अतीत की गलतियों और वतर्मान की चुनौतियों का विश्लेषण करके ही सुरक्षित भविष्य का निधार्रण हो सकता है। कोविड से बचाव के लिये इतिहास के बारे में कहा जाने वाला यह तथ्य सटीक सिद्ध हो सकता है। यह बात नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने कोविड जागरूकता कायर्क्रम में कही।
सारिका ने चार्ट की मदद से बताया कि अगर हम फरवरी 2021 के समाचार पत्रों की हैडलाईन पर नजर डालें तो उस समय कोविड की विदाई के संकेत देने वाले सुखद समाचार थे। फरवरी समाप्त होते-होेते विशेषज्ञों की चेतावनी आने लगी। मार्च के पहले सप्ताह में नाईट कर्फ्यू की तैयारी तो दूसरे सप्ताह में क्वारेंटाईन करने की बात कही जाने लगी। तीसरे सप्ताह में सिनेमाघर बंद हुये तो अंतिम सप्ताह में आईसीयू बेड फुल होने के समाचार थे।
सारिका ने कहा कि चूंकि 2022 में अधिकांश आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है, लेकिन वायरस के नये म्यूटेंट के बारे में कोई सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। भारतीय मौसम की परिस्थितियों में वायरस के व्यवहार को समझने के लिये मार्च का सावधानी से इंतजार करना चाहिये। इसलिये 2021 से समझें कोविड के व्यवहार को और मास्क और टीके के साथ तैयारी करें मार्च 2022 की।