Extinct Sparrow: अब सुनाई नहीं देती चीं-चीं की आवाज, लुप्त होती जा रही आंगन में चहकने वाली गौरैया

Extinct Sparrow: अब सुनाई नहीं देती चीं-चीं की आवाज, लुप्त होती जा रही आंगन में चहकने वाली गौरैया

▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़

Extinct Sparrow: घरों और आंगनों को अपनी चीं-चीं की आवाज से सुबह- सुबह चहकाने वाली गौरेया चिड़िया अब बहुत कम दिखलाई देती है। छोटे आकार वाली इस खूबसूरत चिड़िया का कभी इंसानों के घरों में बसेरा हुआ करता था। बच्चे इसे बचपन से देखते हुए बड़ा हुआ करते थे। लेकिन अब स्थिति बिलकुल बदल गयी है।
गौरेया की प्रजाति पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

इसी के चलते लगभग 90 प्रतिशत की इनकी आबादी कम हो गयी है। हालत ये है कि कहीं-कहीं तो यह बिलकुल दिखलाई ही नहीं देती है। पहले यह गौरेया चिड़िया अपने बच्चों को चुग्गा खिलाते हुए जब दिखती थी तो बच्चे उन्हें कौतूहल वश देखते थे। अब तो बमुश्किल यह दृश्य दिखलाई देता है। इस प्रजाति की तेजी से घटी संख्या के पीछे एक तो मोबाइल टावरों का रेडियेशन जिम्मेदार बताया जाता है तो वहीं कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग भी उतना ही दोषी है। (Extinct Sparrow)

यदि वन विभाग, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य जिम्मेदार विभाग इनके संरक्षण के प्रयास नहीं करता है तो हो सकता है कि गौरेया भी लुप्तप्राय गिद्ध की प्रजाति की तरह इतिहास की चीज बन जाए। ऐसे में आने वाली पीढ़ी को केवल चित्र दिखाकर ही यह बताना पड़ेगा कि इस पक्षी का भी कभी हमारे घर आंगन में भी बसेरा हुआ करता था। घर की खुशियां में इनकी चहचहाट भी साथ देती थी और उल्लास व उत्साह बढ़ाती थी। (Extinct Sparrow)

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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