राप्‍त हुए थे। इसके बाद उन्‍होंने अपनी भाषा हिंदी में इंटरव्यू देने का फैसला लिया। दिलीप के अनुसार इंटरव्‍यू के दौरान, उम्‍मीदवार हिंदी में सवालों के जवाब दे सकते हैं। इसलिए यह उन्‍हें आसान लगा। हिंदी में अपनी बात को ठीक से रख पाने के कारण ही उन्‍हें अच्छे अंक मिले और 73वीं रैंक हासिल की।

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दिलीप की दूसरे कैंडिडेट्स को प्रेरणा (IAS Success Story)

यूपीएससी की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स को दिलीप ने बताया कि कि पूरी मेहनत के साथ सटीक रणनीति बनाकर परीक्षा पास करें। इसके बाद इंटरव्यू में कहीं भी ब्लफ न करें। ध्यान रखें कि इंटरव्यू देते समय कभी भी झूठ न बोलें। अगर आप ऐसा करेंगे, तो सफलता नहीं मिलेगी। खास बात यह है कि इंटरव्यू में अपनी आदतों के बारे में सही बताएं। कभी हिंदी को लेकर मन में हीन भावना न लाएं, ये हमारी मातृ भाषा है और एक बात दिमाग में बिठा लें कि इस भाषा को माध्यम के रूप में चुनने से कभी आपके अंक कम नहीं आएंगे। बस जरूरत है तो बाकी पहलुओं पर काम करने की।

इंटरव्यू में अगर आप अपनी भाषा को लेकर खुद सहज नहीं हैं, तो नर्वस महसूस करेंगे। जिसकी वजह से इंटरव्यू में खुद को कॉन्फिडेंट रिप्रजेंट नहीं कर पाएंगे। इंटरव्यू के लिए बेहद जरूरी होता है खुद को कॉन्फिडेंट रखना। दिलीप ने बताया कि इस परीक्षा के लिए कुछ चीजें बेहद जरूरी होती हैं। जैसे अखबार पढ़ना और नोट्स बनाना। क्योंकि कई बार अखबार के जरिए आप नोट्स बनाते हैं और नोट्स बनाते वक्त आप उस चीजों के बारे में पढ़ते भी हैं। जिससे आपका रिवीजन भी होता है। याद रखें कि यहां आपके ज्ञान की नहीं व्यक्तित्व की परख की जाती है।

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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