●उत्तम मालवीय (9425003881)●
बैतूल। जिले के दो युवा सागर और योगेश पैदल परिक्रमा पर जा रहे हैं। वे इस दौरान 4000 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा करेंगे। इसके पहले फरवरी माह में उन्होंने बाइक से परिक्रमा की थी। यह यात्रा इनकी प्रथम पद यात्रा है। वे पहली बार नर्मदा परिक्रमा पर जा रहे हैं। उनकी यात्रा 21 अक्टूबर को शुरू होगी और 108 दिनों में सम्पन्न होगी।
यात्रा पर जा रहे सागर करकरे ने ‘बैतूल अपडेट’ को बताया कि उनकी यात्रा ओम्कारेश्वर से प्रारंभ होंगी। इस यात्रा में उनके मित्र योगेश आजाद साथ रहेंगे। यह दोनों की आध्यात्मिक यात्रा रहेगी। उनकी यात्रा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से प्रारंभ होगी। यात्रा चार राज्यों के 100 से ज्यादा शहरों और जिलों का पड़ाव पार करके ओंकारेश्वर के उसी स्थान पर संपन्न होगी, जहां से प्रारंभ होगी। इस यात्रा में कोई भी लॉज या धर्मशाला का उपयोग नहीं करेंगे। यह पूरी यात्रा फकीरों की भांति करने जा रहे हैं। पूरी परिक्रमा लगभग 4000 किलोमीटर की है। सहयात्री योगेश आजाद ने बताया कि नर्मदा जी वैराग्य की अधिष्ठात्री मूर्तिमान स्वरूप हैं। गंगा जी ज्ञान की, यमुना जी भक्ति की, ब्रह्मपुत्रा तेज की, गोदावरी ऐश्वर्य की, कृष्णा कामना की और सरस्वती जी विवेक के प्रतिष्ठान के लिये संसार में आई हैं। सारा संसार इनकी निर्मलता और ओजस्विता व मांगलिक भाव के कारण आदर करता है व श्रद्धा से पूजन करता है। मानव जीवन में जल का विशेष महत्व होता है। यही महत्व जीवन को स्वार्थ, परमार्थ से जोड़ता है। प्रकृति और मानव का गहरा संबंध है। नर्मदा तटवासी माँ नर्मदा के करुणामय व वात्सल्य स्वरूप को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। बडी श्रद्धा से पैदल चलते हुए इनकी परिक्रमा करते हैं। नर्मदा की इसी ख्याति के कारण यह विश्व की अकेली ऐसी नदी है जिसकी विधिवत परिक्रमा की जाती है। प्रतिदिन नर्मदा का दर्शन करते हुए उसे सदैव अपनी दाहिनी ओर रखते हुए उसे पार किए बिना दोनों तटों की पदयात्रा को नर्मदा प्रदक्षिणा या परिक्रमा कहा जाता है । यह परिक्रमा अमरकंटक या ओंकारेश्वर से प्रारंभ करके नदी के किनारे-किनारे चलते हुए दोनों तटों की पूरी यात्रा के बाद वहीं पर पूरी की जाती है जहाँ से प्रारंभ की गई थी ।