महिलाएं आज हर क्षेत्र में दखल देकर अपनी सफलता का लोहा मनवा रही हैं। वे जो भी काम हाथ में लेती हैं, उसे अंजाम तक पहुंचा कर ही मानती हैं। बैतूल के साईंखेड़ा ग्राम में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है।
पहले जिस नल जल योजना का पर्याप्त वसूली नहीं होने से संचालन और बिजली बिल भरना भी मुश्किल था, उसी का संचालन महिलाओं द्वारा अपने हाथ में लेते ही जैसे चमत्कार हो गया। महज दो महीनों में इस छोटे से गांव में महिलाओं ने 1 लाख 40 हजार की वसूली कर ली। अब योजना के संचालन में पैसों की कोई दिक्कत नहीं आती।
साईंखेड़ा ग्राम एक तरह से आज महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गया है। मुलताई से 25 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत साईंखेड़ा स्थित है। जिसकी आबादी लगभग 4300 है। वर्तमान समय में 650 परिवारों में पेयजल की आपूर्ति नल जल कनेक्शन के माध्यम से की जा रही है। पूर्व में पंचायत द्वारा जल कर वसूली का कार्य किया जाता था। जिसमें शत-प्रतिशत वसूली नहीं हो पाती थी।
पर्याप्त वसूली नहीं होने से जल प्रदाय में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। कभी बिजली का बिल भरने में दिक्कत होती थी तो कभी कोई गड़बड़ी होने पर सुधार करवाने में परेशानी का सामना करना पड़ता था। इससे लोगों को कई बार पानी से भी वंचित रहना पड़ता था।
ग्राम के योगेश नागले बताते हैं कि इस बीच मध्यप्रदेश शासन की महत्वपूर्ण योजना के तहत महिला स्व सहायता समूह के द्वारा नल जल संचालन एवं संधारण के आदेश हुए। इस पर पंचायत द्वारा ग्राम के महिला स्व सहायता समूह के बीच अनुबंध किया गया।
ग्राम में संचालित राधे स्व सहायता समूह को यह कार्य सौंपा गया। इससे समूह ने वह कर दिखाया जो पंचायत भी नहीं कर पा रही थी। समूह से जुड़ी महिलाओं ने 2 महीने में ही 140000 की वसूली कर ली। जिससे समूह और ग्राम पंचायत दोनों की आय में वृद्धि हुई।
महिला स्व सहायता समूह ने ग्रामवासियों को प्रेरित कर जैसे जल कर, भवन कर, प्रकाश कर, स्वच्छता कर देने के लिए प्रेरित किया गया। इससे ग्रामीण भी समय पर कर अदा करने लगे और इससे उन्हें भी सभी सुविधाएं प्राप्त हो रही है। नल जल योजना के संचालन में भी अब कोई अवरोध नहीं आता है। इससे ग्रामवासी भी बेहद खुश हैं।