RBI Repo Rate Increase: रिजर्व बैंक ने एक बार फिर करोड़ों देशवासियों को महंगाई का झटका दिया है मौद्रिक नीति की बैठक में आज फिर रिपोर्ट रेट बढ़ा दिया गया है आरबीआई ने रेपो रेट 25 आधार अंकों में बढ़ाया है इससे कार लोन और होम लोन की ईएमआई बढ़ जाएगी। मौद्रिक नीति समिति (MCP) की सोमवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने डिजिटल माध्यम से प्रसारित बयान में कहा, ‘‘मौजूदा आर्थिक स्थिति पर विचार करते हुए एमपीसी ने नीतिगत दर रेपो 0.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत करने का निर्णय किया है.’’ उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से चार ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में मतदान किया है।
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महंगाई पर काबू पाने के लिए उठाया कदम RBI Repo Rate Increase:
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि पिछले करीब तीन साल में विभिन्न चुनौतियों के कारण दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों के लिए मौद्रिक नीति के स्तर पर चुनौती रही है। इससे पहले 7 दिसंबर को आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया गया था। रेपो रेट बढ़ने का सीधा असर बैंकों की तरफ से ग्राहकों को दिये जाने वाले लोन की ब्याज दर पर पड़ेगा। इससे ग्राहकों को पहले से ज्यादा ईएमआई देनी होगी। आरबीआई की तरफ से यह कदम बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए उठाया गया है।
रेपो दर क्या होता है?
रेपो दर (Repo Rate) वह ब्याज दर है जिसपर कमर्शियल बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। इसमें बढ़ोतरी का मतलब है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा होगा और मौजूदा लोन की मासिक किस्त (EMI) में इजाफा होगा।
2022 में 5 बार हुई है रेपो रेट में बढ़ोतरी
देश में बढ़ती महंगाई के कारण कई बार लोगों को जरूरत की चीजें खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं। रिजर्व बैंक (RBI) रेपो रेट में बढ़ोतरी कर इसी महंगाई पर काबू पाने की कोशिश करते हैं। जनता पर ज्यादा बोझ नहीं पड़े इसके लिए भी काफी ध्यान रखा जाता है। आमतौर पर 0.50 या इससे कम की बढ़ोतरी की जाती है। कोविड के समय में इसमें सबसे ज्यादा 4 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई थी। इसकी वजह से होम, कार और पर्सनल लोन की ब्याज दरें भी बढ़ जाती है।
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कर्ज की ईएमआई बढ़ेगी(RBI Repo Rate Increase)
यह सच है कि बैंक की ब्याज दरों में वृद्धि का सीधा असर नए ऋण लेने वालों और बैंक जमाकर्ताओं पर पड़ेगा। रेपो दर में वृद्धि के बाद, बैंक अपने खुदरा ऋण पर ब्याज दर में वृद्धि करते हैं और ऋण की ब्याज दर में वृद्धि के बाद, वे आमतौर पर मासिक ईएमआई के बजाय ऋण का कार्यकाल बढ़ाते हैं।
फरवरी में नीतिगत दर में बढ़ोतरी का फायदा बैंक अपनी एफडी पर कितना देते हैं, इस पर पैनी नजर होगी।