विश्व पर्यटन दिवस पर होटलों में ठहरने और खाने पर दी जा रही आकर्षक छूट, आज ही कराएं बुकिंग, कहीं चूक ना जाए मौका-Top Tourist Places in MP

Top Tourist Places in MP | world tourism day offer |  होटल, खाने पर आकर्षक छूट | betulupdate

खूबसूरत पर्यटन और रमणीक स्थलों पर भला कौन नहीं घूमना-फिरना चाहता। ऐसे स्थानों की सैर कर दिल को सुकून देने और प्रकृति के सानिध्य में जाने के लिए अक्सर लोग सैर सपाटा करते भी हैं। इसके लिए जरुरी रुपया पैसा भी वे खर्च करते हैं। लेकिन, सैर सपाटा का यह शौक भी पूरा हो जाए और रुपये भी कम लगे तो यह तो सोने पर सुहागा वाली बात हो जाएगी।

विश्व पर्यटन दिवस (world tourism day) के मौके पर मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम (MP State Tourism Development Corporation) ऐसा ही सुनहरा मौका घूमने-फिरने के शौकिनों को उपलब्ध करा रहा है। दरअसल, पर्यटन निगम की सभी होटल्स और रिसॉर्ट्स में ठहरने (stay) एवं फूड (Food) पर 27 सितंबर 2022 को फ्लैट 20 प्रतिशत का डिस्काउंट दिया जाएगा। यह डिस्काउंट राजधानी में होटल पलाश रेसीडेंसी और लेक-व्यू सहित नेशनल पार्क और जंगल में स्थित होटल्स और रिसॉर्ट पर भी लागू होगा।

निगम के महाप्रबंधक एसपी सिंह ने बताया कि पर्यटकों के लिए नेशनल पार्कों के समीप स्थित यूनिट्स में भी 20 प्रतिशत का डिस्कांउंट दिया जाएगा। यह डिस्काउंट सिर्फ 27 सितंबर, 2022 (एक दिवस) के लिए ही मान्य होगा। टूरिस्ट्स अपनी समय व सुविधा के अनुसार इस डिस्काउंट का लाभ उठाने के लिए पसंदीदा होटल्स और रिसॉर्ट में बुकिंग कर सकेंगे। बुकिंग की अधिक जानकारी के लिये पर्यटन निगम के नंबर 8982391500 पर संपर्क और बेवसाईट www.mpstdc.com पर विजिट कर सकते हैं।

यह हैं मध्‍यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल | Major tourist places of Madhya Pradesh

pachmarhi the queen of satpura Madhya Pradesh Tourism | MP: सतपुड़ा की रानी  पचमढ़ी, बेहद खूबसूरत है प्रदेश का एकमात्र हिल स्‍टेशन

  • पचमढ़ी

सतपुड़ा पर्वत के मनोरम पठार पर अवस्थित पचमढ़ी का प्राकृतिक सौंदर्य ऐसा अनोखा है कि वहाँ पहुँचकर कोई भी पर्यटक मंत्रमुग्ध सा रह जाता है। ग्रीष्मकाल में जब मैदानी भाग लू के तपते थपेड़ों से व्याकुल रहते हैं तब पचमढ़ी में शीतल समीर के झोंकों का स्पर्श अत्यंत आनंददायी तथा सुखद प्रतीत होता है। पर्वतीय जलवायु स्वास्थ्यवर्धक है ही। पचमढ़ी का शाब्दिक अर्थ है पाँच कुटियाँ जो अब इन विद्यमान पाँच गुफाओं की सूचक हैं। प्रचलिलत दंत कथा के अनुसार इनमें पाण्डवों ने वनवास काल का एक वर्ष बिताया था। प्राचीन वास्तुवेत्ता इन गुफाओं को बौद्धकालीन मानते हैं, जो संभवत: साँची और अजन्ता के बीच की संयोजन कड़ियां की प्रतीक हैं।

  • दर्शनीय स्थल

प्रियदर्शिनी, हाड़ीखोह पचमढ़ी की सबसे प्रभावोत्पादक घाटी है। अप्सरा, विहार, रजत प्रपात, राजगिरि, लांजी गिरी, आईरीन सरोवर, जलावतरण (डचेस फॉल), जटाशंकर, छोटा महादेव, महादेव, चौरागढ़, धूपगढ़, पांडव गुफाएं, गुफा समूह, धुंआधार, भ्रांत नीर (डोरोथी डिप), अस्तांचल, बीनवादक की गुफा (हार्पर केव) तथा सरदार गुफा देखने योग्य हैं।

साँची का स्तूप - विकिपीडिया

  • साँची

भोपाल से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है साँची। साँची को पूर्व में काकणाय, काकणादबोट, बोट-श्री पर्वत नामों से जाना जाता था। यहाँ स्थित स्मारकों का निर्माण तृतीय शती ईसा पूर्व से बारहवी शती ईस्वी. तक निरन्तर जारी रहा। साँची के पुराने स्मारकों के निर्माण का श्रेय मौर्य सम्राट अशोक (तत्कालीन राज्यपाल विदिशा) को है जिन्होंने अपनी विदिशा निवासी रानी की इच्छानुसार साँची की पहाड़ी पर स्तूप विहार एवं एकाश्म स्तम्भ का निर्माण कराया था। शुंग काल में साँची एवं उसके निकटवर्ती स्थानों पर अनेक स्मारकों का निर्माण हुआ था। इसी काल में अशोक के ईट निर्मित स्तूप को प्रस्तर खंडों से आच्छादित किया गया था। स्तूप 2 और 3 तथा मंदिर का निर्माण शुंगकाल में ही हुआ था। भारत सरकार के पुरा- सर्वेक्षण विभाग द्वारा साँची के निकटवर्ती स्थानों पर खुदाई में साँची सदृश अन्य स्तूप श्रृंखला का पता चला है।

  • दर्शनीय स्थल

विशाल स्तूप क्रमांक एक 36.5 मीटर की परिधि तथा 16-4 मीटर की ऊंचाई वाला भव्य निर्माण प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला की अनुपम कृति हैं। स्तूप क्रमांक-दो की श्रेष्ठता उसके पाषाण-निर्मित घेरे में है। उर्द्धगोलाकार युक्त गुंबध वाले स्तूप क्रमांक-तीन का धार्मिक महत्व है। महात्मा बुद्ध के दो प्रमुख शिष्यों सारिपुत्र तथा महामौगलायन के अवशेष यहीं मिले थे। बौद्ध विहार, अशोक स्तंभ, महापात्र, गुप्तकालीन मंदिर तथा संग्रहालय यहां के अन्य दर्शनीय स्थल है।

पर्यटकों के बीच काफी फेमस है खजुराहो मंदिर, जानिए यहां की दीवारों पर की गई  नक्काशी का दिलचस्प इतिहास | पर्यटकों के बीच काफी फेमस है खजुराहो ...

  • खजुराहो

पत्थरों पर तराशी गई सुंदर कला की नगरी है खजुराहो। यहाँ के विश्वप्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण चन्देल राजाओं 950-1050 ईस्वी के मध्य करवाया था। इन मंदिरों की संख्या 85 थी लेकिन अब इनकी संख्या कम हो गई हैं। ये मंदिर मध्य युगीन भारत की शिल्प एवं वास्तुकला के सर्वोत्कृष्ट नमूने हैं। यहाँ दूर-दूर तक फैले मंदिरों की दीवारों पर देवताओं तथा मानव आकृतियों का अंकन इतना भव्य एवं कलात्मक हुआ कि दर्शक देखकर मंत्र-मुग्ध रह जाते हैं।

  • दर्शनीय स्थल

पश्चिम समूह के मंदिर-कंदरिया महादेव, चौंसठ योगिनी, चित्रगुप्त मंदिर, लक्ष्मण मंदिर तथा मातंगेशवर मंदिर।
पूर्वी समूह-पार्श्वनाथ मंदिर घंटाई मंदिर, आदिनाथ मंदिर।

दक्षिण समूह-दूल्हादेव मंदिर तथा चतुर्भुज मंदिर। इसके अलावा-बेनी सागर बांध स्नेह प्रपात भी दर्शनीय हैं।

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  • मांडू(मांडव)

प्रकृति की मनोहारी छटा ने मांडू के सौंदर्य को निखार दिया है। सैकड़ों फुट नीचे नर्मदा का विशाल पाट फैला है जिसकी सोंधी गंध समूचे परिवेश को अतीव रोमांचक बना देती है। यहां निर्मित मंडपों, स्तंभ युक्त कक्षों गुंबदों और बुर्जों से अतीतकाल की अनेक स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं। मांडू को बाज बहादुर और रूपमति की प्रणय गाथा से भी जोड़ा गया है। समुद्र से 2000 फुट की ऊंचाई पर विंध्य पर्वतमाला की गोद में स्थित इस सुरक्षित स्थल को मालवा के परमार राजाओं ने अपनी राजधानी बनाया था। यहां का प्रत्येक स्थापत्य भरतीय वास्तुकला का भव्य नमूना है।

  • दर्शनीय स्थल

मांडू का परकोटा:- इसमें 12 दरवाजे हैं जो रामपोल, तारापुर दरवाजा, जहांगीर दरवाजा, दिल्ली दरवाजा आदि नामों से जाने जाते हैं। यह निर्माण अपनी मजबूती के लिए प्रसिद्ध है।

जहाज महल:-हिंडोला महल, होशंगशाह का मकबरा, जामी मस्जिद अशर्फी महल, रेचा कुंड, रूपमती मंडप, नीलकंठ, नीलकंठ महल, हाथी महल तथा लोहानी गुफाएं आदि दर्शनीय है।

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  • उज्जैन

पुण्य-सलिला क्षिप्रा के पूर्वी तट पर स्थित भारत की महाभागा नगरी उज्जयिनी को भारत की सांस्कृतिक-काया का मणि-चक्र माना गया है। पुराणों में उज्जयिनी, अवन्तिका, अमरावती, प्रतिकल्पा, कुमुद्धती आदि नामों से इसकी महिमा गायी गई है।

महाकवि कालीदास द्वारा वर्णित “श्री विशाला” एवं पुराणों में वर्णित “सार्वभौम” नगरी यही है। उज्जैन का सिंहस्थ पर्व प्रत्येक बारह वर्षों के अंतराल से कुंभ पर्व रूपी दुर्लभ अवसर पर मनाया जाता है। श्रीकृष्ण-सुदामा ने यही सांदीपनि आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी।

  • दर्शनीय स्थल

यहां महाकाल मंदिर परिसर मंगलनाथ, काल भौरव, विक्रान्त भैरव, हरसिद्धि, चौसठयोगिनी, गढ़कालिका, नगर कोट की रानी, गोपाल मंदिर, अनंत नारायण मंदिर, अंकपात, त्रिवेणी संगम पर नवग्रह मंदिर चिन्तामण-गणेश, अवन्ति-पार्श्वनाथ मंदिर, ख्वाजा शकेब की मस्जिद, बोहरों का रोजा, जामा मस्जिद, वैश्या टेकरी का स्तूप-स्थल, कालियादह महल, ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर, पीर-मत्स्येन्द्र की समाधि, जयसिंहपुरा, दिगम्बर जैन संग्रहालय, वाकणकर स्मृति जिला पुरातत्व संग्रहालय, भारतीय कला भवन, दुर्गादास राठौर की छत्री आदि दर्शनीय स्थल हैं।

भेड़ाघाट धुआंधार जबलपुर जानकारी - Bhedaghat Tourist Places In Hindi

  • भेड़ाघाट

भेड़ाघाट (जबलपुर) में संगमरमरी चट्टानों पर तेज प्रवाह से गिरता नर्मदा नदी का जल पर्यटकों को आकर्षित करता है। जबलपुर से 21 कि.मी. दूर संगमरमर की ऊँची दूधिया चट्टानों के बीच बहती हुई नर्मदा नदी अति सुंदर दृश्य उपस्थित करती है।इस स्थल पर पर्यटकों के लिए नौका विहार की सुविधा है।

  • दर्शनीय स्थल

भेड़ाघाट के समीप चौसठ योगिनी मंदिर तथा गौरीशंकर मंदिर दर्शनीय हैं।

Chitrakoot Temples and its places | CHITRAKOOT VISIT: धर्म के साथ प्रकृति  को भी देखने का बेस्ट डेस्टिनेशन है चित्रकूट | Patrika News

  • चित्रकूट

प्राचीन काल में तपस्या और शांति का स्थल चित्रकूट ब्रम्हा, विष्णु, महेश के बाल अवतार का स्थान माना जाता है। वनवास के समय भगवान राम, सीता, लक्ष्मण महर्षि अत्रि तथा सती अनुसूया के अतिथि बनकर यहाँ रहे थे। प्राकृतिक सुषमा के बीच चित्रकूट में पर्यटक मानसिक शांति प्राप्त करते हैं।

  • दर्शनीय स्थल

रामघाट में मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित घाटों की कतारें हैं। कामदगिरि, जानकी कुण्ड, सती अनुसूया, स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा, भरत कूप दर्शनीय हैं।

छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बाॅर्डर पर एक अद्भुत रमणीय स्थानः अमरकंटक -  Tripoto

  • अमरकंटक

भारत की प्रमुख सात नदियों में से अनुपम नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकण्टक प्रसिद्ध तीर्थ और नयनाभिराम पर्यटन स्थल है। मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील के दक्षिण-पूर्वी भाग में मैकल पर्वतमालाओं में स्थित अमरकण्टक भारत के पवित्र स्थलों में गिना जाता है। नर्मदा और सोन नदियों का यह उद्गम आदिकाल से ऋ़षि-मुनियों की तपोभूमि रहा है। नर्मदा का उद्गम यहां एक कुंड से तथा सोनभद्रा का पर्वत शिखर से हैं।

  • दर्शनीय स्थल

अमरकण्टक के मन्दिर जिलकी संख्या 24 हैं। कपिलधारा जलप्रपात, सोन मुंग, माई की बगिया, कबीरा चौरा, भृगु कमण्डल औरपुष्कर बांध देखने योग्य हैं। घाटी में बसे अमरकण्टक ग्राम में भव्य शिखरों वले मंदिर और कई धर्मशालाएं हैं।

tourist places in gwalior, ग्वालियर घूमने की इच्छा रखने वालों के लिए यहां  की जगह किसी रॉयल प्लेसेस से कम नहीं हैं, आप भी यहां की खूबसूरती को एक बार  जरूर ...

  • ग्वालियर

ग्वालियर राज्य की यह पुरातन राजधानी आज भी अपने प्राचीन वैभव की कहानी कह रही है। ग्वालियर शहर सदियों तक अनेक राजवंशों का आश्रय स्थल रहा और प्रत्येक के राज्यकाल में इनमें नए आयाम जुड़े। यहां के योद्धाओं, राजाओं, कवियों, संगीतकारों और साधु-संतों ने अपने योगदान से इस नगर को अधिकाधिक समृद्धि और सम्पन्नताʔ प्रदान की और यह नगर सारे देश में विख्यात हुआ। विशाल ग्वालियर दुर्ग का निर्माण सन् 525 ई. में राजा सूरजपाल ने कराया था। मध्यकाल के इतिहास में इस दुर्ग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

  • दर्शनीय स्थल

ग्वालियर दुर्ग बलुए पत्थर की सीधी चट्टानों पर खड़ा हुआ समूचे शहर की दृष्टि से ऊंचे आसन पर विराजमान है। गूजरी महल, राजा मानसिंह तोमर ने गुजर रानी मृगनयनी के प्रेम में बनवाया। मान मंदिर, सूरजकुंड, तेली का मंदिर, सास-बहू का मंदिर, जयविलास महल, रानी लक्ष्मीबाई की अश्वारोही मूर्ति, संग्रहालय, तानसेन की समाधी, गौस मोहम्मद का मकबरा, कला वीथिका, नगर पालिका संग्रहालय, चिड़ियाघर, गुरूद्वारा, सूर्य मंदिर आदि दर्शनीय हैं। प्रति वर्ष यहां मेला लगता है।

Travel Special: मध्य प्रदेश के इस शहर में घूमने के हैं शानदार ऑप्शन, कभी  शिवपुरी जाइये आप भी कहेंगे वाह | TV9 Bharatvarsh

  • शिवपुरी

ग्वालियर रियासत के सिंधिया राजाओं की ग्रीष्मकालीन राजधानी रह चुकी शिवपुरी आज भी अपने सुन्दर राजप्रासादों तथा संगमरमर से निर्मित अलंकृत छतरियों के द्वारा विगत राजसी विरासत की याद दिलाती है। दुर्लभ वन्य प्राणियों ओर पक्षियों के लिए यहां के आकर्षक अभ्यारण्य ने शिवपुरी के शानदार अतीत को अत्यंत स्पंदनशील बना दिया है।

  • दर्शनीय स्थल

माधव राष्ट्रीय उद्यान: 156 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह उद्यान विभिन्न प्रकार की वनस्पति एवं विविध प्राणियों से समृद्ध है। हिरण की बहुलता वाले इस क्षेत्र में चिंकारा, भारतीय कलपूंछ और चीतल सहज ही दृष्टिगोचर हो जाते हैं। इसके अलावा नीगाय, सांभर, चौसिंघा, कृष्णमृग, रीछ, चीता ओर बंदर प्रमुख हैं।

राष्ट्रीय उद्यान के अतिरिक्त सिंधिया राजवंश की कलात्मक छतरियां, गुलाबी रंग का माधव बिलास प्रसाद, अभ्यारण्य के बीच उसके सर्वोच्च बिन्दु पर स्थित कगूरेेदार जार्ज कैसल, सख्या सागर, बोट क्लब, भदैया कुण्ड तथा वीर तात्या टोपे की विशाल मूर्ति यहां के अन्य दर्शनीय स्थल है।

यही है ज़िंदगी: ओंकारेश्वर–शिव सा सुंदर

  • ओंकारेश्वर तथा महेश्वर

ओंकारेश्वर:-ऊँ की पवित्र आकृति स्वरूप यह द्वीप सदृश मनोरम स्थल अनंतकाल से तीर्थ के रूप में मान्य है। यहां नर्मदा-कावेरी के संगम पर ओंकार मांधाता के मंदिर में स्थापित ज्योतिर्लिंग पुराण प्रसिद्ध द्वादश जयोतिर्लिंगों में से एक है।

  • दर्शनीय स्थल

ओंकार मांधाता, सिद्धनाथ मंदिर, चौबीस अवतार, सप्त मातृका मंदिर तथा काजल रानी गुफा आदि यहां है।

महेश्वर:- इतिहास प्रसिद्ध सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन की प्राचीन राजधानी महिष्मति ही आधुनिक महेश्वर है। इसका उल्लेख रामायण तथा महाभारत में भी मिलता है। रानी अहिल्याबाई होलकर ने यहां की महिला को चार चांद लगाए। महेश्वर के मंदिर तथा दुर्ग परिसर के सौंदर्य में अपार आकर्षण विद्यमान है।

  • दर्शनीय स्थल

राजगद्दी और राजवाड़ा, घाट तथा मंदिर दर्शनीय हैं। महेश्वर की साड़ियाँ अतीव प्रसिद्ध है।

Top famous tourist Places in Bhopal for Couples places to visit in bhopal  apmp | Top Places in Bhopal:पार्टनर के साथ घूमने के लिए भोपाल में इनसे  बेहतर जगहें और कोई नहीं,

  • भोपाल

ग्यारहवीं सदी के भोजपाल तथा तत्पश्चात् भूपाल नामक इस नगर को परमारवंशी राजा भोज ने बसाया था। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल एक बहुरंगी तस्वीर पेश करता है। एक ओर पुराना शहर हैं, जहां लोगों की चहल-पहल उसके बीच बाजार है, पुरानी सुन्दर मस्जिदें तथा महल हैं। दूसरी तरफ नया शहर बसा हुआ है जिसके सुन्दर पार्क और हरे-भरे वृक्ष गहरी राहत देते हैं। भोपाल पांच पहाड़ियों पर बसा है तथा इसमें दो झीलें हैं। यहां की जलवायु सम है।

  • दर्शनीय स्थल

ताज-उल-मसाजिद, जामा मस्जिद, लक्ष्मीनारायण मंदिर, बिड़ला संग्रहालय, शौकत महल और सदर मंजिल, भारत-भवन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, राजकीय संग्रहालय, गांधी भवन, वन विहार, चौक, बड़ी और छोटी झील, मछली घर इत्यादि दर्शनीय हैं।

MP Holidays-DMC of Madhya Pradesh

  • कान्हा

साल और बांसों से भरा कान्हा का जंगल, झूमते-लहराते घास के मैदानी और टेड़ी-मेढ़ी बहने वाली नदियों की निसर्ग भूमि है। सन् 1955 में एक विशेष कानून के द्वारा कान्हा राष्ट्रीय उद्यान अस्तित्व में आया। यह पशु-पक्षियों के लिए एक निर्भय आश्रय स्थल बन गया है।

  • दर्शनीय स्थल

बमनीदादर, स्तनपायी प्राणियों की जातियां तथा कान्हा का पशु-पक्षी संसार दर्शनीय है।

ओरछा: राम राज्य से लेकर बुंदेलखंड की विरासत तक, सबकुछ है यहाँ - Tripoto

  • ओरछा

ओरछा राज्य की स्थापना 16वीं सदी में बुन्देला राजपूत रूद्रप्रताप ने की थी। ओरछा के प्रांगण में अनेक छोटे मकबरे और स्मारक हैं। इनमें से प्रत्येक का रोचक इतिहास है। मध्यकाल की यह प्रसिद्ध एतिहासिक नगरी है।

  • दर्शनीय स्थल

जहांगीर महल, राजमहल, राय प्रवीण महल, रामराजा मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, फूल बाग, दीवान हरदौल महल, सुन्दर महल, छत्रियां, शहीद स्मारक।

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  • भोजपुर तथा भीमबेटका

भोजपुर : जनश्रुतियों और किंबदन्तियों के रूप में अमरता प्राप्त धार के महान सम्राट राजा भोज ने इसकी स्थापना की थी। यहां का भव्य शिवमंदिर मध्य भारत का सोमनाथ कहालाता है।

  • दर्शनीय स्थल

भोपाल से 28 कि.मी. दूर भोजपुर की प्रसिद्धि भव्य शिवमंदिर और विधाल बांध के कारण है। यह मंदिर भोजेश्वर मंदिर के रूप में माना जाता है। जैन मंदिर भी दर्शनीय हैं।

Tales Of A Nomad: Udayagiri caves and Vidisha

  • विदिशा, उदयगिरी गुफाएं, ग्यारसपुर तथा उदयपुर

भोजपुर : विदिशा, बेसनगर तथा भेलसा के नाम से प्रसिद्ध यह क्षेत्र प्राचीन इतिहास की समृद्ध धरोहर के रूप में सांची से केवल 10 कि.मी. दूर बेतवा और बेस नदियों के बीच अवस्थित है। यह क्षेत्र शुंग, नाग, सातवाहन तथा गुप्त सम्राटों के अधीन रहकर अत्यंत समृद्धि को प्राप्त हुआ था। सम्राट बनने के पूर्व अशोक यहां के राज्यपाल रहे थे। विदिशा का उल्लेख महाकवि कालिदास की महान कृति मेघदूत में मिलता है।

  • दर्शनीय स्थल

लोहांगी शिला, गुम्बज, बीजा मंडल आदि हैं। हेलियोदोरस का स्तंभ (खंबा बाबा) हेलियोदोरस द्वारा वासुदेव के सम्मान में स्थापित स्तंभ है।

उदयगिरी गुफाएं : विदिशा से 4 कि.मी. दूर स्थित हैं तथा चौथी-पांचवीं सदी में निर्मित हैं। गुप्तकालीन इन गुफाओं की तोरण-श्रृंखला अतीव सुन्दर है। गुफा क्रमांक 5 में विष्णु को बाराह अवतार के रूप में उत्कीर्ण किया गया है। भगवान विष्णु की विशालकाय मूर्ति विश्राम मुद्रा में है।

ग्यारसपुर :सांची से 41 कि.मी. दूर स्थित यह स्थान मध्ययुग का महत्वपूर्ण स्थान है। स्तंभों पर निर्मित दो मंदिरों के भग्नावशेषों की नक्काशी तत्कालीन कला की मुंह बोलती-तस्वीर है। बज्र भद्र और मालादेवी के नक्काशीदार स्तंभ दर्शनीय हैं।

उदयपुर : यह स्थान भोपाल से विदिशा तथा गंजबासौदा होते हुए 90 कि.मी. की दूरी पर है। यहां का विशाल नील कंठेश्वर मंदिर परमारकालीन स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है। बीजा मंडल, शाही मस्जिद, महल, पिसनहारी का मंदिर आदि अन्य दर्शनीय स्थल हैं।

बाघ की गुफाएँ: बाघ गुफाएँ इंदौर से 146 कि.मी. दूर हैं। अजन्ता की गुफाओं की तरह ही ये गुफाओं की तरह ही ये गुफाएं भी प्राचीन काल की हैं। इन गुफाओं में हिन्दू महाकाव्यों और बौद्ध ग्रंथों की घटनाएं अंकित हैं। यह स्थल विदेशी पर्यटकों को बहुत रास आता है। भारतीय पुरा सर्वेक्षण विभाग द्वारा इसका संरक्षण किया जा रहा हैं। उपरोक्त प्रमुख पर्यटन स्थलों के आसपास भी कई छोटे-बड़े महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल विद्यमान हैं।

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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