कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा बैतूल के मशहूर शिल्पकार बलदेव वाघमारे की कृति ‘बालक भरत’ को राष्ट्रीय कालिदास मूर्तिकला पुरस्कार के लिए चुना गया है। उन्हें पुरस्कार स्वरूप एक लाख रुपये, स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र भेंट किया जाएगा। उज्जैन में चल रहे अखिल भारतीय कालिदास समारोह के लिए महाकवि कालिदास रचित अभिज्ञान शांकुतलम् पर केंद्रित पारंपरिक शैली की कलाकृतियां आमंत्रित की गई थी। इसके लिए 13 राज्यों के कलाकारों द्वारा 238 चित्र और 52 मूर्ति शिल्प भिजवाए थे।
इनमें से निर्णायक मंडल ने 52 चित्र एवं 16 मूर्तियों को प्रदर्शनी के लिए चुना था। इन सभी की प्रदर्शनी समारोह में चल रही है। इन्हीं में से चित्रकला में 4 और मूर्तिकला में 1 कृति को पुरस्कार के लिए चुना गया है। मूर्तिकला में चयनित इकलौती कृति श्री वाघमारे की है जो कि जिले के लिए गौरव की बात है। कालिदास संस्कृत अकादमी के प्रभारी निदेशक डॉ. संतोष पंड्या ने पुरस्कारों की घोषणा की। यह पुरस्कार कालिदास समारोह के समापन पर 21 नवंबर को प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार के लिए चयनित चित्रों और मूर्तिकला 15 से 21 नवंबर तक अकादमी की अभिज्ञानशाकुंतलम् एवं रघुवंशम कला वीथिका में प्रदर्शन किया जाएगा। श्री वाघमारे ने बताया कि वे पुरस्कार प्राप्त करने के लिए 20 नवंबर को उज्जैन रवाना होंगे।