Betul News : पक्की सड़क है ना नाले पर पुल, कीचड़ में से बच्चे जाते स्कूल, राशन लाने में बीत जाता पूरा दिन

▪️ मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़
प्रदेश सरकार वैसे तो विकास के दावे करती नहीं थकती, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बदहाली का आलम यह है कि जिला मुख्यालय बैतूल के आसपास के गांवों में ही ना तो पक्की सड़क है और न नदी-नालों पर पुल ही है। ऐसे में ग्रामीणों को बेहद परेशानी उठाते हुए अपनी मूलभूत जरूरतों को पूरी करना होता है।

जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर आदिवासी बहुल ग्राम पंचायत सराड़ के चार छोटे-छोटे टोले पड़ते हैं। इनमें 80 प्रतिशत आदिवासी ग्रामीण निवास करते हैं। इनमें ग्राम चिचढाना, डोमाढाना, पीपलढाना और भट्टाझिरी गांव शामिल हैं। भट्टाझिरी गांव की आबादी लगभग 500 की है।

भट्टाझिरी गांव के ग्रामीणों को उचित मूल्य दुकान सराड़ से अनाज मिलता है। सराड़ गांव से चिचढाना गांव की दूरी दो किलोमीटर दूर है। भट्टाझिरी गांव में सड़क भी नहीं है। वहीं राशन के लिए उन्हें खेड़ी सांवलीगढ़ उचित मूल्य दुकान जाना होता है। उन्हें 5 किलोमीटर दूर नाला और कीचड़ पार करके अनाज लेने आना पड़ता है या फिर सराड़ गांव जो कि 15 किलोमीटर दूर है, बगैर साधन के पैदल ही नदी पार करके अनाज लेने जाना पड़ता है।

ग्राम की इमला इवने, रविता सरियाम, सागरती सरियाम, कमला उइके, डिस्ट्रिक ध्रुवे ने बताया कि अनाज लाने में उन्हें पूरा दिन लग जाता है। यह गांव पहुँचविहीन गांव है। फिर भी उन्हें राशन लेने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि सत्ताधारी हो या फिर गैर सत्ताधारी नेता, गांवों के विकास की भले ही बड़ी-बड़ी बातें करें, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

ग्राम पंचायत सराड़ के आदिवासी टोला ग्राम भट्टाझिरी पहुँच मार्ग के लिए विगत दस वर्षों से प्रयास कर रहे हैं। इसके बावजूद अधिकारी और राजनेता इनकी बात को अनसुना कर देते हैं। यही कारण है कि सड़क जैसी मूलभूत सविधा से वे वंचित हैं। ग्राम भट्टा झिरी के ग्रामीण कहते हैं कि भट्टाझिरी गांव की सड़क सालों से अभी तक बनी ही नहीं है। यहाँ साइकिल क्या पैदल आदमी भी नहीं चल सकता। चुनाव के वक्त नेता आते हैं, भाषण देते हैं। वे सड़क बनाने का आश्वासन देकर चले जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद उनके दर्शन भी नहीं होते। ऐसी स्वार्थी राजनीति का क्या औचित्य जो विकास को प्राथमिकता न दे।

बैतूल विधानसभा का यह एक ऐसा गांव है जहाँ न सड़क है और न पीने के पानी की पर्याप्त सुविधा। स्कूली बच्चे भी मजबूरी में चलने लायक नहीं रही कीचड़ युक्त सड़क से मजबूरी में आना जाना करते हैं। ग्रामीणों ने उन्हें राशन गांव में मुहैया कराने की मांग जिला प्रशासन से की है। जिससे बरसात और परेशानियों से जूझ रहे आदिवासियों को मुफ्त अनाज घर में ही आसानी से उपलब्ध हो सके।

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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