Pandit Pradeep Ji Mishra bhajan: मंदिर हो या कोई भी धर्म स्थल, हमें असीम शांति प्रदान करते हैं। वहीं इन स्थलों की एक दूसरी विशेषता यह है कि यहां होने वाली हर ध्वनि चाहे वह घंटी की हो या भजन की या फिर आरती की, नए उत्साह और उल्लास का संचार हमारे जीवन में करती है। बैतूल में चल रही मां ताप्ती शिवपुराण कथा में भी यही वास्तविकता देखने को मिली…!
सोमवार को कथा शुरू होने तक तो यहां सब कुछ ठीक था, लेकिन कथा समाप्त होते ही मानो प्रकृति ने कहर ही बरपा दिया। आरती होते ही भारी बारिश शुरू हो गई। ‘किए कराए पर पानी फिरना’ इस कहावत का असली मतलब भी अधिकांश लोगों ने प्रत्यक्ष देखा। आयोजन समिति ने इतने दिनों में जो तैयारियां की थी, वो सब पानी में बह सी गईं। कथा स्थल के हाल देखकर कोई यह कहने की स्थिति में नहीं था कि अगले दिन यानी मंगलवार को कथा हो भी सकेंगी…! (Pandit Pradeep Ji Mishra bhajan)
लेकिन, एक बार फिर धर्म की जीत हुई। तैयारियों में लगभग थक कर चूर हो चुके आयोजन समिति के पदाधिकारियों को नई ऊर्जा मिली, नया उत्साह मिला… सारी थकान भूलकर सभी दोबारा तैयारियों में जुट गए। सभी का एक ही लक्ष्य था कि कल कथा किसी भी हाल में होकर रहेगी। दूसरी ओर बाहर से आए हजारों श्रद्धालुओं ने भी इस प्राकृतिक हस्तक्षेप को जरा भी गंभीरता से नहीं लिया, उन्हें भोले पर भरोसा था। अधिकांश ने बार-बार अनुरोध के बावजूद किसी सुरक्षित स्थान पर जाने से साफ मना कर दिया। हालांकि दिलवाले बैतूलवासी भी मदद को सामने आए। उन्होंने अपने सारे दरवाजे खोल दिए…!
आखिर सभी की जीवटता जीती और रातोरात सभी व्यवस्थाएं हो गईं। मंगलवार को तय समय पर कथा भी शुरू हो गई। रात भर परेशानी झेलने के बाद यदि किसी से उम्मीद करें कि वह उत्साह से झूमे, नाचे तो संभव नहीं, लेकिन मंगलवार को पंडाल में अलग ही नजारा दिखा। यहां पंडित जी ने जैसे ही भगवान भोलेनाथ का भजन शुरू किया वैसे ही सारे श्रद्धालु एक दिन पहले की सारी परेशानियां भूलकर झूम उठे। आप भी सुनें वह भजन और देखें भगवान की भक्ति में झूमते श्रद्धालुओं का उल्लास और उत्साह…
यहां देखें भजन का पूरा वीडियो…
यहां देखें पहले और दूसरे दिन की कथा
https://www.youtube.com/watch?v=XBzrVzaAdtE
दूसरे दिन की कथा
https://www.youtube.com/watch?v=hvGv8kJxXqo&t=1s