शासन द्वारा ग्रामीण अंचलों में घर-घर तक शुद्ध पानी मुहैया करवाने लाखों-करोड़ों रुपये खर्च तो किए जा रहे हैं, लेकिन अधिकांश जगह इसका लाभ लोगों को मिल ही नहीं रहा है। कई स्थानों पर हो यह रहा है कि भारी भरकम राशि कागजों पर तो खर्च दिखा दी जा रही है, लेकिन जमीन पर काम हो ही नहीं रहे हैं। इसके चलते लोगों की परेशानी का हल नहीं हो पा रहा है।
योजना के काम करा रहे लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) विभाग के भी हाल यह है कि गुणवत्ता पूर्ण और पूरा-पूरा कराने की जरूरत वे जरा भी नहीं समझ रहे हैं। लोगों को वास्तव में लाभ मिल रहा है या नहीं, यह देखने के बजाय केवल कार्यों को पूर्ण दिखाए जाने वाले फोटो को देखकर गदगद होते रहते हैं। यही नहीं शिकवा शिकायत होने पर इन्हीं फोटो को अपनी ढाल बनाकर पेश भी कर देते हैं।
बैतूल जिले के आमला ब्लॉक की ग्राम पंचायत ससाबड़ में भी ऐसा ही एक मामला देखने को मिल रहा है। जहाँ 3 वर्ष पूर्व लाखों रुपयों से स्वीकृत नलजल योजना अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। यहां नई पाइप लाइन बिछाने लाखों रुपये खर्च कर दिए और काम पूरा होना भी दिखा दिया पर अभी भी पुरानी पाइप लाइन से ही पेयजल की सप्लाई की जा रही है।
ग्राम पंचायत ससाबड़ में लगभग 3 वर्ष पूर्व लगभग 9 लाख रुपयों की लागत से करीब नल जल योजना के तहत 1200 मीटर पाइप लाइन विस्तार का कार्य स्वीकृत हुआ था। पंचायत द्वारा योजना में भारी भ्रष्टाचार किया गया। इसी का नतीजा है कि यह कार्य पूरा हो जाने के लंबे अरसे बाद भी नई पाइप लाइन शुरू नहीं की जा सकी है।
जहाँ एक ओर नई पाइप लाइन कागजों में चालू बताई जा रही है तो वहीं ग्रामीणों का साफ कहना है कि नई पेयजल आपूर्ति योजना 3 वर्षों में अब तक शुरू ही नहीं हो पाई है। ग्रामीणों के आरोप हैं कि योजना में इस्टीमेट के आधार पर कार्य नहीं किया गया है। पाईप लाइन भी पूरी नहीं बिछाई गई है। यही कारण है कि लाखों की राशि खर्च दिखाने के बावजूद अभी तक इससे सप्लाई शुरू नहीं हो पाई है।
ग्रामीण ओमकार सिसोदिया द्वारा पूर्व में इसकी शिकायत भी की गई थी। लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। श्री सिसोदिया ने सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक पर योजना में भारी भ्रष्टाचार करने के आरोप भी लगाए हैं। इधर ग्रामीणों ने इस कार्य की निष्पक्ष रूप से जांच कराने और सभी कार्य पूर्ण कर नई पाइप लाइन से सप्लाई शुरू किए जाने की मांग की है।
कई जगह सामने आ चुके ऐसे मामले
नल जल योजना में लापरवाही और धांधली का यह कोई अकेला मामला नहीं है। बल्कि जिले में ऐसे मामले थोक में सामने आ रहे हैं। लाखों-करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद वास्तव में काम पूरे हो ही नहीं रहे हैं। केवल कागजों में काम पूरे दिखा कर इतिश्री कर ली जा रही है। यही कारण है कि काम पूरे दिखाए जाने के महीनों नहीं बल्कि सालों बाद भी योजना का लाभ लोगों को मिल ही नहीं रहा है। विभागीय अफसरों की रुचि भी काम पूरा करवाने के बजाय केवल योजनाएं पंचायतों को हैंड ओवर करने में हैं ताकि फिर सारा ठीकरा पंचायत पर फोड़ा जा सके।
हमारे द्वारा इस मामले की जांच की गई थी। इसके फोटो भी रखे हैं। उस समय नई पाइप लाइन से पानी आ रहा था।
रवि वर्मा
एसडीओ, पीएचई विभाग