जब पीरियड्स आते हैं तो स्कूल से किसी भी बहाने से छुट्टी लेकर हम घर चले जाते हैं। डर लगता है कहीं कपड़ों पर दाग न लग जाए। अक्सर बैग में पेड भी रखकर लाते हैं। ये सब बातें शासकीय माध्यमिक शाला टिकारी की छात्राओं ने सशक्त सुरक्षा बैंक की टीम से साझा की। शनिवार को स्कूल में क्षत्रिय लोनारी कुनबी समाज महिला संगठन ने छात्राओं को पेड बैंक की सौगात दी।
मासिक धर्म को लेकर समाज में भ्रांतियां कम नहीं हैं। इन भ्रांतियों और पीढ़ियों से चली आ रही रूढ़ियों के विरुद्ध बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति द्वारा सशक्त सुरक्षा बैंक प्रकल्प के माध्यम से किशोरी बालिकाओं व महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है। जनसहयोग से संस्था द्वारा जिले के विभिन्न स्कूलों में सशक्त सुरक्षा सेनेटरी पेड बैंक खोले जा रहे हैं। वही बालिकाओं को मासिक धर्म के दिनों में सेनेटरी पेड का उपयोग करने के लिये प्रेरित किया जा रहा है। इसका उचित प्रबंधन भी सिखाया जा रहा है।
इसी कड़ी में 12 मार्च को क्षत्रिय लोनारी कुनबी समाज महिला संगठन के संयोजन में शासकीय माध्यमिक शाला टिकारी में सशक्त सुरक्षा बैंक की 9 वीं शाखा की शुरुआत की गई। इस अवसर पर बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति की अध्यक्ष गौरी बालापुरे पदम, उपाध्यक्ष नीलम वागद्रे, कोषाध्यक्ष जमुना पन्डाग्रे सहित लोनारी कुनबी महिला संगठन की अध्यक्ष संगीता घोड़की, अलका वागद्रे कोषाध्यक्ष, राजेश्वरी लिखितकर सचिव, अनुराधा देशमुख संयुक्त सचिव, ममता कुबडे सह कोषाध्यक्ष रेखा बारस्कर, भावना लोखंडे, सिद्धलता महाले, प्रवीणा कुबडे, वंदना काले, हेमलता लोखंडे, ममता बारस्कर, सुनीता नावँगे, डॉ. अर्चना साबले, अभिलाषा धोटे, अनीता धोटे, मीनाक्षी झरबडे, वीणा कुंभारे, लता देशमुख, सुशीला बोडखे, ललिता कुबड़े, एवं शिक्षिका गीतिका मिश्रा, ईश्वरी वागद्रे सहित छात्राएं उपस्थित थी।
पीरियड आने पर छुट्टी लेकर घर जाती थी छात्राएं
माध्यमिक शाला टिकारी की छात्राएं स्कूल में पेड बैंक खुलने से खुश हैं। शाला शिक्षिका ने भी बैंक खोलने की पहल को सराहा। उन्होंने कहा कि अब स्कूल की छात्राओं को पीरियड आने पर स्कूल में ही पेड मिल जायेंगे। अब तक छात्राएं पीरियड आने पर घर जाती थी। कुनबी समाज की इस पहल से बालिकाओं को मुश्किल भरें दिनों में राहत मिलेगी।
भ्रांतियों को दूर करने का किया प्रयास
स्कूल में सशक्त सुरक्षा बैंक की शुरुआत कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बैंक संस्थापक गौरी पदम ने कहा कि महिलाएं मासिक धर्म के दिनों की समस्याओं एवं तकलीफों को एक दूसरे से कहने तक में झिझक महसूस करती है। जब तक इन समस्याओं को कहेगे नहीं निदान संभव नहीं है। उन दिनों मे छूआछूत जैसी समस्याओं एवं महिलाओं के साथ किए जाने वाले अलग व्यवहार को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि उन दिनों में महिलाओं को रसोई से अलग करने के पीछे उन्हें आराम देने का विजन था, लेकिन यह कब कुप्रथा बन गई यह पता ही नहीं चला। उन्होंने कहा कि कुनबी महिला संगठन ने सशक्त सुरक्षा बैंक प्रकल्प से जुड़कर बालिकाओं की तकलीफ को समझने का प्रयास किया है।
उपाध्यक्ष नीलम वागद्रे ने कहा कि मासिक धर्म की कुरीतियों के विरूद्ध सशक्त सुरक्षा बैंक ने आवाज उठाई है। अब लोग इस अभियान से लगातार जुड़ रहे है। डॉ. अर्चना साबले ने छात्राओं को मासिक धर्म के दिनों में सावधानी, स्वच्छता और खानपान का ध्यान रखने की समझाइश दी। वहीं स्कूल की शिक्षिका गीतिका मिश्रा ने भी अपने अनुभव सुनाए। संगठन की संयुक्त सचिव अनुराधा देशमुख ने सशक्त सुरक्षा बैंक की अवधारणा से कुनबी महिला समाज संगठन को जोड़ने के लिये बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति और स्कूल प्रबंधन का आभार माना।