पिछली बार जब वे मिले थे तो सभी बच्चे थे, हाफ पैंट पहनते थे, दुनियादारी से रूबरू होने का मौका ही नहीं मिल पाया था… 5 वीं के बाद किसी का स्कूल बदला तो किसी का शहर… इसके बाद शादियां हुईं और सभी अपनी-अपनी घर-गृहस्थी और आजीविका में जुट गए… इस मशक्कत में बचपन की वो दोस्ती, वो याराना भी सभी के दिलो दिमाग से निकलता जा रहा था… इसी बीच कुछ दोस्तों को बचपन की वो यादें फिर ताजा करने और एक ही छत के नीचे मिलने की सूझी और उन्होंने प्रयास शुरू किए… विचार नेक था और सभी दोस्तों के मन में भी अपने बचपन को एक बार फिर ताजा करने की ख्वाहिशें हिलोरे मार रही थीं, लिहाजा यह कोशिशें भी जल्द ही सफल हो गई और पूरे 32 साल बाद कक्षा पहली से पांचवीं तक पढ़े यह सभी दोस्त आखिरकार एक साथ मिल गए, लेकिन इस बार नजारा जुदा ही था। सभी दोस्त बेहतरीन कपड़े पहने थे तो कोई सूटबूट पर था, कोई अच्छा खासा मोटा होकर तोंद निकल आई तो किसी के सिर पर बाल ढूंढने से भी नजर नहीं आ रहे थे, यही नहीं सबकी केवल पत्नियां ही नहीं बल्कि बच्चे भी साथ थे… लेकिन एक चीज इन 32 सालों बाद भी नहीं बदली थी और वह थी इन दोस्तों के मिलने का बिंदास अंदाज… सभी दोस्त सारी परेशानियां और मुसीबतों को भूलकर आपस में उसी बिंदास अंदाज में मिले जैसे 32 साल पहले मिला करते थे…!
स्कूली दोस्तों के मिलन का यह अनूठा समारोह बीती रात बैतूल के सदर स्थित कस्तूरी बाग मैरिज लॉन में आयोजित किया गया। इसमें नगर पालिका प्राथमिक शाला बैतूल में वर्ष 1984 से 1989 तक कक्षा पहली से पांचवीं तक पढ़े दोस्तों का यह यादगार मिलन हुआ। इस समूचे आयोजन के सूत्रधार की भूमिका कृष्णा सोनारे (जो उस समय क्लास मॉनिटर हुआ करते थे) और दीपक सिंघ कौशल ने निभाई। कार्यक्रम में अब विभिन्न शहरों और स्थानों पर नौकरी और कारोबार के सिलसिले में रह रहे महेन्द्र मालवीय, राकेश आहूजा, घनश्याम साहू, योगेश चौधरी, महेंद्र साहू, संजय साहू, नवनीत शर्मा, राजेश धोटे, सुनील साहू, मनोज राठौर, उमेश गुहारिया, द्वारका राठौर, गोवर्धन साहू, महेन्द्र सराठकर, लोकेश हिरानी, संजु साहू, संतोष साहू, नसीम खान शामिल हुए। पांचवीं कक्षा के बाद कोई दूसरे शहर चले गए थे तो कुछ दूसरे स्कूल में पढ़ने लगे थे। आज इनमें से कुछ जहां कारोबारी के रूप बड़ा मुकाम बना चुके हैं तो कुछ उच्च पदों पर आसीन हैं।
इन सभी दोस्तों ने आपस में मिलकर एक बार फिर पुरानी यादें ताजा की वहीं सभी के परिवार भी आपस में मिले, जिससे जान पहचान और परिचय का सभी के परिवारों का दायरा भी बढ़ा। इस मौके पर महेन्द्र मालवीय और राकेश आहूजा ने कहा कि कृष्णा हमारा क्लास मॉनिटर हुआ करता था और आज भी हमारे लिए मॉनिटर ही है। लोकेश हिरानी ने कहा गया कि हमारा मॉनिटर कृष्णा भाई 100 मित्रों के बराबर है। सभी दोस्तों का फूलमाला और पगड़ी पहनाकर स्वागत किया गया और आपस में एक-दूसरे को स्मृति पत्रक भेंट कर शुभकामनाएं दी गईं। इस वायदे के साथ यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ कि वे इसी तरह भविष्य में भी मिलते रहेंगे। पूरे आयोजन में नागरिक बैंक अध्यक्ष अतीत पवार का विशेष सहयोग रहा।