▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़
Shree Ram Bhumi In Betul : भारत गहरी धार्मिक आस्था वाला देश हैं। यहां अधिकांश लोग ऐसे तो हैं ही जिनकी किसी न किसी भगवान के प्रति अटूट आस्था और श्रद्धा है। इसके साथ ही ऐसे श्रद्धालुओं की भी कोई कमी नहीं जो धर्म और भगवान के नाम पर अपनी पूरी संपत्ति और जमीन जायदाद तक दान कर देते हैं। यही कारण है कि देश के विभिन्न धार्मिक ट्रस्टों के पास चढ़ोतरी और दान के रूप में अथाह संपत्ति है। उन्हें विभिन्न सेवा कार्यों और प्रकल्पों के लिए कभी धन की कमी से नहीं जूझना पड़ता।
हम आए दिन देखते-सुनते रहते हैं कि विभिन्न मंदिरों के या ट्रस्टों के नाम लंबी चौड़ी और बेशकीमती जमीन है। हालांकि वह अधिकांश जमीन ट्रस्टों द्वारा विभिन्न प्रयोजनों हेतु खरीदी गई होती है। इन सबके विपरीत क्या आप यकीन करेंगे कि किसी गांव में ग्रामीणों ने अपनी पूरी जमीन ही भगवान श्री राम के नाम पर दान कर दी हो? आपका जवाब यकीनन ना होगा। लेकिन, हम बता दें कि ऐसा हुआ है।
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भगवान श्री राम के प्रति अपनी अगाध आस्था और श्रद्धा प्रदर्शित कर अपनी जमीन तक दान देने का उदात्त भाव मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में दिखाया गया है। सालों पहले जिला मुख्यालय के समीप स्थित ग्राम पंचायत सावंगा के सावंगा बोथी गांव में। यही कारण है कि यहां भगवान श्री राम के नाम पर दो-चार नहीं बल्कि 180 एकड़ जमीन (Shree Ram Bhumi In Betul) दर्ज है।
यह जमीन राजस्व रिकॉर्ड में रामचंद्र गंगा माई बारालिंग के नाम से दर्ज है। बताते है कि पुराने बुजुर्गों ने मालगुजारी के समय अपनी निजी कृषि भूमि धार्मिक आस्था के दान कर दी। केवल यहीं नहीं बल्कि जिले के अन्य गांवों में भी ग्रामीणों द्वारा भगवान, मठ और मंदिरों के लिए जमीनें दान दी गई है।
ग्रामीणों द्वारा अपनी आस्था के चलते जमीनें तो दान दी गई पर उन्हें नहीं मालूम था कि भविष्य में उनकी बेशकीमती जमीन की अनदेखी होगी और इसका लाभ और कोई लेगा। जिला प्रशासन भी इन मठ मंदिरों की भूमि पर ध्यान नहीं दे रहा है। पुण्य सलिला माँ ताप्ती नदी के तट बारालिंग में स्थित रामचंद्र भगवान गंगा माई ताप्ती माँ के नाम वर्षों पूर्व ट्रस्ट बना था।
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शुरुआत में खेड़ी सांवलीगढ़ निवासी माधवगोपाल नासेरी, गोण्डु पोद्दार और अन्य लोग ट्रस्ट के अध्य्क्ष बने। ग्रामीण बताते हैं कि जब तक खेड़ी के ट्रस्ट संचालक थे तब तक सभी कार्य विधिवत चल रहे थे। लेकिन, उनके मरणोपरांत बागडोर जिस व्यक्ति के हाथ आई उसने न ही मंदिर संचालन की ओर ध्यान दिया और ना ही इस सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि पर ही ध्यान दिया।
यही कारण है कि इस बेशकीमती भूमि का ग्रामीणों को कोई हिसाब नहीं बताया जाता। ग्रामीण बताते हैं कि भगवान रामचंद्र जी के नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज (Shree Ram Bhumi In Betul) इस जमीन की कौन देख रेख कर रहा है, कौन इस भूमि को ठेका पर दे रहा, किसी को पता नहीं। हालांकि कोई सीताराम नामक किसान पूरी 180 एकड़ जमीन पर खेती करता है। जिससे प्राप्त राजस्व कहां और किस मद में जमा होता है, इसकी किसी को जानकारी नहीं। यही कारण है कि ग्रामीणों ने कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस से रामचंद्र जी के नाम पर दर्ज इस जमीन (Shree Ram Bhumi In Betul) की जांच करने की मांग की है।