पितरेश्वर धाम : यहां स्थापित हैं हनुमान जी की दुनिया की सबसे बड़ी अष्ट धातु की प्रतिमा, अल्प समय में ही बना आस्था का केंद्र

• लोकेश वर्मा
Pitreshwar Dham : मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी और देवी अहिल्या की नगरी इंदौर स्वच्छता के लिए अब सभी दूर पहचान बना चुकी है। इसके साथ ही इस नगर का धार्मिक महत्व भी कम नहीं है। यहां स्थित अनेक मंदिर विभिन्न कारणों से काफी प्रसिद्ध हैं। भक्तों की इन धार्मिक स्थलों में अटूट आस्था है। पवन पुत्र हनुमान जी के भी यहां कई मंदिर हैं। हर मंदिर की प्रसिद्धि की अपनी वजह है।

इंदौर शहर की सीमा पर विराजे पितरेश्वर हनुमान मंदिर ने अल्प समय में ही काफी प्रसिद्धि पा ली है। यही नहीं यह स्थान भक्तों की आस्था का केंद्र भी बन गया है। यहां हनुमान जी अपने वृहद आकार में ध्यान मुद्रा में विराजमान हैं। साथ ही भगवान श्री राम की भक्ति कर रहे हैं। वहीं रणजीत हनुमान हर कार्य में सफलता का आशीर्वाद देने के लिए प्रसिद्ध है। यह दुनिया की सबसे बड़ी अष्ट धातु की प्रतिमा है।

यहां से हुई पितृ पर्वत की शुरुआत

वर्ष 2002 में वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय इंदौर के महापौर थे। उन्हें विचार आया कि क्यों न गोमटगिरी पहाड़ी के सामने देवधरम टेकरी पर हनुमानजी की सबसे बड़ी मूर्ति लगाई जाएं। यहीं पर उन्होंने शहर के लोगों से आग्रह किया कि वे ‘पितृ पर्वत’ पर अपने स्वर्गीय परिजनों के नाम से एक पौधा लगाएं। जिसकी देखभाल इंदौर नगर निगम के कर्मी करेंगे।

इसकी शुरुआत हुई तो 20 सालों में लोगों ने पितृ पर्वत पर हजारों पौधे रोपे। जिसमें से कई तो विशाल वृक्ष का रूप ले चुके हैं। यहां अब खूबसूरत हरियाली देखते ही बनती है। यहां पर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित होने के बाद इस स्थान का नया नामकरण ‘पितरेश्वर हनुमान धाम’ हो गया है। यानी पितृ पर्वत अब पितरेश्वर हनुमान धाम से जाना जाता है।

हनुमानजी की मूर्ति की विशेषता

28 फरवरी 2020 को स्थापित पित्रेश्वर हनुमान धाम का इतिहास बेहद दिलचस्प है। 72 फुट ऊंची और 72 फुट चौड़ी हनुमानजी की मूर्ति का वजन 90 टन है। इसकी लागत करीब 10 करोड़ रुपए आई है। 108 टन वजनी अष्ठधातु की यह मूर्ति दुनिया की सबसे बड़ी अष्टधातु की हनुमानजी की मूर्ति है। हनुमान जी का गदा 21 टन वजन और लंबाई 45 फुट है। जो दूर से ही दिखाई देती है।

मूर्ति पर दो करोड़ के लेजर लाइट अंधेरा घिरने के बाद हनुमान जी की प्रतिमा के सीने पर सात रंगों में हनुमान चालीसा का चित्रमय वर्णन एवं हनुमान चालीसा के पाठ के साथ अपनी आभा बिखेरती है। खास बात यह है कि गर्भग्रह में जलने वाली ज्योत को अयोध्या से लाया गया है। इस मूर्ति का निर्माण ग्वालियर के 125 कारीगरों ने 7 साल में किया है। यह नजारा श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। देखें वीडियो…

कैसे पहुंचे पितरेश्वर हनुमान धाम

देवी अहिल्या बाई होलकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से पितरेश्वर हनुमान धाम की दूरी करीब 3 किलोमीटर है। यह स्थान रेलवे स्टेशन से करीब 11 किलोमीटर और गंगवाल बस स्टैंड से करीब 8 किलोमीटर दूर है। सभी स्थानों से यहां पहुंचने के लिए साधन आसानी से उपलब्ध रहते हैं।

ठहरने के लिए यह होटल उपलब्ध

निम्न और मध्यम वर्ग के यात्री गंगवाल बस स्टैंड के आसपास छोटी होटलों में ठहर सकते हैं। लेकिन, जिन लोगों को सर्वसुविधा और लक्जरी व्यवस्था चाहिए उन्हें विजय नगर क्षेत्र में जाना होगा। ऐसे यात्री होटल मेरिएट, सयाजी, रेडिसन में ठहर सकते हैं। इन सितारा होटलों से पितरेश्वर हनुमान धाम की दूरी करीब 10 किलोमीटर है।

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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