• उत्तम मालवीय, बैतूल
जल संरक्षण के नाम पर गांवों में पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है। लेकिन, इस भारी भरकम राशि का दुरुपयोग ही अधिक हो रहा है। जल संरक्षण के लिए कई संरचनाएं तो बनाई जा रही है पर वे चंद महीने भी नहीं टिक रही है। इससे खुद ही साफ हो रहा है कि निर्माण केवल कागजों पर दिखाने भर के लिए किया जा रहा है।
जिले के शाहपुर ब्लॉक की कई ग्राम पंचायतों में भी ऐसे ही नजारे देखे जा सकते हैं। ग्राम पंचायत काजली का ऐसा ही एक मामला सामने आया है। ग्रामीणों के अनुसार इस पंचायत के डूडर ग्राम में 5-6 महीने पहले लगभग आधा दर्जन सोक पीट बनाए गए थे। इनमें से प्रत्येक की लागत 22 हजार थी। ग्राम पंचायत द्वारा इनका निर्माण किया गया था।
ग्रामीणों का आरोप है कि यह सोक पीट बस दिखावे भर के लिए ही बनाए गए थे। इसमें मापदंडों के अनुसार न सामग्री लगाई गई और न इस बात का ध्यान रखा गया कि ये कुछ साल तक टिक सके। ग्रामीण कहते हैं कि निर्माण में बमुश्किल 4 से 5 हजार की राशि लगाई गई होगी।
इस तरह से निर्माण किए जाने से ही इस अल्प समय में ही यह पूरी तरह से टूट फूट चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वैसे वो सोक पीट ऐसी संरचना होती है जिसका वैसे कोई सीधा उपयोग लोगों के द्वारा नहीं किया जाता।
इसके बावजूद यह बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इससे स्पष्ट है कि इनके निर्माण में गुणवत्ता का जरा भी ध्यान नहीं रखा गया। यही कारण है कि यह सभी सोक पीट इस हाल में पहुंच गए हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि इन निर्माण कार्यों की जांच की जाएं।