बैतूल में लगातार 23 सालों से मरीजों और परिजनों को अंकुरित आहार बांट रहे सेवाभावी

  • उत्तम मालवीय, बैतूल © 9425003881
    बैतूल के जिला अस्पताल में मरीजों और परिजनों को बीते 23 साल से लगातार नि:शुल्क पौष्टिक आहार के रूप में अंकुरित आहार मुहैया कराया जा रहा है। अंकुरित आहार परिवार से जुड़े सेवा भावियों की नि:स्वार्थ सेवा का यह सिलसिला इस लंबे अरसे में कभी नहीं थमा। आज सेवा के यह महान प्रकल्प ने 24 वें साल में प्रवेश किया। इसकी खुशी मनाते हुए अंकुरित आहार परिवार ने और उत्साह के साथ अपनी यह सेवा जारी रखते हुए नए साल की शुरुआत जिला अस्पताल में की।

    23 साल पहले 1 जनवरी 1999 को कुछ समाजसेवियों और पत्रकारों ने गरीब मरीजों और बीमारों के लिए एक योजना की शुरुआत की थी। इस योजना ने बीते 23 सालो में लाखों मरीजों को फायदा पहुंचाया है। अंकुरित आहार परिवार के जयंती लाल गोठी ने बताया कि बैतूल के समाजसेवियो ने यहां जिला अस्पताल में भर्ती होने वाले आम और खास मरीजों की सेवा के लिए अपनी समाज सेवा की मिसाल पेश की है। हर सुबह घडी की सुइयां 8 बजाती है और यहां शुरू हो जाता है सेवा का सिलसिला। पिछले 23 सालों से हर सुबह बिना नागा किए समाजसेवी मरीजों को पोषक तत्वों से बना अंकुरित आहार वितरित कर रहे हैं।

    हर दिन जिला अस्पताल में एक हजार मरीजों को सुबह 8.30 बजते ही अंकुरित आहार बांटना शुरू कर दिया जाता है। पोषक तत्वों से बने आहार को लेकर सेवाकर्मी सबसे पहले आठ बजे अस्पताल पहुंचते हैं और फिर सेवाभावना के लिए छोटी सी प्रार्थना की जाती है। उसके बाद एक दर्जन से ज्यादा सेवाभावी सदस्य साथ लाए आहार को दोनों में भरकर हर वार्ड में पहुंचकर मरीज और उनके परिजनों को अंकुरित आहार बांटते हैं। सेवाभावी सदस्यों का यह कारवां बढ़ता ही जा रहा है।

    अशोक सायरे ने बताया कि ठंड हो, गर्मी हो या बारिश हो, अंकुरित आहार बांटने का यह सिलसिला कभी रुकता नहीं है। हालांकि कोविड के दौरान बीच में यह कार्य रुक गया था। इसके लिए शादी की सालगिरह, बर्थडे, पुण्यतिथि लोग अस्पताल में ही मनाते हैं। अपने परिजनों की खास तिथियों पर नाम मात्र का शुल्क 500 रुपये देकर लोग इस योजना में शमिल हो जाते हैं।

    आहार योजना की खूबी यही है कि सेवाभावियों की सेवा का यह संकल्प आज तक टूटा नहीं है। समय की पाबंदी इस परिवार की खास पहचान है तभी तो अस्पताल का सरकारी नाश्ता मरीजों और उनके परिजनों को मिले या न मिले अंकुरित आहार परिवार की यह सौगात हर दिन वक्त पर हर मरीज के बिस्तर तक पहुंच जाती है। मरीज भी इस आहार को लुत्फ लेकर खाते हैं।

    यह परिवार हर दिन के लिए अपना मीनू तैयार कर लेता है। पौष्टिक आहार के रूप में कभी मूंग, तो कभी चना, तो कभी सोयाबीन जैसा अनाज भिगो कर उसे अंकुरित कर उसे हल्का चटपटा बनाकर परोसा जाता है। योजना की सफलता का अंदाजा इसी से लगा जा सकता है कि 23 साल से चल रही योजना में आज भी काफी दिन की एडवांस बुकिंग है। जाहिर है एक अच्छी पहल ने प्रेरणादायी शक्ल अख्तियार कर ली। लोग जुटते गए और कारवां बनता चला गया।

    इस मौके पर राजीव खंडेलवाल, वात्सल्य हास्य क्लब के अध्यक्ष श्री खंडेलवाल, धनराज पगारिया, अशोक सायरे, जयंती लाल गोठी, केके वर्मा, अनिल मिश्र, चंद्रप्रकाश भाटिया, सुनील जैन, अशोक हिरानी, हारून भाई, अनिल दुबे, नीलम दुबे, श्री रघुवंशी, बीआर बारबुदे, रामनारायण शुक्ला, प्रफुल्ल गोठी, एमएल मालवीय, माधुरी पवार, श्री राठौर, एचएन सलाम, एमएल गोले, अरूण जैन, के. राजू बारस्कर, डीएस रघुवंशी, नारायण मिश्रा, योगेश रोचलानी, राजेश जोशी, गुलाबराव डांगे (भूतपूर्व सैनिक), ज्योति डहेरिया, अर्चना गोले सहित सदस्य मौजूद थे।

    सेन समाज ने भी बंटाया सेवा कार्य में हाथ
    इस वर्ष भारतीय सेन समाज ने अंकुरित आहार परिवार के साथ अंकुरित आहार वितरित किया। इस मौके पर समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष शिवनंदन श्रीवास, भारतीय युवा सेन समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष भीम जयसिंगपुरे, पूरनलाल रायपुरे, शशिकांत जयसिंगपुरे, जयपाल नरेले, कैलाश चौहान, हेमंत जयसिंगपुरे, सदन कुरावले, रामप्रसाद मन्नासे, बंशीलाल सोनपुरे, अमर रायपुरे, दुर्गेश मदारपुरे, शैलेन्द्र चौहान, गोपाल नरेले आदि सामाजिक बंधु मौजूद थे।

  • उत्तम मालवीय

    मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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