Bhutte ke fayde : बारिश के रूमानी मौसम में मन ललचा देती है गर्मागर्म भुट्टों की महक; स्वाद लाजवाब, सेहत के लिए भी फायदेमंद

• लोकेश वर्मा, मलकापुर
झमाझम बरसात का मौसम शुरू हो चुका है। इस रिमझिम बारिश में भुट्टा (corn cob) न खाया जाए, ऐसा संभव ही नहीं। सिके हुए देशी भुट्टे हो या फिर स्टीम में पके अमेरिकन कॉर्न (american corn), दोनों का अपना अलग ही मजा है। स्वाद तो इनका मजेदार होता ही है, सेहत के लिए भी ये फायदेमंद हैं। यही कारण है कि इस मौसम में भुट्टों का लुफ्त हर कोई उठाना चाहता है।

गर्म, रसीले, मसालेदार भुट्टे को खाए बिना मानसून का क्या मजा? क्या आपके मुंह में पहले से ही पानी आ रहा है? हमारे भी! पहले सड़क किनारे भुट्टे मिलना आम बात थी, जिन्हें जलते हुए कोयले की आंच पर भूना जाता था। भुने हुए भुट्टों की महक आपको आकर्षित करती थी और इन्हें खरीदने पर मजबूर कर देती थी। ऐसी ही भुट्टो की बहार अभी बैतूल-इंदौर नेशनल हाईवे पर नेमावर के आगे देखने को मिलती है।

खरीफ की फसल “मक्का” की बुआई लगभग पूर्ण हो गई है वही “बैतूल-इंदौर हाइवे” पर “भुट्टो” की बहार है। रिमझिम बरसाती फुहार और बारिश के रूमानी मौसम में बैतूल से प्रदेश की आर्थिक राजधानी का सफर का मज़ा गरमा गरम भुट्टों के बिना अधूरा हैं। सड़क किनारे देशी टपरी में लकड़ी की आंच में भुनते विदेशी “अमेरिकन स्वीट कॉर्न” की महक गुजरते यात्रियों को ललचा के रुकने पर मजबूर कर देती है।

सड़क के दोनों ओर किनारों पर लगी दुकानें, “गरमा- गरम” धधकते अंगारों पर पकते “नींबू-मसाला” लगे स्वादिष्ट भुट्टों के सॉफ्ट, मीठे और बड़े दानों का जायका लिए बिना यहां से कोई नहीं गुजरता। इधर शहर में भी जगह-जगह इनकी दुकानें लग चुकी हैं। जहां लोग इनका लुफ्त उठाते नजर आ जाते हैं।

भुट्टा (corn cob) क्या होता है

मकई या भुट्टा का वैज्ञानिक नाम ‘जी-मेज’ है। इसकी गिनती मोटे अनाजों में की जाती है। मकई यानी मक्का को भुट्टा के रूप में लगभग पूरे भारत में खाया जाता है। इसकी खेती मैदानी भागों से लेकर लगभग 2700 मीटर ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों तक में की जाती है। भारत में आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में इसे बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। वहीं, विश्व की बात करें तो चीन, ब्राजील, मैक्सिको और अमेरिका जैसे देश मकई उगाने के मामले में सबसे आगे हैं।

types of corns : भुट्टे के प्रकार

रंग और स्वाद के आधार पर मकई को विभिन्न रूपों में विभाजित किया है। इसके प्रमुख प्रकार इस तरह से हैं…

येलो डेंट कॉर्न (yellow dent corn) : इसका प्रयोग मुख्य रूप से इथेनॉल के उत्पादन रूप में किया जाता है। इथेनॉल एक प्रकार का अल्कोहल होता है, जिसे पेट्रोल में मिलाया जाता है। फिर यही पेट्रोल गाड़ियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

स्वीट कॉर्न (sweet corn) : यह कॉर्न का वह प्रकार है, जिसे आप बाजार से या किराने की दुकान से खरीदते हैं।

व्हाइट कॉर्न (white corn) : इसका उपयोग मुख्य रूप से भोजन और चिप्स उत्पादन के लिए किया जाता है।

हाई एमाइलोज कॉर्न (high amylose corn) : इसमें स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है। इसका अधिक उपयोग टैक्सटाइल इंडस्ट्री में किया जाता है।

पॉप कॉर्न (pop corn) : यह कॉर्न की वह किस्म है, जो गर्म करने पर फैलती है और फूल जाती है।

रेड कॉर्न (red corn) : यह प्रकार खाने में अखरोट के स्वाद जैसा लगता है। इसे मीठे कॉर्न की श्रेणी में गिना जाता है।

ब्लू कॉर्न (blue corn) : इसका उपयोग खाद्य पदार्थों को बनाने के लिए किया जाता है, खासकर चिप्स।

ओर्नामेंटल कॉर्न (Ornamental Corn) : यह भारतीय मक्के का एक प्रकार है, जो विभिन्न रंग और रूप में पाया जाता है।

Corn and health : सेहत के लिए भी बेहद लाभप्रद

भुट्टे को एक बेहतरीन “कोलेस्ट्रोल फाइटर” माना जाता है जो ह्रदय के मरीजों के लिए रामबाण है। पके हुए भुट्टे में पाया जाने वाला कैरोटीनायड विटामिन-ए का अच्छा स्रोत है। भुट्टों में मिनरल्स और विटामिन के आलावा पकने के बाद “एंटी-ऑक्सीअडेंट्स” बढ़ जाते हैं। इनमें “फेरूलिक एसिड” होता है जो कि कैंसर जैसी घातक बीमारी में लड़ने में बहुत मददगार होता है। इसलिए केवल स्वाद के लिए ही नहीं बल्कि सेहत के लिए भी उन्हें जरूर खाना चाहिए।

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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