KVIC Meeting Update : नई दिल्ली। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की 694वीं बैठक विगत दिनों गुजरात के कच्छ में आयोजित हुई। इस बैठक में खादी कपास-बुनकरों के योगदान को ध्यान में रखते हुए खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने श्रमिकों की आय में बढ़ोतरी के लिए उनका मेहनताना 7.50 रुपये प्रति लच्छे से बढ़ाकर 10 रुपये प्रति लच्छा करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। इस पहल से कारीगरों की मासिक आय में लगभग 33 प्रतिशत की वृद्धि होगी और बुनकरों की मजदूरी में 10 प्रतिशत की वृद्धि होगी। यह फैसला पहली अप्रैल 2023 से प्रभावी होगा।
बैठक में केवीआईसी के अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-2022 में खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों का उत्पादन 84,290 करोड़ का और बिक्री 1,15,415 करोड़ की हुई थी। इस साल 2 अक्टूबर को खादी इंडिया के कनॉट प्लेस बिक्री केंद्र ने एक ही दिन में 1.34 करोड़ रुपये की खादी उत्पाद बेचने का नया रिकॉर्ड बनाया है। खादी उत्पादन एवं विक्रय कार्य में लगे लाखों कारीगरों और अथक परिश्रमी खादी श्रमिकों की इस कार्य में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है।
अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर खादी श्रमिकों को प्रोत्साहित करने और खादी उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से केवीआईसी कई कार्यक्रम आयोजित करता रहता है। इसी क्रम में पिछले कुछ महीनों में खादी श्रमिकों, देश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत संस्थाओं और खादी संगठनों के साथ खादी संवाद की श्रृंखला का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य खादी से जुड़े लोगों के लिए इष्टतम रोजगार सृजित करके ग्रामीण-अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना है।
केवीआईसी के अध्यक्ष ने कहा कि खादी क्षेत्र के सूत कातने वालों तथा बुनकरों ने खादी का उत्पादन बढ़ाने में विशेष योगदान दिया है। खादी संवाद के दौरान उन्हें यह जानकारी मिली थी कि श्रमिकों के पारिश्रमिक को बढ़ाने की मांग दशकों से लंबित है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण विषय को गंभीरता से लिया गया। उनकी अध्यक्षता में आयोजित केवीआईसी की 694वीं बैठक में एक विशेष निर्णय लिया गया, जिसके तहत श्रमिकों एवं कारीगरों की आय में वृद्धि करने तथा अधिक से अधिक देशवासियों को खादी की ओर आकर्षित करने के लिए पारिश्रमिक में 33 प्रतिशत संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया।
केवीआईसी ने खादी श्रमिकों एवं खादी संगठनों की इस मांग पर विचार करते हुए अपनी 694वीं बैठक में खादी-ग्रामोद्योग कार्यक्रम से जुड़े श्रमिकों के हाथों में अधिक से अधिक धन उपलब्ध कराने, उनकी आय के स्रोत बढ़ाने तथा उनकी आर्थिक स्थिति को और बेहतर करने का निर्णय लिया। यह ऐतिहासिक फैसला एक मजबूत, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहायता करेगा।