मां तो आखिर मां होती है, वह अपने बच्चों को कभी भी, कहीं भी परेशान होते हुए नहीं देख सकती है। बच्चों के लिए मां की ममता व समर्पण का ऐसा ही एक उदाहरण बैतूल में देखने को मिला। पिछले कुछ दिनों से रक्तदान शिविर नहीं लगने से रक्त की उपलब्धता में आ रही कमी के कारण बेटी (जिला रक्तकोष अधिकारी डॉ. अंकिता सीते) को जब मां आभा सीते ने परेशान देखा तो उन्होंने खुद ही शिविर में पहुंच कर रक्तदान किया। उन्होंने भले ही एक यूनिट ही रक्तदान किया, लेकिन उनकी बेटी को इससे बड़ा संबल मिला है।
यह भी पढ़ें… शाबाश मनोज… महिला की जान बचाने 41 वीं बार किया रक्तदान
पिछले कुछ दिनों से कैम्प नहीं लगने से ब्लड बैंक के रक्त की कमी आ गई थी। इसको लेकर रक्तकोष अधिकारी डॉ. अंकिता सीते ने प्रयास करके रक्तदान समितियों और रक्तदाताओं से संपर्क कर रक्तदान शिविर शुरू करवाए हैं। इस दौरान दत्तात्रेय जयंती सप्ताह के उपलक्ष्य में सिविल लाइन स्थित दत्त मंदिर परिसर में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इसमें 27 यूनिट रक्तदान हुआ है। इसमें खास बात यह थी कि रक्तकोष अधिकारी डॉ. अंकिता सीते की मां श्रीमती आभा सीते ने भी रक्तदान किया और संदेश दिया कि सभी को रक्तदान करना चाहिए। इससे जरुरतमंद मरीजों की जान बचती है। यह बहुत ही पुण्य का कार्य है। इस दौरान डॉ. सीते की चार साल की बेटी आदिरा सीते ने भी नानी को प्रोत्साहित किया।
यह भी पढ़ें… ग्रेट: 42 की उम्र में अपने रक्त से दे चुके 80 लोगों को जीवनदान
डॉ. अंकिता सीते ने बताया कि रक्त कमी के चलते रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। अभी तक दिसम्बर माह में 8 कैम्प लगाए गए हैं। इन शिविर में 232 रक्तदाताओं ने रक्तदान किया और ब्लड बैंक में 206 यूनिट रक्तदान हुआ। डॉ. सीते ने बताया कि जिले के रक्तदाताओं और रक्तदान समितियों का बड़ा योगदान रहता है कि वे हमेशा बढ़ चढ़ कर रक्तदान शिविर में हिस्सा लेते है। उनके साथ ही ब्लड बैंक स्टाफ भी रक्तदान शिविर के आयोजन विशेष योगदान देता है। डॉ. सीते ने सभी रक्तदाताओं और समितियों के साथ ही ब्लड बैंक स्टाफ के विजया पोटफोड़े, मुकेश कुमरे, मूरत उइके, अजय साहू, एम. निवारे, पद्मा पवार, अलका गलफट, नंदनी आरवीकर, रमेश जैन, राजेश बोरखड़े, नीलेश जावलकर एवं प्रभाकर तायवाड़े का आभार जताया।