बैतूल नगर की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए एसी की ठंडक में अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों के द्वारा तमाम हवा हवाई फैसले तो ले लिए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है, इससे कभी उनका वास्ता ही नहीं पड़ता है। ऐसे में उन्हें आम जनता की तकलीफ का अहसास तक नहीं हो रहा है। बैतूल के गंज क्षेत्र में स्थित बस स्टैंड इन दिनों एजेंटों और बस चालकों की मनमानी का अड्डा बन गया है। हर दिन आने-जाने वाले इनकी मनमानी का शिकार होते हैं और प्रशासन एवं जन प्रतिनिधियों को कोसते रहते हैं।
शुक्रवार को तो तीन बस एजेंटों ने पहले बस निकालने के लिए पूरी सड़क को अपनी निजी प्रॉपर्टी समझ लिया। बसों को सड़क के बीच में खड़ा कर दिया और एक-दूसरे से तकरार करने में जुट गए। ऐसे में दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। हालत यह हो गई कि दो पहिया वाहन तक निकल नहीं पा रहे थे। लोगों ने बस चालकों को समझाने का प्रयास भी किया, लेकिन तीनों बसों के चालक और एजेंट बसों को सड़क पर से हटाने के लिए तैयार नहीं थे।
करीब आधा घंटे तक सड़क पर आवागमन पूरी तरह से बंद रहा लेकिन न तो यातायात पुलिस को इसकी कोई फिक्र थी और न ही बसों के एजेंटों को यात्रियों की परेशानी का अहसास हो रहा था। जब एक राहगीर ने विरोध जताया तब कहीं जाकर बस एजेंटों ने दो बसों को सड़क से हटाकर बस स्टैंड परिसर में पीछे हटाया और उसके बाद धीरे-धीरे यातायात बहाल हो सका।
जन प्रतिनिधियों ने गंज में बस स्टैंड तो बना दिया, लेकिन यहां पर यात्री सुविधाएं आज तक नहीं हैं। इतना जरूर है कि बस स्टैंड के भीतर दुकानें सजा ली गई हैं और सड़क के दोनों ओर अवैध कब्जे कर लिए गए हैं। इससे यातायात लगातार बाधित होता रहता है। यातायात पुलिस पर बिगड़ैल यातायात को सुधारने की जिम्मेदारी जरूर है, लेकिन गंज के बस स्टैंड पर बसों के चालकों और एजेंटों के द्वारा की जा रही मनमानी को रोकने कभी यहां पर यातायात कर्मी किसी को नजर तक नहीं आया है।