बैतूल जिले से बीते 15 सालों से शुरू होने वाली मां ताप्ती की परिक्रमा पदयात्रा का रविवार को पुनः शुभारंभ हुआ। जय माँ तापी के जयकारों के साथ जब यात्रा शुरू हुई तो पूरी धार्मिक नगरी मुलतापी आस्था व श्रद्धा से सराबोर हो उठी। जगह-जगह पदयात्रा का स्वागत पुष्पयात्रा से किया गया।
पवित्र नगरी से मां ताप्ती के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मां ताप्ती सम्पूर्ण परिक्रमा पदयात्रा का रविवार को शुभारंभ हुआ। यात्रा में नगर सहित पूरे क्षेत्र से हजारों लोग शामिल हुए। सुबह मां ताप्ती के तट से पदयात्रा शुरू हुई जो सरोवर की परिक्रमा करते हुए मासोद रोड स्थित मरही माता मंदिर पहुंची, जहां पदयात्रियों को मरही माता मंदिर समिति द्वारा जल पान कराया गया। इसके पश्चात यात्रा ज्ञान मंदिर पहुंची, जहां यात्रा का स्वागत किया गया।
समिति के कार्यकर्ताओं ने बताया कि पदयात्रा मुलताई ताप्ती उद्गम स्थली से शुरू होकर लगभग एक हजार किलोमीटर का सफर तय कर गुजरात के डुमस मां ताप्ती और समुद्र के संगम स्थल पहुंचेगी। जहां से पदयात्री दोबारा एक हजार किलोमीटर का सफर तय कर वापस मुलताई आएंगे। कुल दो हजार किलोमीटर की पदयात्रा में पदयात्री संगम तक मां ताप्ती के तटों से होकर गुजरेंगे और लोगों को मां ताप्ती के महत्व, तटों की सफाई सहित मां ताप्ती के जल संवर्धन सहित अन्य जानकारियां प्रदान करेंगे। लगभग दो महीने में सम्पन्न होने वाली पदयात्रा का समापन मुलताई के ताप्ती तट पर होगा।
78 पड़ाव पार करेगी यात्रा
60 दिवसीय यात्रा 78 पड़ावों को पार करते हुए मां ताप्ती के समागम स्थल गुजरात के सूरत में समुद्र किनारे पर समाप्त होगी। बीते 14 सालों से चल रही यह यात्रा हर साल जनवरी को शुरू होकर ताप्ती नदी के किनारे-किनारे तीन राज्यों से होकर गुजरती है। जिसमें सैकड़ों पदयात्री शामिल होते हैं। ताप्ती किनारे गांवों में यात्रियों के रुकने ठहरने की व्यवस्थाएं होती हैं।