Today Betul Mandi Bhav : आज के कृषि उपज मंडी बैतूल के भाव (दिनांक 02 नवंबर, 2022)

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Today Betul Mandi Bhav : कृषि उपज मंडी बैतूल में आज दिनांक 02 नवंबर, 2022 को विभिन्न जिंसों के भाव इस तरह रहे –

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Kathia Wheat Cultivation : किसानों के लिए सोने से कम नहीं है गेहूं की येे किस्‍म, 60 क्विंटल तक होता है उत्‍पादन, दाम भी है 6 हजार  

Kathiya Gehunखेती-किसानी को ज्यादा लाभकारी बनाने के लिये किसान नये-नये तरीके के प्रयास कर रहे हैं। जिससे खेती की लागत को घटाकर मुनाफा बढ़ाया जा सके। किसानों को ऐसी किस्मों की खेती करने की जानकारी दी जा रही है, जिनकी बाजार मांग ज्यादा हो और कम ससाधनों में खेती करके ही अच्छी पैदावार मिल सके। गेहूं की किस्मों में लोकप्रिय काठिया प्रजाति, जिसे काला गेहूं भी कहते हैं।

Kathia Wheat Cultivation होगा ज्यादा उत्पादन 

इस लोकप्रिय काठिया किस्म के गेहूं से दलिया, सूजी और रवा के साथ-साथ सेवइयां,नूडल्स, पिज्जा, वर्मी सेली और स्पेघेटी बनाई जा रही है। काठिया गेहूं की फसल पानी की कमी वाले इलाकों के लिये किसी वरदान से कम नहीं है।

Kathia Wheat Cultivation

Kathia Wheat Cultivation बेहतर उत्‍पादन से किसान भी उत्‍साहित 

भारत में करीब 25 लाख हेक्टेयर या उससे कुछ अधिक क्षेत्रफल में ही काठिया गेहूं की खेती करके ज्यादा उत्पादन हो रहा है। गेहूं के उत्पादों की बढ़ती डिमांड के चलते काठिया गेंहू का रकबा भी बढ़ाने की जरूरत है। पोषक तत्वों से भरपूर गेहूं की ये प्रजाति कुछ साल पहले तक सिर्फ उत्तर प्रदेश के किसानों तक ही सीमित थी, लेकिन इसकी खूबियों को परखते हुये अब गुजरात, मध्य प्रदेश, और राजस्थान के किसान भी काठिया गेहूं की खेती करने के लिए उत्साहित है।

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बाजार में 6000 रुपये क्विंटल तक बिकता है काठिया गेहूं  

काठिया गेहूं असिंचित या कम वाली इलाकों में भी काठिया गेहूं की खेती करके 30 से 35 क्विंटल तक उत्पादन कर सकते हैं। वहीं सिंचित इलाकों में काला गेहूं 50 से 60 क्विंटल की पैदावार देता है। गेहूं की साधारण किस्मों की तुलना में काठिया गेहूं को बीटा कैरोटीन व ग्लुटीन का अच्छा स्रोत मानते हैं। इसमें बाकी किस्मों के मुकाबले 1.5 से 2 प्रतिशत अधिक प्रोटीन मौजूद होता है। पोषक तत्वों से भरपूर काठिया गेहूं की फसल में रतुआ रोग की संभावना भी कम ही रहती है। देश-विदेश में बढ़ती मांग के चलते काला गेहूं 4,000 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव में बाजार में बिक रहा है।

Kathia Wheat Cultivation

काठिया गेहूं की खेती का तरीका 

बुआई

सिंचित असिंचित दशा में कठिया गेहूँ की बुआई अक्टूबर माह के अन्तिम सप्ताह से नवम्बर से प्रथम सप्ताह तक अवश्य कर देनी चाहिए। सिंचित अवस्था में नवम्बर का दूसरा एवं तीसरा सप्ताह सर्वोत्तम समय होता है।

सिंचाई

सिंचाई सुविधानुसार करनी चाहिए। अर्धसिंचित दशा में कठिया गेहूँ की 1-2 होती है सिंचाईदशा में तीन सिंचाई पयाप्र्त

  • 1 पहली सिंचाई बुआई के 25-30 दिन पर ताजमूल अवस्था
  • 2 दूसरी सिंचाई बुआई के 60-70 दिन पर दुग्धावस्था
  • 3 तीसरी सिंचाई बुआई के 90-100 दिन पर दाने पड़ते समय

कम सिंचाई

कठिया गेहूँ की किस्में में सूखा प्रतिरोधी क्षमता अधिक होती है। इसलिये 3 सिंचाई ही पर्याप्त होती है जिससे 45-50 कु०/हे० पैदावार हो जाती है।

अधिक उत्पादन 

सिंचित दशा में कठिया प्रजातियों औसतन 50-60 कु०/हे० पैदावार तथा असिंचित व अर्ध सिंचित दशा में इसका उत्पादन औसतन 30-35 कु०/हे. अवश्य होता है।

पोषक तत्वों की प्रचुरता 

कठिया गेहूँ से खाद्यान्न सुरक्षा तो मिली परन्तु पोषक तत्वों में शरबती (एस्टिवम) की अपेक्षा प्रोटीन 1.5-2.0 प्रतिशत अधिक विटामिन ‘ए’ की

अधिकता बीटा कैरोटीन एवं ग्लूटीन पर्याप्त मात्रा में पायी जाती है।

फसल सुरक्षा

ठिया गेहूँ में गेरूई या रतुआ जैसी महामारी का प्रकोप तापक्रम की अनुकूलतानुसार कम या अधिक होता है। नवीन प्रजातियों का उगाकर इनका प्रकोप कम किया जा सकता है।

Kathia Wheat Cultivation

Kathia Wheat Variety प्रजातियाँ 

सिंचित दशा हेतु

पी.डी.डब्लू. 34, पी.डी.डब्लू 215, पी.डी.डब्लू 233, राज 1555, डब्लू. एच. 896, एच.आई 8498 एच.आई. 8381, जी.डब्लू 190, जी.डब्लू 273, एम.पी.ओ. 1215

असिंचित दशा हेतु

आरनेज 9-30-1, मेघदूत, विजगा यलो जे.यू.-12, जी.डब्लू 2, एच.डी. 4672, सुजाता, एच.आई. 8627

उर्वरकों की मात्रा

संतुलित उर्वरक एवं खाद का उपयोग दानों के श्रेष्ठ गुण तथा अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए अति-आवश्यक है। अतः 120 किग्रा. नत्रजन (आधी मात्रा जुताई के साथ) 60 किग्रा० फास्फोरस 30 किग्रा० पोटाश प्रति हेक्टेयर सिंचित दशा में पर्याप्त है। इसमें नत्रजन की आधी मात्रा पहली सिंचाई के बाद टापड्रेसिंग के रूप में प्रयोग करना चाहिए। असिंचित दशा में 60:30:15 तथा अर्ध असिंचित में 80:40:20 के अनुपात में नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश का प्रयोग करना चाहिए।

Source:vikaspdedia

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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