• उत्तम मालवीय, बैतूल
Station Masters Strike : कोरोना काल के समय महामारी के चलते पूरे देश में ट्रेनों की आवाजाही को बंद कर दिया था। रेलवे (Indian Railway) के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था, जब पूरे देश में रेलगाड़ियां नहीं चली थी। कोरोना का कहर कम होने के बाद रेलों का संचालन फिर शुरू हो पाया है। लेकिन अब एक बार फिर पूरे देश में ट्रेनें बंद हो सकती हैं। दरअसल, 31 मई को पूरे भारत में ट्रेनों के पहिए थम सकते हैं। क्योंकि रेलवे के सभी स्टेशन मास्टरों (Station Master) ने सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय लिया है। ऐसे में यदि रेलवे बोर्ड कोई समाधान नहीं निकालता है तो ट्रेनों के देश भर में पहिए थमना तय है।
स्टेशन मास्टरों की मांग है कि उनके संवर्ग में खाली पदों को जल्द भरा जाएं। हजारों पद खाली होने से स्टेशन मास्टरों को अभी 8 घंटे की जगह 12 घंटे नौकरी पर रहना पड़ता है। देश के करीब 35 हजार स्टेशन मास्टरों ने रेलवे की उदासीनता के चलते रेलवे बोर्ड को एक नोटिस दिया है। जिसमें उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर हमारी मांगें नहीं मानी गई तो 31 मई को हम सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे।
ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन (All India Station Masters Association-AISMA) के अध्यक्ष धनंजय चंद्रात्रे और केंद्रीय महामंत्री पी. सुनील कुमार ने कहा है कि हमारे पास सामूहिक अवकाश पर जाने के अलावा कोई चारा नहीं है। देश भर में इस वक्त करीब 6 हजार स्टेशन मास्टरेां की कमी है। लेकिन रेलवे इन पदों पर भर्ती नहीं कर रहा है। स्टेशन मास्टरों की शिफ्ट आठ घंटे की होती है, लेकिन स्टाफ की कमी के चलते 12 घंटे की शिफ्ट करनी पड़ रही है। इसके अलावा जिस दिन स्टेशन मास्टर का अवकास होता है। उस दिन दूसरे स्टेशन से कर्मचारी को बुलाना पड़ता है।
क्या हैं स्टेशन मास्टरों की मांगें
ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष धनंजय चंद्रात्रे के अनुसार स्टेशन मास्टरों की मांगों को लेकर हमारे द्वारा रेलवे बोर्ड के सीईओ को एक सूची भेजी गई है। सूची में मांग की गई है कि रेलवे के खाली पदों को जल्द भरा जाएं। रेल कर्मचारियों को रात्रि ड्यूटी भत्ता दिया जाएं। एमएसीपी का लाभ 16.02.2018 के बजाय 01.01.2016 से प्रदान किया जाएं। स्टेशन मास्टरों (Station Master) को सुरक्षा और तनाव भत्ता दिया जाएं। रेलवे का निजीकरण को रोका जाएं। साथ ही नई पेंशन स्कीम को बंद करके पुरानी पेंशन स्कीम को शुरू किया जाएं।
लंबे समय से जारी है संघर्ष
अपनी मांगों को लेकर स्टेशन मास्टरों का संघर्ष लंबे समय से जारी है। एसोसिएशन द्वारा अपनी मांगों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए वैधानिक तरीके से 7 चरणों में आंदोलन कर चुके हैं।
• प्रथम चरण में एस्मा के पदाधिकारियों द्वारा रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को ई-मेल भेजकर के विरोध जताया गया।
• दूसरे चरण में पूरे भारतवर्ष के स्टेशन मास्टरों ने 15 अक्टूबर को रात्रि ड्यूटी शिफ्ट में स्टेशन पर मोमबत्ती जलाकर के विरोध प्रदर्शन किया गया।
• तीसरे चरण का विरोध प्रदर्शन ट्रेन संचालन को सुचारू रूप से रखते हुए 20 अक्टूबर से 26 अक्टूबर तक 1 सप्ताह तक काला बैज लगा कर के ट्रेन संचालन किया।
• पांचवें चरण में भारतवर्ष के 35000 स्टेशन मास्टरों ने ऑन ड्यूटी एवं ऑफ ड्यूटी प्रत्येक मंडल कार्यालय के सामने ट्रेन संचालन को सुचारू रूप रखते हुए धरना प्रदर्शन किया।
• छठवें चरण में सभी संसदीय क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा गया एवं रेल मंत्री को भी ज्ञापन सौंपा गया।
• सातवें चरण में रेल राज्य मंत्री से मुलाकात करके समस्याओं से अवगत करवाया।
अभी तक स्टेशन मास्टरों की सभी डिमांड पेंडिंग में हैं। नाइट ड्यूटी सीलिंग लिमिट के आदेश डीओपीटी से स्वीकृत होकर फाइनेंस में स्वीकृति हेतु पेंडिंग है। इसलिए केंद्रीय कार्यकारिणी के द्वारा यह कठिन निर्णय लिया गया है।