बैतूल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों बिजली को लेकर काफी परेशानी सामना किसानों को करना पड़ रहा है। इससे भी ज्यादा परेशानी किसानों को बिजली कंपनी के अफसरों के बेपरवाह रवैए से हो रही है। किसान शिकायत करते हैं तो उसे सुनने तक की जहमत अफसर नहीं उठा रहे हैं, निराकरण करना तो दूर की बात है।
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फोरलेन के समीप स्थित भडूस के भारतढाना के किसानों के साथ भी यही हुआ। यहां विगत 15 दिनों से विद्युत सप्लाई बाधित रही। ग्रामीण बिजली अधिकारियों से गुहार लगा-लगा कर थक गए, लेकिन समस्या हल नहीं की गई। इसके चलते किसानों को सीएम हेल्पलाइन की मदद लेना पड़ा। तब कहीं उनकी समस्या का हल हो सका।
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भारतढाना के किसान हरदीप मारवाह बताते हैं कि इस क्षेत्र में विद्युत सप्लाई खेड़ी स्थित एमपीईबी विद्युत वितरण केंद्र से होती है। विद्युत केंद्र खेड़ी वितरण केन्द्र के प्रभारी को शिकायत दर्ज करा दी गई थी। शिकायत उपरांत हमें जानकारी दी गई कि ट्रांसफार्मर खराब होने के कारण विद्युत वितरण बाधित हो गया है, जो जल्द ही सुधार लिया जाएगा। लगातार फॉलोअप करने के पश्चात भी आश्वासन ही मिलता रहा।
बिजली सप्लाई प्रभावित होने से गांव में किसानों के परिवारों और खेती के साथ-साथ मवेशियों को भी परेशान रहना पड़ा। विद्युत सप्लाई के बिना जल आपूर्ति भी बाधित रही। जिससे खेती को नुकसान तो हुआ ही बिना पानी के रहवासियों के साथ ही मवेशियों के स्वास्थ पर भी असर हुआ।
श्री मारवाह के अनुसार इस संबंध में बिजली कंपनी के महाप्रबंधक वीरेंद्र सिंह दांगी के मोबाइल पर बात कर समस्या से अवगत करवाया गया। लेकिन वहां हाल यह थे कि उनके लिए रहवासियों द्वारा 15 दिनों से झेली जा रही यह समस्या कोई मायने ही नहीं रख रही थी। उन्होंने पूरी परेशानी सुनने के बजाय बीच में ही फोन काट दिया। अंत: सीएम हेल्प लाइन में शिकायत दर्ज करवानी पड़ी। जिसके उपरांत कार्रवाई हुई और विगत 15 दिनों से झेली जा रही परेशानी से रहवासियों को राहत मिली।
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श्री मारवाह का कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम से यह बात समझ में आई कुर्सी पर बैठे अधिकारी यदि ड्यूटी को जिम्मेदारी से निभाएं तो हर परेशानी का निराकरण तुरंत हो सकता है पर अधिकारियों की जिम्मेदारियों के प्रति बेपरवाही आम जनता की परिशानियों को बढ़ाती हैं। अधिकारियों के लापरवाह बर्ताव के कारण प्रदेशवासियों और सरकार के मध्य भेदभाव जैसी मानसिकता का जन्म होता है। अगर जनता की समस्याओं का निराकरण सीएम हेल्प लाइन के माध्यम से हो सकता है तो डिपार्टमेंट उसे सीधे स्वयं निराकरण करने में क्यों कोताही बरतता है?
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