चुड़ैल दांत : यहाँ था कभी आदि मानव का बसेरा
बचपन में हम बच्चों को इस स्थान के नाम से ही डराया जाता था। लेकिन यह भीम बैठका क्लस्टर का एक अति महत्वपूर्ण और बड़ा स्थान है। आज हमें डर लगता है इसकी गुमनामी से। जी हां, यह मेरे गांव सुल्तानपुर जिला रायसेन मध्यप्रदेश में स्थित आदि मानव का गुमनाम स्थान है, जो कस्बे के उत्तर पश्चिम में स्थित बड़े पहाड़ की कन्दराओं में करीब 10 किलोमीटर पर स्थित है।
रायसेन जिले का भीमबेटका विश्व धरोहर के शैलचित्रों के लिए प्रसिद्ध हो चुका है।नर्मदा वैली में एक और स्थान होशंगाबाद का आदमपुर भी आदि मानव के अस्तित्व से अपनी पहचान बना चुका है। भीमबेटका से सिर्फ 50 किलोमीटर की दूरी पर ही चुड़ैल दांत है। जिसके शैलचित्र में आपके साथ साझा कर रहा हूँ।
बचपन से हमारी उत्कंठा का स्त्रोत यह रहस्यमयी बड़ा पहाड़ क्षेत्र के अबोध मन को अनुशासन में रखने के लिए किवदंती बन गया था कि बड़े पहाड़ की गुफाओं में चुड़ैलें रहती हैं। उन्होंने वहां चित्रकारी की है और वे हाट में आती हैं। उनके पैर उल्टे होते हैं व बच्चों को उठा ले जाती हैं। मिडिल पार करते ही डर तो दूर हो गया तथा इतिहास के प्रति विशेष लगाव होने के कारण चुड़ैल दांत का रहस्य मुझे आकर्षित करने लगा था। हायर सेकेंडरी स्कूल छोड़ते तक तो मैं जान गया था कि चुड़ैल दांत हमारे क्षेत्र के लिए कितनी महत्वपूर्ण जगह है। हम भीमबेटका और चुड़ैल दांत जैसे आश्चर्यजनक स्थान पर हैं जहां आदि मानव ने अपना बसेरा बनाया और अमिट शैल चित्रों के माध्यम से अपनी उपस्थिति को कालजयी बनाया है।
छात्र जीवन में मैं इस रहस्य को सबके बीच लाना चाहता था।किंतु बहुत ही जल्दी स्नातक करते ही मैंने सिर्फ 23 वर्ष की उम्र में वर्दी पहने ली और इधर नौकरी में व्यस्त हो गया। परन्तु चुड़ैल दांत मुझे हमेशा सोचने पर मजबूर करता रहा। अब जबकि नौकरी से घर वापसी में ज्यादा समय नहीं बचा है तो पुनः यह स्थान मेरा केंद्र बिंदु हो गया है। इस बीच कुछ पुराविद विद्वानों की नजर अवश्य पड़ी उन्होंने काम भी किया, लेकिन वह अंतिम रूप तक न पहुंच सके।
रायसेन जिला प्रशासन, पुरातत्व विभाग और उच्च राजनीति की इच्छा शक्ति इस स्थान को भीमबेटका से जोड़ कर एक बड़ी उपलब्धि से विश्व को अवगत करा सकती है। देखें यह सुकाज कब तक पूरा होगा।