बैतूल। जिले के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के ग्राम जुवाड़ी निवासी एक किसान के नवाचार से पचास से सौ परिवार के सदस्यों को रोजगार मुहैया हो सका है। रोजगार की तलाश में जो लोग गांव से पलायन कर जाते थे, वे परिवार अब गांव में रहकर ही रोजगार हासिल कर रहे हैं। यह नवाचार शासन की मनरेगा योजना को मात दे रहा है।
कहने को तो मनरेगा योजना के तहत गांव में मजदूरों को सौ दिन का काम दिया जाता है पर जमीनी हकीकत पर नजर डाले तो कहानी कुछ और ही नजर आती है। काम नहीं मिलने से मजबूरी में ग्रामीण पलायन करते हैं, लेकिन पिछले दो सालों से जुवाड़ी गांव सहित आसपास के चार से पांच गांव के लोग गांव छोड़कर नहीं गए हैं। इसका कारण शासन की मनरेगा योजना नहीं है बल्कि जुवाड़ी के किसान का मिनी उद्योग है। यहां पर मजदूरों को निरंतर रोजगार मिल रहा है। शुरुआती दौर में किसान ने बीस लोगों को रोजगार दिया था पर अब धीरे धीरे यह संख्या डेढ़ सौ से दो सौ पर पहुंच गई है।
खेत में लगाई उपज सुखाने की मशीन
ग्राम जुवाड़ी निवासी किसान विनय महतो एव अभिषेक महतो ने अपने खेत में उपज सुखाने की मशीन लगाई है। यह मशीन सीधे तौर पर सभी प्रकार की फसल को सुखाने का काम करती है। इस मशीन पर चौबीस घंटे मजदूरों की आवश्यकता होती है। करीब 70 से 75 मजदूर मशीन पर काम करने के लिए लगते हैं। इसके अलावा फसल को उठाने और रखने के लिए अलग से मजदूरों की आवश्यकता होती है। किसान विनय महतो ने बताया कि दो साल पहले उन्होंने इसकी शुरुआत गांव के लोगों को रोजगार दिलाने के उद्देश्य से की थी। उन्होंने बताया कि लोग गांव छोड़कर न जाए, उन्हें गांव में रोजगार मिले यह उनकी सोच थी और उनकी पहल रंग लाई। आज वे सौ से डेढ़ सौ परिवार के सदस्यों को रोजगार दिलाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके बाद वे जैविक खेती संबंधी ट्रीटप्लांट की शुरुआत भी करेंगे। इससे एक ओर किसानों को जैविक खाद मिलेगा वहीं गांव के लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हो सकेगा।
इन गांवों के लोगों को मिला रोजगार
घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के ग्राम जुवाड़ी समेत चारगांव, शोभापुर, महकार, महेंद्रवाड़ी, कोयलारी के लोगों को रोजगार मुहैया हुआ है। जुवाड़ी निवासी साहबलाल ने बताया कि गांव में रोजगार नहीं मिलने के कारण वे हमेशा दूसरे जिले में रोजगार की तलाश में जाते थे जिसके कारण कई समस्याओं से उन्हें जूझना पड़ता था। गांव में काम के लिए कई बार ग्राम पंचायत को आवेदन दिया पर काम नहीं मिला। पिछले दो साल से उन्हें गांव में स्थाई रोजगार मिल रहा है। इधर चारगांव निवासी फूलचंद का कहना था कि उनके घर से भी ज्यादातर लोग काम की तलाश में दूसरे जिले में जाते थे पर जुवाड़ी में जब से मिनी उद्योग की शुरुआत हुई है, उन्हें गांव में पर्याप्त काम मिल रहा है। अब उन्हें ग्राम पंचायत से मिलने वाले काम की भी जरूरत नहीं है। इसी तरह महेंद्रवाड़ी निवासी गन्ने, बसंत ने बताया कि पिछले दो साल से उन्हें अच्छे मानदेय पर भरपूर काम मिल रहा है। उनके परिवार के तीन सदस्य इसी मिनी उद्योग पर काम कर रहे हैं। लॉकडाउन में भी उन्हें काम से नहीं निकाला गया।
@ रानीपुर से प्रकाश सराठे
किसान का नायाब नवाचार, मिला पांच गांव के लोगों को रोजगार
उत्तम मालवीय
मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।
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