भारतीय कृषि अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है गाय, इसके कमजोर होने से कृषि क्षेत्र में निराशा: मोहन नागर
भारत भारती गौशाला में गोवर्धन पूजा कर बताया गया गाय का महत्व, गौपालक भी रहे उपस्थित
Betul News: गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) के अवसर पर बुधवार को भारत भारती गौशाला (Bharat Bharti Goushala) में गोवर्धन पूजा सम्पन्न हुई। इस अवसर पर भारत भारती के सचिव मोहन नागर, जिला पशु चिकित्सा विभाग से पशु प्रजनन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. विनोद पटेल, सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी डॉ. अशोक बाघमोढ़े, प्रधानाचार्य राजेश धोटे, भारत भारती परिसरवासियों व गौपालकों ने गोवर्धन पूजा कर गौ आरती की।
इस अवसर पर सचिव मोहन नागर ने कहा कि भारत का प्रत्येक पर्व मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण रक्षक और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने वाला होता है। हर त्यौहार अपने अतीत की कथाओं में धर्म के साथ विज्ञान भी समेटे हुए है। भारतीय लोकजीवन में प्रकृति से मानव का सीधा सम्बन्ध हैं। पेड़, पर्वत, नदियाँ, गाय, साँप, चींटी आदि सम्पूर्ण चराचर जगत के प्रति हिन्दू धर्म का पूज्य भाव हमारे पर्वों पर झलकता है।
दीपावली का महापर्व जहाँ हमें संगठित समाज शक्ति के द्वारा रावणीय शक्तियों को परास्त करने वाले त्रेता के श्रीराम से जोड़ता है। वहीं दीपावली की अगली सुबह द्वापर के श्रीकृष्ण का स्मरण कराती है। भारत के गाँव-गाँव और घर-घर में आज गोवर्धन पूजा की जाती है। जिसमें गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा और परिक्रमा का विधान है।
इन्द्र के कोप से हुई मूसलाधार वर्षा से बृजवासियों की रक्षा करने के लिए श्रीकृष्ण ने ग्वाल-बालों के सहयोग से सात दिन तक गोवर्धन पर्वत उठाकर रखा। पर्वत आपदाओं में हमारी रक्षा करते हैं, इस कथा में यह भी सन्देश निहित है।
उन्होंने कहा कि गोवर्धन परियोजना वस्तुतः गौवंश वृद्धि करने का ही एक उपक्रम था। गाय भारतीय कृषि तन्त्र की रीढ़ है। इसके कमजोर होने से ही आज कृषि क्षेत्र में निराशा का वातावरण बनता जा रहा है। गाय केवल दूध के लिए नहीं अपितु सम्पूर्ण धरा, जल तथा जैवविविधता की रक्षा करने वाला अत्यन्त संवेदनशील प्राणी हैं। प्राणी जगत में सबसे संवेदनशील माँ होती है, इसीलिए गाय को माता के समकक्ष माना गया है।
यह बात भारतीय जनमानस को जिस दिन समझ में आ जायेगी, हमें प्रदूषण, दूषित अन्न-जल से छुटकारा मिल जायेगा। श्री नागर ने कहा कि आज से नए अन्न का पूजन कर समाज में सहभोज भी प्रारम्भ होता है। जिसे अन्नकूट कहा जाता है। डॉ. विनोद पटेल व डॉ. अशोक वाघमोढे ने भी गौपालन व पंचगव्य का महत्व बताया। आभार गौशाला प्रभारी फूलचन्द बारस्कर द्वारा व्यक्त किया।