Belpatra : हिंदू धर्म में बेलपत्र का विशेष महत्व होता है। बेलपत्र बहुत ही पवित्र और शिव को प्रिय होती है और ये मंत्र का स्मरण करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैै ”दर्शनम् बिल्व पत्रस्य, स्पर्शनमं पाप नाशनम्” अर्थात बेल पत्र का दर्शन कर लेने मात्र से पापों का नाश हो जाता है। लेकिन बेल पत्र का इतना महत्व क्यों है, इसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। बैलपत्र के फल व पेड भी पूजनीय होते है और इसको लेकर एक कथा प्रचलित है।
बेल वृक्ष की उत्पत्ति स्कन्द पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती जब भ्रमण कर रहीं थीं, तब उनके शरीर से पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई थी। उस पसीने के बूंद से पर्वत पर एक पेड़ की उत्पत्ति हुई और इस पेड़ को ही बेल वृक्ष के नाम से जाना गया। चूंकि, इस पेड़ की उत्पत्ति मां पार्वती के पसीने से हुई थी इसलिए इस पेड़ में मां पार्वती के सभी रूप वास करते हैं। बेल पेड़ के जड़ को गिरजा का स्वरूप माना गया है।
बेलपत्र का महत्व
हिंदू धर्म ग्रंथों में यह मान्यता है कि जिस प्रकार भगवान विष्णु को तुलसी पत्र प्रिय है वैसे ही भगवान शिव को बेलपत्र बहुत पसंद है। इसलिए शिव पूजा में बेल पत्र को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जो कोई भी शिव जी की पूजा बेलपत्र से करते हैं उसकी मनोकामना भगवान जल्द ही पूरा करते हैं।
इस मंत्र का जाप करते हुए चढ़ानी चाहिए बिल्व पत्र
‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम।
शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र का अर्थ होता है हे तीन गुणों तीन नेत्र, त्रिशूल को धारण करने वाले शिव जी, तीन जन्मों के पापों का संहार करने वाले शिव, मैं आपको बिल्वपत्र अर्पित करता हूं।
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धार्मिक मान्यताएं (Belpatra)
1. इसके तनों में माहेश्वरी और शाखाओं में दक्षिणायनी एवं बेल के पत्तियों में मां पार्वती वास करती हैं। बेल के फलों में कात्यानी, फूलों में गौरी का वास होता है। इन सभी स्वरूपों के अलावा, मां लक्ष्मी जी बेल के समस्त पेड़ में निवास करती हैं। मान्यता है कि बेलपत्र मां पार्वती का प्रतिबिंब है जिसके कारण यह भगवान शिव को बहुत प्रिय है। शिव जी पर बेलपत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं।
2. यदि कोई शव बिल्वपत्र के पेड़ की छाया से होकर श्मशान ले जाया जाता है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा बिल्वपत्र के पेड़ को नियमित रूप से जल चढ़ाने पर पितृों को तृप्ति मिलती है, और पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
3. बिल्वपत्र के वृक्ष में लक्ष्मी का वास माना गया है। इसकी पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है और बेलपत्र के वृक्ष और सफेद आक को जोड़े से लगाने पर निरंतर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
4. बेल की पत्तियां अधिकतर तीन, पांच या सात के समूह में होती हैं। तीन के समूह की तुलना भगवान शिव के त्रिनेत्र या त्रिशूल से की जाती है। इसके अलावा इन्हें त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी माना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार मंदार पर्वत पर माता पार्वती के पसीने की बूंदे गिरने से बेल के पेड़ की उत्पत्ति हुई। यह पेड़ सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
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बेल पत्तियां खराब न हों (Belpatra)
मान्यता है कि बेलपत्र चढ़ाने से शिव जी का मस्तक शीतल रहता है। हालांकि इस दौरान ध्यान रखना चाहिए की बेलपत्र में तीन पत्तियां हों। इसके अलावा पत्तियां खराब न हों। बेलपत्र चढ़ाते समय जल की धारा साथ में जरूर अर्पित करना चाहिए।
सेहत के फायदे
- बेल फल में मौजूद टैनिन डायरिया और कालरा जैसे रोगों के उपचार में काम आता है।
- कच्चे फल का गूदा सफेद दाग बीमारी का प्रभावकारी इलाज कर सकता है।
- इससे एनीमिया, आंख और कान के रोग भी दूर होते हैं।
- पुराने समय में कच्चे बेल के गूदे को हल्दी और घी में मिलाकर टूटी हुई हड्डी पर लगाया जाता था।
- इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स के चलते पेट के छालों में आराम मिलता है।
- बेल की पत्तियों का सत्व रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में लाभदायक है।
- पेड़ से मिलने वाला तेल अस्थमा और सर्दी-जुकाम जैसे श्वसन संबंधी रोगों से लड़ने में सहायक है।
- पके हुए फल के रस में घी मिलाकर पीने से दिल की बीमारियां दूर रहती हैं।
- कब्ज दूर करने की सबसे अच्छी प्राकृतिक दवा है। इसके गूदे में नमक और काली मिर्च मिलाकर खाने से आंतों से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं।
- गर्मी की तपिश से बचने के लिए बेल का शर्बत पीना ज्यादा उचित होता है क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है। बेल के पत्तों की तासीर भी ठंडी होती हैं।
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