Basmati Rice: बासमती चावल के नाम पर अब नहीं थमाया जा सकेगा कुछ भी, सरकार ने उठाया यह बड़ा कदम

Basmati Rice: बासमती चावल के नाम पर अब नहीं थमाया जा सकेगा कुछ भी, सरकार ने उठाया यह बड़ा कदम

Basmati Rice: अब बासमती चावल के नाम पर भी उपभोक्ताओं को कुछ भी बिल्कुल नहीं थमाया जा सकेगा। भारत सरकार ने इस दिशा में पहल करते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। इससे अब उपभोक्ताओं को मनमाने दाम देने के बावजूद भी मिलावटी या फिर अन्य कोई चावल कोई बिल्कुल नहीं बेच सकेगा।

दरअसल, देश में पहली बार भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने भारत के राजपत्र में अधिसूचित खाद्य सुरक्षा और मानकों (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) प्रथम संशोधन विनियम, 2023 के माध्यम से बासमती चावल (ब्राउन बासमती चावल, मिल्ड बासमती चावल, पारबॉयल्ड ब्राउन बासमती चावल और मिल्ड पारबॉयल्ड बासमती चावल सहित) के लिए पहचान मानकों को निर्दिष्ट किया है।

यह विशेषता होनी चाहिए मौजूद

इन मानकों के अनुसार बासमती चावल में चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषता होनी चाहिए और यह कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंटों और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होगा। यह मानक बासमती चावल के लिए विभिन्न पहचान और गुणवत्ता मापदंडों को भी निर्दिष्ट करते हैं। जैसे कि अनाज का औसत आकार और खाना पकाने के बाद उनका बढ़ाव अनुपात, नमी की अधिकतम सीमा, एमाइलोज की सामग्री, यूरिक एसिड, दोषपूर्ण/क्षतिग्रस्त अनाज और गैर-बासमती चावल की आकस्मिक उपस्थिति आदि।

मानकों का ये हैं प्रमुख उद्देश्य

इन मानकों के निर्धारित किए जाने का मुख्य उद्देश्य बासमती चावल के व्यापार में उचित व्यवहार स्थापित करना और घरेलू और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है। यह मानक 1 अगस्त, 2023 से लागू होंगे।

इसलिए प्रसिद्ध है बासमती चावल

बासमती चावल भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालय की तलहटी में खेती की जाने चावल की एक प्रीमियम किस्म है। यह सार्वभौमिक रूप से अपने लंबे अनाज के आकार, फुली हुई बनावट और अनूठी अंतर्निहित सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। बासमती चावल उगाए जाने वाले विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों की कृषि-जलवायु परिस्थितियों के साथ ही चावल की कटाई, प्रसंस्करण और उम्र बढ़ने की विधि बासमती चावल की विशिष्टता में योगदान देती है।

लाभ के लिए की जाती मिलावट

अपनी अनूठी गुणवत्ता विशेषताओं के कारण, बासमती चावल घरेलू और विश्व स्तर पर व्यापक रूप से खपत होने वाला चावल है और भारत इसकी वैश्विक आपूर्ति का दो तिहाई हिस्सा है। प्रीमियम गुणवत्ता वाला चावल होने तथा गैर-बासमती किस्मों की तुलना में इसकी अधिक कीमत होने के कारण बासमती चावल में आर्थिक लाभ के लिए विभिन्न प्रकार की मिलावट की जाती है, जिसमें चावल की अन्य गैर-बासमती किस्मों का अघोषित मिश्रण शामिल हो सकता है।

व्यापक विचार-विमर्श के बाद तय

इसलिए घरेलू और निर्यात बाजारों में मानकीकृत वास्तविक बासमती चावल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एफएसएसएआई ने बासमती चावल के लिए नियामक मानकों को अधिसूचित किया है। यह मानक संबंधित सरकारी विभागों/एजेंसियों तथा अन्य हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करके तैयार किये गये हैं।

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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